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बाईपास सर्जरी क्या होती है और इसकी जरूरत कब पड़ती है? जानिए कितना होता है रिस्क

Heart Surgery: बाईपास सर्जरी एक प्रभावी इलाज है, जो हार्ट डिजीज में लाइफ बचाने में सहायक है. यह तब की जाती है जब कोरोनरी आर्टरीज में ब्लॉकेज हो जाता है.

बाईपास सर्जरी क्या होती है और इसकी जरूरत कब पड़ती है? जानिए कितना होता है रिस्क
Bypass Surgery: ये एक सामान्य हार्ट सर्जरी है.

What Is Bypass Surgery: बाईपास सर्जरी, जिसे कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्ट (CABG) भी कहा जाता है, ये एक सामान्य हार्ट सर्जरी है. यह तब की जाती है जब कोरोनरी आर्टरीज में ब्लॉकेज हो जाता है. इस स्थिति में हार्ट को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण देने के लिए ब्लड फ्लो रिस्ट्रिक्ट हो जाता है, जिससे हार्ट अटैक या अन्य गंभीर हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है. सर्जरी के दौरान, ब्लॉकेज को बायपास करने के लिए शरीर के किसी अन्य हिस्से (जैसे पैर, छाती या हाथ) से एक हेल्दी नस या आर्टरी ली जाती है. यह नई नस ब्लड फ्लो को एक वैकल्पिक रास्ता देती है, जिससे हार्ट को जरूरी ब्लड और ऑक्सीजन मिल सके.

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बाईपास सर्जरी की जरूरत कब पड़ती है? | When Is Bypass Surgery Needed?

  • कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD): जब हार्ट आर्टरीज में ब्लॉकेज हो और एंजियोप्लास्टी या स्टेंट लगाने से मदद न मिले.
  • अंग या हार्ट डैमेज: जब ब्लड फ्लो की कमी के कारण हार्ट मसल्स कमजोर हो जाती हैं.
  • बार-बार छाती में दर्द (एंजाइना): अगर दवाओं या अन्य उपचारों से दर्द कम न हो.
  • मल्टीपल ब्लॉकेज: जब एक से अधिक धमनियां ब्लॉक हो चुकी हों.
  • इमरजेंसी कंडिशन: हार्ट अटैक के दौरान अगर अन्य ट्रीटमेंट ऑप्शन पर्याप्त न हों.

बाईपास सर्जरी की प्रक्रिया | Bypass Surgery Procedure

  • तैयारी: सर्जरी से पहले ब्लड टेस्ट, ECG और एंजियोग्राफी जैसी जांच की जाती है.
  • सर्जरी: मरीज को जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है. सर्जन ब्लॉकेज के लिए नई नस या आर्टरी जोड़ता है.
  • रिकवरी: सर्जरी के बाद मरीज को ICU में कुछ दिनों तक निगरानी में रखा जाता है और फिर सामान्य वॉर्ड में शिफ्ट किया जाता है.

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बाईपास सर्जरी से जुड़े रिस्क | Risks Associated With Bypass Surgery

हर सर्जरी की तरह बाईपास सर्जरी के भी कुछ रिस्क हो सकते हैं. हालांकि, आधुनिक तकनीकों और विशेषज्ञता ने इन्हें काफी हद तक कम कर दिया है.

  • इन्फेक्शन: सर्जरी के घाव में संक्रमण हो सकता है.
  • ब्लड क्लॉट: सर्जरी के बाद ब्लड क्लॉटिंग बनने का खतरा रहता है, जिससे स्ट्रोक हो सकता है.
  • सर्जरी असफलता: अगर नई नस सही तरीके से काम न करे.
  • ब्लीडिंग: बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने का खतरा रहता है.
  • मेमोरी लॉस: कुछ मरीजों में सर्जरी के बाद अस्थायी रूप से स्मरण शक्ति या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है.
  • हार्ट अटैक: दुर्लभ मामलों में सर्जरी के दौरान या बाद में हार्ट अटैक हो सकता है.

बाईपास सर्जरी के बाद लाइफस्टाइल में बदलाव | Lifestyle Changes After Bypass Surgery

  • हेल्दी डाइट: लो फैट और लो कोलेस्ट्रॉल वाला भोजन.
  • रेगुलर एक्सरसाइज: डॉक्टर की सलाह से हल्की फिजिकल एक्टिविटी शुरू करें.
  • धूम्रपान और शराब से बचाव.
  • स्ट्रेस मैनेजमेंट: मेडिटेशन और योग से मदद मिल सकती है.
  • दवाइयां: डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं का सेवन.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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