
हमारे आस-पास की हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के तहत राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने कहा है कि सभी डीज़ल वाहन जो 10 साल से अधिक पुराने हैं, उन्हें दिल्ली में चलने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए डीजल को प्रमुख स्रोत बताते हुए न्यायाधिकरण ने कहा कि हालात इतने खतरनाक हैं कि लोगों को स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के कारण दिल्ली छोड़ने की सलाह दी गई है।
न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एनजीटी की एक पीठ ने कहा, ‘‘ब्राजील, चीन, डेनमार्क जैसे कई देशों ने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है या उसपर प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया में है या उनसे मुक्ति पाने की प्रक्रिया में हैं और इन वाहनों पर कठोर कर लगा रहे हैं।’’
पीठ ने कहा, 'हमने पहले ही गौर किया है कि इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कुछ कठोर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है कि दिल्ली निवासी अपनी हर सांस के साथ खराब स्वास्थ्य के करीब नहीं पहुंचें। इसलिए हम निर्देश देते हैं कि सभी डीजल वाहन :भारी हों या हल्के: जो 10 साल पुराने हैं उन्हें दिल्ली और एनसीआर की सड़कों पर चलने की इजाजत नहीं होगी।'
न्यायाधिकरण ने दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग और अन्य संबद्ध अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इस तरह के सभी वाहनों का व्यापक डाटा तैयार करें जो 10 साल या उससे अधिक पुराने हैं।
नेशनल ग्रीन ट्राइब्युनल ने दिल्ली, यूपी और हरियाणा सरकारों को फटकार लगाई और कहा कि दिल्ली का प्रदूषण स्तर खतरनाक हो चुका है, जबकि 2014 में दिए गए निर्देशों पर अमल की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है।
ग्रीन ट्राइब्युनल ने राज्य सरकारों को ये निर्देश दिया है कि अगले 20 घंटों में दिल्ली में दाख़िल होने के सभी रास्तों पर चेकिंग शुरू हो जानी चाहिए ताकि प्रदूषण बढ़ाने वाली और ओवरलोडिंग वाली गाड़ियां दिल्ली न आएं।
ग्रीन ट्राइब्युनल ने इसके लिए 9 अप्रैल तक अमल की रिपोर्ट मांगी है।
एयर पॉल्यूशन कंट्रोल विभाग के प्रोग्राम मैनेजर विवेक चट्टोपाध्याय के अनुसार, ‘नेशनल ग्रीन ट्राईब्यूनल का फ़ैसला स्वागत योग्य है, लेकिन हमें इसके साथ बाईबास की सुविधा को लागू करने में भी तेज़ी लानी चाहिए।‘
इसके अलावा जो ट्रकें दिल्ली नहीं आ रही हैं उन्हें दिल्ली की सड़कों का इस्तेमाल ट्राज़िट के लिए करने से रोकना होगा क्योंकि ये ट्रकें सबसे ज़्यादा प्रदूषण पैदा करती हैं।
विवेक के अनुसार सिर्फ़ पुरानी गाड़ियों पर ध्यान देने से समस्या का समाधान नहीं होने वाला है
बल्कि हमें नई गाड़ियों पर भी लगाम कसना ज़रूरी है, क्योंकि बाज़ार में जितनी नई गाड़ियाँ आ रही हैं उनमें से 50% डीज़ल गाड़ियाँ हैं।
इसकी वजह कहीं ना कहीं डीज़ल की कीमत का पेट्रोल के बनिस्पत काफ़ी कम होना और उसपर लगने वाली टैक्स में भी छूट होना है।
सरकार को ये भी सुनिश्चित करने की ज़रुरत है कि जो नई गाड़ियों सड़क पर आ रहीं हैं वो बेहतर एमिशन नियमों का पालन करे और सरकार प्रदूषण संबंधी कानून को जल्द से जल्द लागू करे। (एजेंसी इनपुट के साथ)
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