
Hearing aids Benefits: एक नई स्टडी से पता चलता है कि 70 साल की उम्र से पहले श्रवण यंत्रों का उपयोग करने से मनोभ्रंश का खतरा 61 प्रतिशत तक कम हो सकता है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर के कई अंगों की कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है. इनमें से एक है सुनने की क्षमता, जो अक्सर 60 की उम्र के बाद कमजोर होने लगती है. बहुत से लोग इसे सामान्य उम्र का असर मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन हाल ही में आई एक नई स्टडी ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया है. अध्ययन में पाया गया है कि अगर कोई व्यक्ति 70 साल की उम्र से पहले श्रवण यंत्र (hearing aid) का इस्तेमाल शुरू कर देता है, तो उसके डिमेंशिया (मनोभ्रंश) का खतरा 61 प्रतिशत तक कम हो सकता है. यह आंकड़ा न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि यह बताता है कि सुनने की क्षमता और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है.
तो आइए आसान भाषा में समझते हैं कि यह स्टडी क्या कहती है, और क्यों समय पर सुनने की मशीन का इस्तेमाल करना आपके दिमाग को लंबे समय तक हेल्दी रख सकता है.
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क्या है डिमेंशिया और इसका सुनने से क्या संबंध है?
डिमेंशिया एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति की याददाश्त, सोचने की क्षमता और निर्णय लेने की शक्ति धीरे-धीरे कमजोर हो जाती है. यह आमतौर पर बुजुर्गों में देखा जाता है, लेकिन इसकी शुरुआत कई बार 60 की उम्र के आसपास ही हो जाती है.
सुनने की क्षमता कम होने से डिमेंशिया कैसे बढ़ता है?
- जब व्यक्ति ठीक से सुन नहीं पाता, तो वह सामाजिक बातचीत से दूर होने लगता है.
- यह आइसोलेशन दिमाग पर असर डालता है और मेंटल एक्टिविटी को कम कर देता है.
- लंबे समय तक ऐसा रहने पर दिमाग की कार्यक्षमता घटने लगती है, जिससे डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है.
स्टडी क्या कहती है?
अमेरिका में हुई इस स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों ने 70 साल से पहले श्रवण यंत्र का इस्तेमाल शुरू किया, उनमें डिमेंशिया के मामले काफी कम पाए गए. श्रवण यंत्र से व्यक्ति फिर से सामाजिक रूप से सक्रिय हो जाता है. दिमाग को ध्वनि और संवाद मिलते रहते हैं, जिससे उसकी कार्यक्षमता बनी रहती है. इससे मेमोरी लॉस और मानसिक कमजोरी की संभावना घटती है.
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क्या करना चाहिए?
- अगर आपके माता-पिता या कोई बुजुर्ग सुनने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें.
- ENT डॉक्टर से चेक कराएं.
- जरूरत पड़ने पर हियरिंग एड का इस्तेमाल शुरू करें, चाहे उम्र 60 हो या उससे कम.
सुनने की क्षमता सिर्फ कानों तक सीमित नहीं है. यह हमारे दिमाग और सामाजिक जीवन से भी जुड़ी हुई है. नई स्टडी ने यह साबित कर दिया है कि समय पर श्रवण यंत्र का इस्तेमाल न सिर्फ सुनने की समस्या को हल करता है, बल्कि डिमेंशिया जैसी गंभीर मानसिक बीमारी से भी बचा सकता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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