महाराष्ट्र में पुणे से करीब 111 किलोमीटर दूर मलिन गांव में भूस्लखन की वजह से 30 लोगों की मौत हो गई है जबकि सैकड़ों लोग अभी मलबे में दबे हुए हैं। मरनेवालों की तादाद में बढ़ोतरी होने की आशंका है।
अब तक के राहत और बचाव कार्य में कुछ लोगों को मलबे से जिंदा निकाला गया है। एनडीआरएफ की नौ टीमें बचावकार्य में लगी हुई है हालांकि रास्ता दुर्गम होने की वजह से बचाव कार्य में काफी दिक्कतें आ रही हैं।
हादसे में गांव के 70 में से 46 घर मलबे में धंस गए हैं, जबकि बाकी के 24 घरों में ताला लगा हुआ है। इन घरों के लोग कहां गए, इसका कोई पता नहीं चल पा रहा है। गांव में मोबाइल नेटवर्क न होने की वजह से भी बचाव टीम को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
एनडीआरएफ ने स्पेशल लाइव डिटेक्टर टाइप−1 और टाइप−2 मशीनें लगाई हैं, जिसकी मदद से मलबे में दबे जिंदा लोगों की धड़कनों को सुनकर उन्हें बचाया जा सकता है। बताया जा रहा है कि जिस वक़्त यह हादसा हुआ उस समय गांव के लोग सोये हुए थे, जिसकी वजह से उन्हें खुद को बचाने का मौका नहीं मिल सका।
केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मलिन गांव में हुए विनाशकारी भूस्खलन से निपटने में महाराष्ट्र को पूरी केंद्रीय सहायता देने का आश्वासन दिया है। सिंह ने हादसे की जगह का दौरा किया और मृतकों के परिजनों को प्रधानमंत्री कोष से दो लाख रुपये की सहायता की घोषणा की।
उन्होंने कहा, एक मंदिर सहित करीब 45 घर इस भूस्खलन के प्रभाव से तबाह हो गए। मैंने केंद्र की ओर से शोकसंतप्त परिवारों को संवेदनाएं व्यक्त कीं। प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए राज्य सरकार को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है। सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जबतक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक भूस्खलन के कारणों के बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और जिला अधिकारियों ने कहा कि ने मलबे के अंदर से दो और शवों को निकाला गया है। इसी के साथ भूस्खलन में मरने वालों की संख्या 30 पहुंच गई है। इस हादसे में आधा मलिन गांव मलबे की चपेट में आया है।
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