प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
गुजरात के कुछ हिस्सों में हाल ही में आई विनाशकारी बाढ़ ने 10 शेरों, 1600 से ज्यादा नील गायों और तकरीबन 90 चीतलों सहित अन्य वन्य जीवों की जान ले ली।
गुजरात के प्रधान वन संरक्षक द्वारा केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को दी गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वन्य प्राणियों की मौतें मुख्यतौर पर अमरेली और भावनगर जिलों में हुईं हैं और वन अधिकारी इन दो जिलों में 80 से ज्यादा शेरों को ढूंढने में सफल रहे जो 'सुरक्षित' घूम रहे थे।
रिपोर्ट में कहा गया है, इस साल 2 जुलाई तक, 10 शेरों के अवशेष बरामद कर लिए गए हैं। साथ ही 1670 नील गायों, 87 चीतलों, नौ काले हिरण और छह जंगली सुअरों के अवशेष भी बरामद किए गए हैं। अमरेली जिले में चार शेरों की मौत हुई है, जबकि छह की मौत भावनगर जिले में हुई।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कम दबाव वाले क्षेत्र की वजह से 26 जून को अमरेली जिले की धारी, बगसारा, कुकवाव तालुका में छह घंटे के भीतर भारी बारिश हुई, जिससे करीब 26 इंच तक पानी भर गया। लिहाजा, शेत्रुंजी नदी में बाढ़ आ गई, जिससे जानमाल और वन्य जीवों का भारी नुकसान हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया है, पशु चिकित्सकों द्वारा शेरों के अवशेषों को पोस्टमार्टम करने के बाद जला दिया गया, जबकि अन्य पशुओं के अवशेषों को राजपत्रित वन अधिकारियों की मौजूदगी में पंचनामा करने के बाद दफन कर दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक नील गायों के ज्यादातर अवशेष पालीटाना में शत्रुंजी बांध में मिले हैं, क्योंकि नदी के पानी के बहाव में ये नील गायें बह गई थीं।
बहरहाल, बाढ़ के बाद जब अधिकारियों ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया तो एशियाई शेरों सहित वन्य जीव घूमते-फिरते देखे गए। तब और नील गायों की मौत होने का भी पता चला।
कुछ शेर कमजोर और हैरान कर देने वाली स्थिति में मिले। अभियान में शामिल स्टाफ ने उनका जरूरी उपचार किया और उन्हें खाना दिया।
गुजरात के प्रधान वन संरक्षक द्वारा केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को दी गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वन्य प्राणियों की मौतें मुख्यतौर पर अमरेली और भावनगर जिलों में हुईं हैं और वन अधिकारी इन दो जिलों में 80 से ज्यादा शेरों को ढूंढने में सफल रहे जो 'सुरक्षित' घूम रहे थे।
रिपोर्ट में कहा गया है, इस साल 2 जुलाई तक, 10 शेरों के अवशेष बरामद कर लिए गए हैं। साथ ही 1670 नील गायों, 87 चीतलों, नौ काले हिरण और छह जंगली सुअरों के अवशेष भी बरामद किए गए हैं। अमरेली जिले में चार शेरों की मौत हुई है, जबकि छह की मौत भावनगर जिले में हुई।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कम दबाव वाले क्षेत्र की वजह से 26 जून को अमरेली जिले की धारी, बगसारा, कुकवाव तालुका में छह घंटे के भीतर भारी बारिश हुई, जिससे करीब 26 इंच तक पानी भर गया। लिहाजा, शेत्रुंजी नदी में बाढ़ आ गई, जिससे जानमाल और वन्य जीवों का भारी नुकसान हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया है, पशु चिकित्सकों द्वारा शेरों के अवशेषों को पोस्टमार्टम करने के बाद जला दिया गया, जबकि अन्य पशुओं के अवशेषों को राजपत्रित वन अधिकारियों की मौजूदगी में पंचनामा करने के बाद दफन कर दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक नील गायों के ज्यादातर अवशेष पालीटाना में शत्रुंजी बांध में मिले हैं, क्योंकि नदी के पानी के बहाव में ये नील गायें बह गई थीं।
बहरहाल, बाढ़ के बाद जब अधिकारियों ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया तो एशियाई शेरों सहित वन्य जीव घूमते-फिरते देखे गए। तब और नील गायों की मौत होने का भी पता चला।
कुछ शेर कमजोर और हैरान कर देने वाली स्थिति में मिले। अभियान में शामिल स्टाफ ने उनका जरूरी उपचार किया और उन्हें खाना दिया।
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