भारतीय मूल की प्रोफेसर डॉ. जोइता गुप्ता को जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के क्षेत्र में उनके काम के लिए प्रतिष्ठित डच पुरस्कार (Dutch Prize) मिला. वह एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी के एम्स्टर्डम इंस्टीट्यूट फॉर सोशल साइंस रिसर्च में ग्लोबल साऊथ में इनवायरोमेंट एंड डेवलपमेंट और विकास और आईएचई डेल्फ़्ट इंस्टीट्यूट फॉर वॉटर एजुकेशन की प्रोफेसर हैं. उन्हें 4 अक्टूबर को हेग में आयोजित एक समारोह में यह पुरस्कार मिला है . इस पुरस्कार समारोह का आयोजक डच रिसर्च काउंसिल (एनडब्ल्यूओ) है.
डॉ. जोइता गुप्ता ने जिस प्रतिष्ठित स्पिनोज़ा पुरस्कार (Spinoza Prize) जीता है, उसे डच नोबेल (Dutch Nobel) के नाम से भी जाना जाता है.
नीदरलैंड में भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया मीडिया प्लेटफार्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, "डच रिसर्च काउंसिल (एनडब्ल्यूओ) द्वारा प्रतिष्ठित स्पिनोज़ा पुरस्कार प्राप्त करने के लिए डॉ. जॉयता गुप्ता को बधाई, जो न्यायपूर्ण और टिकाऊ दुनिया पर उनके उत्कृष्ट और अग्रणी काम के लिए डच विज्ञान में सर्वोच्च सम्मान है."
हर साल, नीदरलैंड में काम करने वाले स्कॉलर, जो अंतर्राष्ट्रीय स्टैंडर्ड के अनुसार दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ रिसर्चर में से एक हैं को स्पिनोज़ा पुरस्कार दिया जाता है. यह डच शिक्षा जगत में सर्वोच्च सम्मान है. विशेष रूप से स्पिनोज़ा पुरस्कार वैज्ञानिक अनुसंधान और संबंधित गतिविधियों पर खर्च किया जाने वाला 1.5 मिलियन यूरो का वार्षिक पुरस्कार है.
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