एक फोन, तीन भाई-बहन: इस माली के बच्‍चों को ऑनलाइन क्‍लास के लिए करना होता है इंतजार

14 साल की आरती परिवार के छह सदस्‍यों के साथ एक रूम में घर में रहती है. घर में केवल एक फोन है जो उसके पिता के पास रहते है जो माली हैं और लगभग पूरे दिन घर से बाहर रहते हैं.

एक फोन, तीन भाई-बहन: इस माली के बच्‍चों को ऑनलाइन क्‍लास के लिए करना होता है इंतजार

स्‍मार्टफोन न होने के कारण फरहाना के बच्‍चे ऑनलाइन क्‍लास अटेंड नहीं कर पा रहे

नई दिल्ली:

Coronavirus Pandemic: कोरोना वायरस की महामारी के कारण इस समय स्‍कूल-कॉलेज बंद हैं,ऐसे में ऑन क्‍लासेंज के जरिये ही बच्‍चों की पढ़ाई हो रही है. इस स्थिति में सबसे ज्‍यादा परेशानी उन गरीब लोगों को हो रही है जिनके पास स्‍मार्टफोन नहीं है. फरहाना ऐसी ही सिंगल मदर हैं जो दिल्‍ली के त्रिलोकपुरी के स्‍लम एरिया में रहती हैं. उनके दो बेटे समीर (9) और शोएब (13) दिल्‍ली के सरकारी स्‍कूल (Delhi government school) में पढ़ते हैं लेकिन वे बीते पांच माह में एक भी ऑनलाइन क्‍लास (online class)अटेंड नहीं कर पाए है. कारण कि परिवार स्‍मार्टफोन तो क्‍या बेसिक फोन का खर्च भी वहन नहीं कर सकता.

फरहाना (Farhana) ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'यह परेशान करने वाला है यदि बच्‍चे पढ़ नहीं पाएंगे तो उनका भविष्‍य क्‍या होगा? मैं इस चिंता में सो नहीं पा रही हूं. मुझे डर सता रहा कि मेरे बच्‍चे मेरी ही तरह अशिक्षित रह जाएंगे. मैं शिक्षित नहीं हूं लेकिन जानती हं कि पढ़ाई कितनी महत्‍वपूर्ण है?' करीब तीन माह पहले पति के निधन के बाद से फरहाना टेलर के तौर पर काम कर रही हैं लेकिन महीने में बमुश्किल चार हजार रुपये कमा पार्ती हैं. फरहाना के बच्‍चे उन 15 फीसदी या दो लाख स्‍टूडेंट्स में से हैं जिन्‍हें कोरोना वायरस लॉकडाउन वायरस शुरू होने के बाद से दिल्‍ली सरकार 'अनट्रेसबल' (जिनका पता नहीं लग पा रहा) बता रही है. इन्‍होंने न ऑनलाइन क्‍लास अटेंड की है और न ही स्‍कूल के संपर्क में हैं.दिल्‍ली सरकार के 1100 स्‍कूलों में कुल 15 लाख बच्‍चे पढ़ते हैं. ऑनलाइन क्‍लास 6 अप्रैल से प्रारंभ हुई हैं, इसके बाद से लाइव वीडियो क्‍लास और ई-लर्निंग मटेरियल व्‍हाट्सएप या एसएमएस के जरिये स्‍टूडेंट्स तक पहुंचाए जा रहे हैं.

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शीला का परिवार एक रूम में घर में रहता है

आरती की कहानी भी ऐसी ही है. 14 साल की आरती परिवार के छह सदस्‍यों के साथ एक रूम में घर में रहती है. घर में केवल एक फोन है जो उसके पिता के पास रहते है जो माली हैं और लगभग पूरे दिन घर से बाहर रहते हैं. जब भी कुछ घंटों के लिए पिता का फोन घर पर होता है तो उसे 13 और 12 वर्षीय भाई-बहन के साथ शेयर करना पड़ता है.

आरती कहती है कि साइंस, मैथ्‍स और सोशल स्‍टडीज में बहुत काम होता है. जब तक मैं अपनी पढ़ाई पूरी करती हूं, मेरी बहन को अपनी क्‍लास 'मिस' करनी पड़ती है. ऐसे में उसे काम पूरा नहीं करने के लिए टीचर की डांट खानी पड़ती है. जब वह ऑनलाइन क्‍लास ले रही होती है तो मेरे भाई को क्‍लास 'छोड़नी' पड़ती है. आरती की मां 40 साल की शीला ने निजी स्‍कूल में सफाईकर्मी के तौर पर अपनी नौकरी गंवान दी है. वे बमुश्किल हर माह तीन हजार रुपये कमा पाती हैं. उनके पति की कमाई आठ हजार रुपये प्रति माह है लेकिन इनके गुजारे के लिए भी पूरे नहीं पड़ते, एक और फोन खरीदना तो बाद की बात है. शीला कहती हैं, 'मेरी नौकरी चली गई और पति भी बीमार हैं, ऐसे में पैसे कहा से लाएंगे.' दिल्‍ली सरकार ने कहा है कि स्‍कूल मैनेजर कमेटी को ऐसे स्‍टूडेंट का पता करके उन्‍हें सिस्‍टम में वापस लाने के निर्देश दिए गए हैं. यही नहीं, सरकार की ओर से कक्षा 12 के स्‍टूडेंट को 200 रुपये की सब्सिडी इंटरनेट पैकेज के लिए दी जा रही है.

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