
सीबीआई दफ्तर की फाइल फोटो
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ईडी ने भी फैसले के खिलाफ दी है याचिका
मनी लांड्रिंग मामले को लेकर भी दायर की गई है याचिका
ए राजा और कनिमोई के अलावा कई अन्य के खिलाफ दायर हुई याचिका
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निदेशालय नहीं चाहता कि मनी लांड्रिंग मामले में रिहाई के बाद इस संपत्ति की कुर्की समाप्त की जाए. अदालत ने यथास्थिति के बारे में एजेंसी की आग्रह को स्वीकार करते हुए उससे यह भी पूछा है कि उसे राहत चाहिए थी तो वह इतनी देर से क्यों आई. ध्यान हो कि निदेशालय( ईडी) ने 19 मार्च को उच्च न्यायालय का रुख किया था और 2 जी से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में सभी आरोपियों की रिहाई के विशेष अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. वहीं सीबीआई ने भी मामले में सभी आरोपियों की रिहाई को कल उच्च न्यायालय में चुनौती दी. विशेष अदालत ने पिछले साल 21 दिसंबर को सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज कराए गए मामले में राजा, कनिमोई और 17 अन्य को बरी कर दिया था.
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ईडी द्वारा दर्ज मामले में विशेष अदालत ने राजा और कनिमोई के अलावा द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्माल, एसटीपीएल के शाहिद बलवा और विनोद गोयनका, कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स प्राइवेट लिमिटेड के आसिफ बलवा और राजीव अग्रवाल, फिल्म निर्माता करीम मोरानी, पी अमृतम और कलैग्नार टीवी के निदेशक शरद कुमार को बरी किया था. ईडी ने अपने आरोप पत्र में कहा था कि स्वान टेलिकॉम प्राइवेट लिमिटेड ने द्रमुक संचालित कलैग्नार टीवी के प्रवर्तकों को 200 करोड़ रुपये दिए थे.
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पिछले वर्ष 21 दिसंबर को ही निचली अदालत ने सीबीआई के 2 जी मामले में राजा, कनिमोई और पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया, स्वान टेलिकॉम के प्रवर्तकों शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयनका, यूनिटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा और अनिल धीरूबाई अंबानी रिलायंस समूह के तीन शीर्ष प्रबंधकों- गौतम दोशी, सुरेंद्र पीपारा और हरि नायर को बरी कर दिया था. (इनपुट भाषा से)