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नवजात शिशुओं में क्यों होता है TEF, जानिए इस गंभीर स्थिति के लक्षण कारण और इलाज से जुड़ी अहम बातें

Tracheoesophageal Fistula: ट्रेकियोसोफेगल फिस्टुला सुनने में डराने वाला ज़रूर है, लेकिन आज के दौर में इसका इलाज पूरी तरह मुमकिन है. अगर समय रहते सही कदम उठाया जाए तो बच्चा सामान्य जीवन जी सकता है. 

नवजात शिशुओं में क्यों होता है TEF, जानिए इस गंभीर स्थिति के लक्षण कारण और इलाज से जुड़ी अहम बातें
Tracheoesophageal Fistula: जानें क्या है TEF, इसके लक्षण और कारण.

Tracheoesophageal Fistula: हर माता-पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ जन्म ले. लेकिन कुछ मामलों में जन्म के समय ही कुछ गंभीर परेशानी सामने आ जाती है. ट्रेकियोसोफेगल फिस्टुला (TEF) एक ऐसी ही स्थिति है जो बहुत कम बच्चों में देखने को मिलती है, लेकिन अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह जानलेवा हो सकती है. आइए जानते हैं आज के इस आर्टिकल में ट्रेकियोसोफेगल फिस्टुला के बारे में विस्तार से. 

ट्रेकियोसोफेगल फिस्टुला (Tracheoesophageal Fistula)

TEF क्या होता है?
शरीर में दो अलग-अलग नलियां होती हैं एक जिससे खाना पेट में जाता है (जिसे अन्ननली कहा जाता है) और दूसरी जिससे हवा फेफड़ों में जाती है (जिसे सांस की नली कहा जाता है). ट्रेकियोसोफेगल फिस्टुला में इन दोनों नलियों के बीच एक ग़लत रास्ता बन जाता है, जिसकी वजह से खाना या दूध फेफड़ों में चला जाता है. इससे शिशु को सांस लेने में परेशानी होने लगती है.

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यह परेशानी कैसे दिखती है?
-दूध पिलाते समय खांसी या घुटन.
-मुंह से बार-बार झाग या लार निकलना.
-सांस लेते समय आवाज़ आना.
-खाना निगलने में परेशानी.
-त्वचा का नीला पड़ जाना.
-बार-बार फेफड़ों में संक्रमण होना.
अगर इनमें से कोई भी लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. शुरुआत में लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है.

TEF किस कारण होता है?
TEF जन्म से होता है, यानी बच्चा इसे गर्भ में ही लेकर आता है. यह कोई संक्रमण या बीमारी के कारण नहीं होता बल्कि भ्रूण के विकास के समय कोई गड़बड़ी होने पर ऐसा हो सकता है. कई बार यह दूसरी समस्याओं जैसे दिल में छेद, पेट की बनावट में गड़बड़ी या रीढ़ की हड्डी की बनावट से भी जुड़ा होता है.

इसके कितने प्रकार होते हैं?
TEF के अलग-अलग प्रकार होते हैं, जो इस पर निर्भर करते हैं कि दोनों नलियां कहां और कैसे जुड़ी हैं. इनमें सबसे आम है टाइप C, जिसमें ऊपरी अन्ननली बंद होती है और निचली हिस्सा सांस की नली से जुड़ जाता है. इस वजह से बच्चा न तो सही से खाना निगल पाता है और न ही सांस ले पाता है.

इसका इलाज क्या है?
इसका इलाज सिर्फ सर्जरी से ही संभव है. डॉक्टर सबसे पहले बच्चे को सांस की मदद और दूध पिलाने के लिए विशेष ट्यूब लगाते हैं ताकि फेफड़ों में दूध न जाए. इसके बाद सर्जरी करके दोनों नलियों को अलग किया जाता है और सही से जोड़ा जाता है. सर्जरी के बाद बच्चे को कुछ दिन तक गहन निगरानी में रखा जाता है. डॉक्टर नियमित जांच करते हैं ताकि यह देखा जा सके कि बच्चा ठीक से खाना निगल पा रहा है या नहीं. कई बार फीडिंग थेरेपी की ज़रूरत भी होती है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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