दिल्ली में गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई 11 पार्टियों के नेता आज एक मंच पर एकजुट हुए और खुद को इन दोनों दलों का वास्तविक विकल्प करार दिया। हालांकि इस दौरान वे प्रधानमंत्री पद के मुद्दे से बचते दिखाई दिए, जो पूर्व में तीसरे मोर्चे के लिए एक मुश्किल भरा मुद्दा रहा है।
इस मोर्चे में चारों वाम दलों के अलावा नीतीश कुमार की जेडीयू, नवीन पटनायक की बीजेडी, जयललिता की एआईएडीएमके, जेडीएस, समाजवादी पार्टी, असम गण परिषद, झारखंड विकास मोर्चा और पंजाब में मनप्रीत बादल की अगुवाई वाली पंजाब पीपुल्स पार्टी शामिल हैं।
इस दौरान माकपा महासचिव प्रकाश कारात ने कहा कि देश को कांग्रेस का विकल्प चाहिए, लेकिन वह बीजेपी नहीं हो सकती, क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस में कोई खास फर्क नहीं है, इसलिए हम 11 दल मिलकर एक विकल्प देंगे।
इस ऐलान के वक्त मंच पर समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव, जेडी (एस) के एचडी देवेगौड़ा और जेडी (यू) के शरद यादव भी मौजूद थे। प्रकाश कारात ने कहा, 'नरेंद्र मोदी को किसी भी कीमत पर सत्ता में आने से रोकना होगा। हम सब मिलकर काम करेंगे।'
वहीं शरद यादव ने कहा, 'यह थर्ड नहीं, बल्कि फर्स्ट फ्रंट है। हमारे यहां कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ, हमने तीन-तीन बार प्रधानमंत्री का चुनाव किया है।' थर्ड फ्रंट के नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री कौन बनेगा, इसका फैसला चुनाव के बाद होगा। इस दौरान उन्होंने एक साझा घोषणापत्र भी जारी किया।
हालांकि इस मोर्चे मंगलवार की हुई इस पहली बैठक में ही इसकी एकजुटता पर सवाल उठते दिखाई दिए, जहां नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (बीजेडी) और असम गण परिषद (एजेपी) के नेता मंच से नदारद दिखे।
इस बारे में उठते सवालों का जवाब देते हुए प्रकाश करात ने कहा, 'एजेपी अध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार महंत की मां गंभीर रूप से बीमार हैं, लेकिन उन्होंने हमें फोन कर आगे बढ़ने को कहा है। वहीं पटनायक ने हमें सूचित किया कि उनका पहले से कुछ तय कार्यक्रम था, इसलिए वह इसमें शिरकत नहीं कर सकें।'
इस बैठक में शामिल होने वाले नेताओें का मानना है कि देश को अब गैर-कांग्रेसी और गैर-भाजपाई सरकार की जरूरत है और आने वाले लोकसभा चुनावों में इस मोर्चे की सरकार बनना तय है। साथ ही इन नेताओं ने कहा कि कुछ और दल भी हैं जो कि जल्द ही इस मोर्चे में शामिल हो सकते हैं।
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