भारत में 14 टाइगर रिजर्व को अंतरराष्ट्रीय CA/TS मानक मिला, जानें क्यों खास है ये मानक

2014 में जब बाघ की गणना हुई थी तब हमारे देश में 2226 बाघ मिले थे जबकि 2018 की गणना में 2967 बाघ पाए गए हैं यानि इन चार सालों में 33 फीसदी बाघों की संख्या बढ़ी है.

भारत में 14 टाइगर रिजर्व को अंतरराष्ट्रीय CA/TS मानक मिला, जानें क्यों खास है ये मानक

भारत में 14 टाइगर रिजर्व को अंतरराष्ट्रीय CA/TS मानक मिला. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

देश में बाघों के संरक्षण के लिए 14 टायगर रिजर्व को सीए/टीएस यानि कन्जर्वेशन एश्यूर्ड टाइगर स्टैंडर्ड का मानक दिया गया है. इसका मतलब ये है कि इन टायगर रिजर्व बाघ को बचाने और बढ़ाने के अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरता है. ये इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अब तक नेपाल के चितवन पार्क, रूस के सिखोते एलिन रिजर्व और भूटान के टाइगर रिजर्व को ही मिला था. इन 14 टायइगर रिजर्व जिनको सीएटीएस ग्रेड मिला है उनमें बांधवगढ़, रणथंभौर, कार्बेट और दुधवा नेशनल पार्क भी शामिल है. 2014 में जब बाघ की गणना हुई थी तब हमारे देश में 2226 बाघ मिले थे जबकि 2018 की गणना में 2967 बाघ पाए गए हैं यानि इन चार सालों में 33 फीसदी बाघों की संख्या बढ़ी है. 

बाघों की संख्या क्यों बढ़ी है? 

एक समय था जब चीन में बाघों के शरीर के अंग की मांग बढ़ने से पूरी दुनिया के बाघों पर एक बड़ा खतरा मंडराने लगा था. भारत में संसार चंद जैसे शिकारियों का संगठित गिरोह सरिस्का से लेकर दुधवा नेशनल पार्क तक फैला था. 2000 के बाद बाघों की संख्या भी घटने लगी थी. सरिस्का जैसे नेशनल पार्क में इक्का दुक्का बाघ ही बचे थे. ऐसे में वन संरक्षण से जुड़े अधिकारियों ने एक बड़ा अभियान चलाया. संगठित शिकारियों के गिरोह को पकड़ा गया. साथ ही राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण यानि NTCA और वन्य जीव संस्थान यानि WII ने स्मार्ट पेट्रोलिंग एप लॉच किया. जिसे सभी 50 टाइगर रिजर्व पर लागू किया गया. दुधवा नेशनल पार्क के टाइगर प्रोजेक्ट के डायरेक्टर रहे रमेश पांडेय बताते हैं कि गश्त करने वाले वन्यकर्मियों के स्मार्ट फोन में इस एप को डाउन लोड करवाया गया. ताकि वन्यकर्मी कहां कहां गश्त कर रहे हैं और कौन से पग मार्क और जीव जंतु मिले हैं उसकी फोटो आने से जंगल की जीव जंतुओ की गणना और उनकी सुरक्षा में क्रांतिकारी बदलाव आ गया. दुधवा नेशनल पार्क के वन्य कर्मियों ने 2020 में सबसे ज्यादा यानि 79000 कदम पेट्रोलिंग की. इससे बाघों को संरक्षित करने में खासी मदद मिली. 

टाइगर रिजर्व में पर्यटकों की संख्या सीमित रखने का सुझाव

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भारत में कार्बेट और रणथंभौर जैसे टाइगर रिजर्व पर पर्यटकों की संख्या पर दो पक्षों की अलग अलग राय है. पर्यटन क्षेत्र से दुड़े लोगों की मांग है कि टाइगर रिजर्व को पर्यटकों के लिए ज्यादा से ज्यादा खोलने से शिकार कम हो सकता है. जंगल से जीविका कमाने वालों को रोजगार मिल सकता है जो टाइगर को संरक्षित करने में मददगार होगी लेकिन टाइगर डे के मौके पर पर्यावरण और वन सचिव आरपी गुप्ता ने कहा कि जिन टाइगर रिजर्व को सीए/टीएस दिए गए हैं उनमें केवल तीन टाइगर रिजर्व बांधव गढ़, रणथंभौर और कार्बेट में पर्यटकों की संख्या बढ़ने से टाइगर के व्यवहार में भी बदलाव आ रहा है. इसी के चलते टाइगर को केवल पर्यटन के दृष्टि से नहीं देखना चाहिए क्योंकि बाकी जहां जहां टाइगर बढ़े हैं वहां पर्यटकों की संख्या ज्यादा नहीं होती है. ये एक लंबी बहस है इसमें सरकार को संतुलित तरीके से काम करने की जरुरत है. लेकिन पर्यायवरण प्रेमियों के लिए ये एक अच्छी खबर है कि बाघों की तादात हमारे देश में बढ़ रही है.