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This Article is From Jul 18, 2021

40 साल की सफाई कर्मी ने किया कमाल, राजस्थान सिविल सेवा परीक्षा पास की

आठ साल पहले आशा और उसके दो बच्चों के साथ उसके पति ने छोड़ दिया था. अपने माता-पिता के सहयोग से, उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी, स्नातक की पढ़ाई पूरी की और फिर 2018 में प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुई.

40 साल की सफाई कर्मी ने किया कमाल, राजस्थान सिविल सेवा परीक्षा पास की
सिविल सर्विस की कठिन परीक्षा पास करने के बाद आशा ने कहा, "अगर मैं यह कर सकती हूं तो कोई भी कर सकता है."
जोधपुर:

राजस्थान प्रशासनिक सेवा में शामिल होने के लिए परीक्षा में सफल होने वाले उम्मीदवारों में 40 वर्षीय आशा कंदारा भी शामिल हैं. लेकिन उनकी कहानी किसी और की तरह नहीं है. दो बच्चों की मां आशा जोधपुर नगर निगम में सफाई कर्मचारी के रूप में कार्यरत थीं. अब उन्हें राज्य प्रशासनिक सेवा में वरिष्ठ अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा. आठ साल पहले आशा और उसके दो बच्चों के साथ उसके पति ने छोड़ दिया था. अपने माता-पिता के सहयोग से, उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी, स्नातक की पढ़ाई पूरी की और फिर 2018 में प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुई. दो चरणों में परीक्षा देने के बाद आशा को इंतजार करना पड़ा क्योंकि महामारी के कारण परिणामों की घोषणा रोक दी गई थी. परिणाम पिछले सप्ताह घोषित किए गए हैं.

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इस बीच, आशा जोधपुर नगर निगम में एक सफाई कर्मचारी की नौकरी करने लगी. क्योंकि अपने बच्चों की देखभाल करने की जिम्मेदारी उन्हीं की थी. इस कारण वह हाथ में झाड़ू लेकर जोधपुर शहर की सड़कों पर झाड़ू लगाने लगी. NDTV से बात करते हुए आशा ने कहा कि “ मेरा मानना ​​है कि कोई भी काम छोटा नहीं है. तैयारी करके 2019 में मैं मुख्य परीक्षा में बैठी. आज उसका परिणाम आपके सामने है. लेकिन परिणाम घोषित होने से पहले मुझे नगर निगम में नौकरी मिल गई थी. आशा ने कहा, "मेरा मानना है कि अगर लोग आप पर पत्थर फेंकते हैं, तो आपको उन्हें इकट्ठा करना चाहिए और एक पुल बनाना चाहिए. अगर मैं कर सकती हूं, तो कोई भी कर सकता है.”

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उन्होंने कहा कि उनके पिता उनकी प्रेरणा हैं. उन्होंने NDTV से कहा, "मेरे पिता शिक्षित हैं और शिक्षा के मूल्य को समझते हैं. उन्होंने हमें पढ़ना और आगे बढ़ना सिखाया है. मैंने प्रशासनिक सेवाओं को चुना है क्योंकि मैं अपने जैसे अन्य कम विशेषाधिकार प्राप्त लोगों की मदद करना चाहती हूं. शिक्षा उत्तर है, शिक्षा अवसर का द्वार खोलती है." आशा के पिता राजेंद्र कंदरा ने अपनी वंचित पृष्ठभूमि के बावजूद अपनी पढ़ाई पूरी की. वह भारतीय खाद्य निगम में लेखाकार पद पर सेवानिवृत्त हुए हैं. उन्होंने कहा, "मैं पढ़ाई लैंम्प की रोशनी पर करता था. हम शिक्षा के महत्व को समझते हैं. जीवन एक संघर्ष है और संघर्ष ही जीवन है, लेकिन आज हमें बहुत गर्व है."

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