
हर साल पहली अप्रैल को लोग किसी न किसी बहाने अचानक हंस ही पड़ते हैं. अप्रैल फूल्स डे के नाम से मशहूर इस तारीख को अनौपचारिक तौर पर छुट्टी और हल्के-फुल्के दिन के रूप में ही मनाया जाता है. पूरी दुनिया में पॉपुलर अप्रैल फूल्स डे को लोग एक-दूसरे से चुटकुले शेयर करने, मजाक करने और दिल खोलकर हंसने का दिन मानते हैं. आमतौर पर जिनसे लंबे समय तक भेंट-मुलाकात न हो पाई हो उनसे भी रिश्ते को ताजा करने के लिए अप्रैल फूल्स डे को एक शानदार मौका माना जाता है.
भारत में क्यों मनाया जाने लगा अप्रैल फूल्स डे? (Why is April Fools' Day celebrated in India?)
दुनिया के कई देशों में हो सकता है कि इस दिन काम या स्कूल-कॉलेज से छुट्टी न मिले, लेकिन यह हंसी-मज़ाक के साथ माहौल को हल्का-फुल्का बनाने और यहां तक कि उन लोगों के साथ भी प्रैंक करने का एक सही अवसर है, जिनके साथ लोग आम तौर पर घुलते-मिलते नहीं हैं.पॉपुलर कल्चर, इंटरनेट और मीडिया में प्रचार और मान्यता के कारण भारत में भी अप्रैल फूल्स डे को बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है.आइए, जानते हैं कि 1 अप्रैल को अप्रैल फूल्स डे क्यों मनाते हैं? साथ ही इस खास दिन के इतिहास और अहमियत के बारे में भी जानते हैं.
क्यों रहता है अप्रैल फूल्स डे का इंतजार? (Why do we wait for April Fools' Day?)
ज़्यादातर लोगों के पास अप्रैल फूल्स डे से जुड़ी बचपन की यादें होती ही हैं. परिवार, रिश्तेदार और दोस्तों के साथ 1 अप्रैल को की गई शरारत सबके चेहरे पर मुस्कुराहट ला देती है. 'अप्रैल फूल बनाया, बड़ा मज़ा आया' या 'तो उनको गुस्सा आया' जैसे जुमलों के लिए इस दिन का शरारती लोगों को बेसब्री से इंतज़ार रहता है. इस दिन कई लोग अपने करीबियों को हैरान करने के लिए नए-नए तरीके खोजते हैं और फिर बाद में उनकी प्रतिक्रिया को देखकर मजा लेते हैं.
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अप्रैल फूल्स डे क्यों मनाते हैं? (Why do we celebrate April Fools' Day?)
सदियों से 1 अप्रैल को अप्रैल फूल्स डे मनाए जाने की वजह के साथ कई कहानियां जुड़ी हुई हैं.इनमें सबसे लोकप्रिय कहानियां 16वीं शताब्दी के फ्रांस से जुड़ी हैं. ट्रेंट काउंसिल द्वारा 1563 में तय किए जाने के बाद फ्रांस ने साल 1582 में जूलियन कैलेंडर से ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाया. इस बदलाव से पहले, नया साल मार्च के अंत से अप्रैल के बीच तक पड़ने वाले वसंत महोत्सव के समय मनाया जाता था. कैलेंडर बदलने के बाद नए साल की शुरुआत जनवरी में होने लगी.
इस बदलाव को लागू होने में कुछ समय लगा, क्योंकि कई लोगों ने या तो नई तारीख को स्वीकार करने से इनकार कर दिया या बदलाव के बारे में अनजान रहे. जो लोग मार्च के आखिरी सप्ताह या वसंत के दौरान 1 अप्रैल को नया साल मनाते रहे, वे उन लोगों द्वारा मज़ाक और धोखे का पात्र बन गए, जिन्होंने नए कैलेंडर को मानना शुरू कर दिया था. उनका उपहास और मजाक उड़ाए जाने के लिए उन लोगों को अप्रैल फूल कहा जाता था.
अप्रैल फूल्स डे का इतिहास क्या है? (What is the history of April Fools' Day?)
इस दिन की शुरुआत का संकेत देने वाला एक और रेफरेंश फ्लेमिश कवि एडुआर्ड डी डेने की 1561 में लिखी एक कविता में मिलता है. इस कविता में एक रईस शख्स के बारे में बताया गया है, जिसने 1 अप्रैल को अपने नौकर को मूर्खतापूर्ण कामों के लिए भेजा था.
अप्रैल फूल्स डे की उत्पत्ति का एक सिलसिला मार्च के अंत में मनाए जाने वाले हिलारिया जैसे प्राचीन रोमन त्योहारों और लगभग उसी समय भारत में मनाई जाने वाली होली से भी जुड़ता है. हिलारिया के दौरान भी मौजूदा दौर की तरह ही लोग भेष बदलकर एक-दूसरे का मजाक उड़ाते थे. ऐसे ही होली पर भी हल्की-फुल्की बातचीत, हंसी-मज़ाक और रंग-गुलालों के साथ मौज-मस्ती करने की परंपरा चलती आ रही है.
अप्रैल फूल्स डे का कितना महत्व है? (How important is April Fools' Day?)
हंसी-मजाक के लिए समर्पित अप्रैल फूल्स डे हर साल एकरस होती जा रही रूटीन लाइफ से एक बहुत ज़रूरी ब्रेक देता है. इसके अलावा अपने दोस्तों और नजदीकी लोगों के साथ कुछ मौज-मस्ती करने का मौका भी देता है. डिजिटल युग में, अप्रैल फूल्स डे ने ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म और सोशल मीडिया नेटवर्क के साथ हंसी-मजाक या प्रैंक करने का नया तरीका भी हासिल कर लिया है. हालांकि, इस दिन दूसरों के साथ शरारत करने वाले लोगों को यह समझना चाहिए कि हर कोई मजाक का निशाना बनना पसंद नहीं करता है. इसलिए, हंसी-मजाक करते समय भी सामाजिक दायरों का ख्याल रखना चाहिए.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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