विज्ञापन
This Article is From Apr 14, 2023

Arunachal Border Clash: अरुणाचल प्रदेश पर चीन के बयान का भारत ने कैसे दिया जवाब?

चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत बताता है. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन आज तक मुद्दा सुलझ नहीं पाया.

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन गतिरोध बरकरार है.

नई दिल्ली:

भारत ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के बयान को सिरे से खारिज कर दिया है. चीन ने गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के अरुणाचल प्रदेश के दौरे को उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन बताया था. अमित शाह ने सोमवार को चीन की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के किबिथू गांव में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम' की शुरुआत की और चीन को करारा जवाब दिया. शाह ने कहा, "कोई भी भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल नहीं उठा सकता है. कोई हमारी एक इंच जमीन भी नहीं ले सकता है. अब वो जमाना चला गया, जब भारत की जमीन पर कोई भी कब्जा कर सकता था." आखिर चीन अरुणाचल प्रदेश पर क्यों नजरें गड़ाए बैठा है? भारत का इसमें क्या स्टैंड है? आइए जानते हैं इस स्पेशल रिपोर्ट में:-

दरअसल, पिछले हफ्ते ही चीन ने अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदले थे. इसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था. इसके बाद अमित शाह का दौरा हुआ. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- 'कोई भी सुई की नोक बराबर भी हमारी जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता.' इससे पहले चीन ने 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अरुणाचल जाने पर भी विरोध जताया था. 2020 में गृह मंत्री अमित शाह के अरुणाचल जाने पर भी चीन ने आपत्ति जताई थी.

विदेश मंत्रालय ने कहा- सच्चाई नहीं बदलने वाली
चीन के बयान को खारिज करते हुए भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची कहा, 'हम चीन के आधिकारिक प्रवक्ता की गई टिप्पणियों को पूरी तरह से खारिज करते हैं. भारतीय नेता और मंत्री नियमित रूप से अरुणाचल प्रदेश राज्य की यात्रा करते हैं, जैसा कि वे भारत के किसी अन्य राज्य में करते हैं." 

अरुणाचल भारत का अभिन्न हिस्सा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाजित हिस्सा था, है और रहेगा. इस तरह की यात्राओं पर आपत्ति करना तर्कसंगत नहीं है. इससे उपरोक्त वास्तविकता नहीं बदलेगी."

तिब्बत के पूर्व राष्ट्रपति लोबसांग सांगेय ने दी प्रतिक्रिया
इस मामले पर NDTV ने अपने खास प्रोग्राम 'इंडिया ग्लोबल' पर तिब्बत के पूर्व राष्ट्रपति लोबसांग सांगेय से बात की.अरुणाचल में 2017 और 2023 में चीन ने कुछ जगहों के नाम बदल दिए थे. इससे जुड़े एक सवाल के जवाब में सांगेय ने बताया, "ये चीन की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था. क्योंकि चीन दुनिया में नंबर वन देश बनना चाहता है. चीन भारत में दुनिया का नंबर 2 ताकतवर देश होने की संभावना देखता है. ऐसे में अगर कभी चीन और भारत के बीच युद्ध के हालात बनते हैं, तो यह जंग डोकलाम या गलवान को लेकर नहीं होगी, बल्कि दोनों देशों के बीच जंग अरुणाचल प्रदेश को लेकर ही होगी."

चीन के लिए अरुणाचल इसलिए अहम
सांगेय आगे बताते हैं, "अरुणाचल में इंफ्रास्ट्रक्टर है. मिलिट्री एयरफील्ड हैं. टाउनशिप है. इसका फायदा जाहिर तौर पर चीन उठाना चाहेगा. वहीं, यहां से रेलवे लाइन की कनेक्टिविटी भी है; जो चीन को आकर्षित करती है. चीन अरुणाचल में जगहों के नाम को नहीं बदल रहा, बल्कि वह यहां के पुराने नामों को रिवाइव कर रहा है. ऐसा करके चीन लीगल केस तैयार कर रहा है. ताकि जब कभी मामला इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (अंतरराष्ट्रीय अदालत) में जाए, तो चीन अपना ट्रैक रिकॉर्ड दिखा सके. साथ ही यह बता सके कि ये सारी जगहें तिब्बत में आती हैं और भारत ने तिब्बत को चीन के स्वायत्त देश के तौर पर स्वीकार कर लिया है. ऐसे में अगर तिब्बत चीन का हिस्सा है, जैसा कि भारत मानता है. ऐसे में ये जगहें दक्षिण तिब्बत में आती है और आखिर में तिब्बत ही चीन के तहत आता है."


यहां तक ​​कि पूर्वी लद्दाख में भी चीन के साथ गतिरोध लगातार तीसरे साल भी जारी है. चीन ने लद्दाख में एलएसी पर और अरुणाचल में एक साथ मोर्चा खोलने की कोशिश की है.

ये भी पढ़ें:-

"कोई हमारी जमीन नहीं ले सकता": अरुणाचल में चीन की आपत्ति के बीच बोले गृह मंत्री अमित शाह

‘मनगढ़ंत' नाम रखने से जमीनी हकीकत नहीं बदलेगी : अरूणाचल मुद्दे पर भारत

"इससे सच्चाई नहीं बदलेगी...": अमित शाह के अरुणाचल दौरे पर चीन की आपत्ति पर भारत की दो टूक



 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com