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Explainer: क्या होता है शरीर में जब सोरायसिस के लक्षण अचानक बढ़ते हैं? जानें कैसे करता है रिएक्ट

सोरायसिस सिर्फ एक स्किन की समस्या नहीं है. इस समस्या में इंसान की स्किन पर लंबे समय तक सूजन बनी रहती है जो आंखों, जोड़ों और जठरांत्र (GI) ट्रैक जैसे अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है.

Explainer: क्या होता है शरीर में जब सोरायसिस के लक्षण अचानक बढ़ते हैं? जानें कैसे करता है रिएक्ट
क्या होता है शरीर में जब सोरायसिस के लक्षण अचानक बढ़ते हैं?

Body Reaction During Psoriasis Flare: सोरायसिस एक स्किन से जुड़ी समस्या है, जिसमें स्किन पर मोटे या उभरे हुए कुछ निशान होते हैं, जो अक्सर सफेद परत से ढंके होते हैं. ये पैच हल्की स्किन पर लाल या गुलाबी रंग के हो सकते हैं, जबकि डार्क रंग की स्किन पर इनका रंग भूरा या बैंगनी सा हो सकता है. सोरायसिस के कई प्रकार होते हैं, लेकिन प्लाक सोरायसिस सबसे आम है, जो सोरायसिस से पीड़ित लगभग 80-90% लोगों में देखने को मिलता है.

सोरायसिस के लक्षण बढ़ने पर शरीर कैसे रिएक्ट करता है?

स्किन पर होने वाले लक्षण सोरायसिस के सबसे स्पष्ट संकेत होते हैं, लेकिन इस कंडिशन में होने वाली सूजन शरीर के अन्य हिस्सों पर भी असर डाल सकती है. सोरायसिस के लक्षणों के अचानक बढ़ने पर शरीर में क्या होता है, जिसे हम फ्लेयर-अप कहते हैं. फ्लेयर-अप वह समय होते हैं जब सोरायसिस के लक्षण अचानक या अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाते हैं.

सोरायसिस शरीर के अन्य हिस्सों को कैसे प्रभावित करता है?

सोरायसिस केवल स्किन तक सीमित नहीं रहता. यह आंखों, जोड़ों और गैस्ट्रोइंटेस्टीनल (GI) और अन्य पुरानी दिल की बीमारी का खतरा भी बढ़ा सकता है.

आंखों से संबंधित समस्याएं

2021 की एक रिव्यू रिपोर्ट के अनुसार, सोरायसिस से जुड़ी समस्याओं में मुख्य है आंखों की समस्या.
जिसमें इंसान को केराटोकंजंक्टिवाइटिस सिका (dry eye syndrome): सूखी आंखों की समस्या का होना.
ब्लेफेराइटिस: पलक की सूजन
कंजंक्टिवाइटिस: आंख के सफेद हिस्से पर स्थित पारदर्शी परत की सूजन
उवीआइटिस: आंख के मध्य भाग की सूजन

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जोड़ों से संबंधित समस्याएं

सोरायसिस, एक सोरियाटिक रोग का हिस्सा है इसमें सोरियाटिक आर्थराइटिस (PsA) भी शामिल है. सोरायसिस और PsA अलग-अलग कंडिशन्स हैं, लेकिन क्योंकि ये अक्सर साथ में दिखाई देती हैं और सूजन से जुड़े ट्रैक शेयर करते हैं, तो स्पेशलिस्ट भी इन्हें अलग-अलग नहीं मान कर एक ही रूप में देखते हैं. रिसर्च के अनुसार, सोरायसिस से पीड़ित लगभग 40% लोगों में PsA की समस्या देखी गई है.

सोरायसिस का संबंध एक्सीएल स्पोंडीलोआर्थ्राइटिस (axSpA or axial spondyloarthritis) से भी है, जो रीढ़ की हड्डी और पेल्विस में सूजन का कारण बनता है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि axSpA होनें में सोरायसिस कहां तक जिम्मेदार है या फिर है भी या नहीं? 2023 के एक रिसर्च के अनुसार लगभग 10% लोग जो axSpA से पीड़ित हैं, वे सोरायसिस से भी प्रभावित होते हैं.

गैस्ट्रोइंटेस्टीनल (GI) समस्याएं

सोरायसिस सूजन से होने वाली आंतों की बीमारी (IBD), जिसमें क्रोहन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस शामिल हैं, से भी जुड़ा हो सकता है. साल 2022 की एक रिव्यू रिपोर्ट के अनुसार, सोरायसिस से पीड़ित व्यक्तियों में IBD होने का खतरा आम लोगों की तुलना में अधिक होता है. इसके अलावा, पेट में दर्द, सूजन, गैस, और दस्त जैसी पाचन समस्याएं सोरायसिस में आम बात हैं. 

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सोरायसिस में सूजन का क्या रोल है?

सोरायसिस और इसके शरीर पर दूसरे प्रभावों का मुख्य कारण सूजन है. हालांकि सोरायसिस के कारण स्पष्ट नहीं हैं, यह केवल स्किन तक सीमित नहीं है. सोरायसिस एक इम्यून-मेडिएटेड कंडिशन है, जिसका मतलब है कि ओवर एक्टिव इम्यून प्रतिक्रिया के कारण स्किन सेल्स में असामान्यताएं होना.

फ्लेयर-अप के दौरान लक्षण क्यों बढ़ते हैं?

सोरायसिस का फ्लेयर-अप वह समय होता है जब लक्षण अचानक बढ़ जाते हैं, अक्सर बिना किसी वॉर्निंग के.
फ्लेयर-अप उन ट्रिगर के कारण होते हैं जो शरीर में पहले से चल रही सूजन रिएक्शन को और बढ़ा देते हैं. कुछ सामान्य ट्रिगर में शामिल हैं: 
तनाव, चोट या जलन, शराब का सेवन, धूम्रपान, वेदर एक्सट्रीमस्, संक्रमण, दवाइयां आदि. 
फ्लेयर-अप में शरीर उसी तरह सूजन बढ़ाता है जैसे सोरायसिस में होता है, लेकिन इस बार ट्रिगर के कारण बहुत ज्यादा सूजन बढ़ होती है, जो पहले से मौजूद सूजन को और बढ़ा देती है.

सूजन और बढ़ती हेल्थ रिस्क

लंबे समय से हो रही सूजन से कई दूसरी इसके समान रिस्क बढ़ सकता है, जिन्हें कॉमॉर्बिडिटी (comorbidity) कहा जाता है.

सोरायसिस में सामान्य कॉमॉर्बिडिटी में शामिल हैं:

दिल से जुड़ी बीमारी (CVD): दिल और ब्लड वेसेल्स से जुड़े रोग, जैसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज, स्ट्रोक, और हार्ट फेलियर.
मेटाबोलिक सिंड्रोम: ऐसी कंडीशन का कॉम्बीनेशन जो गंभीर हेल्थ इशूस जैसे डायबटीज, स्ट्रोक, और दिल से जुड़ी परेशानी के रिस्क को बढ़ाता है. इसमें पेट की एक्स्ट्रा चर्बी, हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, हाई ब्लड ट्राइग्लिसराइड्स, लो एचडीएल कोलेस्ट्रॉल आदि शामिल हैं.
मोटापा: अत्यधिक शरीर के फैट का एक्यूमुलेशन है, जो हेल्थ के लिए खतरे का कारण बन सकता है.
टाइप 2 डायबिटीज़: जब शरीर इंसुलिन के लिए प्रतिरोधी हो जाता है या पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता.
डिप्रेशन: मानसिक हेल्थ डिस्ऑर्डर, जिसमें उदासी, एनर्जी की कमी और सेल्फ मोटीवेटेड एक्टिविटी की कमी होती है.
एंग्जायटी: चिंता और तनाव की कंडिशन, जो अगर लंबे समय तक बनी रहती है, तो एंग्जायटी डिस्ऑर्डर का रूप ले सकती है.
फेफड़ों की बीमारी: ऐसी कंडिशन्स हैं जो एयरवेज और लंग्स टिशूज को प्रभावित करती हैं, जैसे:
अस्थमा, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया
पल्मोनरी हाइपरटेंशन.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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