Diabetes Treatment: टाइप 2 डायबिटीज शरीर में शुगर (ग्लूकोज) को कंट्रोल करने और फ्यूल के रूप में उपयोग करने के तरीके में एक हानि है. इस स्थिति के परिणामस्वरूप ब्लड फ्लो में बहुत अधिक शुगर का संचार होता है. आखिरकार हाई ब्लड शुगर लेवल संचार, तंत्रिका और इम्यूव सिस्टम के विकारों को जन्म दे सकता है. टाइप 2 डायबिटीज में मुख्य रूप से दो परस्पर संबंधित समस्याएं होती हैं. आपका अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है. एक हार्मोन जो आपकी कोशिकाओं में शुगर की गति को कंट्रोल करता है और कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति खराब प्रतिक्रिया करती हैं और कम शुगर लेती हैं. ऐसे में डायबिटीज के लिए दवाओं की जरूरत पड़ती है. हालांकि अभी तक कोई ऐसी दवा नहीं है जो डायबिटीज का इलाज कर पाए. हाल ही के एक शोध से पता चला है कि एक आयुर्वेदिक दवा डायबिटीज में शुगर लेवल कंट्रोल करने में मदद कर सकती है.
कैसे कर सकते हैं डायबिटीज को मैनेज | How Can You Manage Diabetes
टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह दोनों ही बचपन और वयस्कता के दौरान शुरू हो सकते हैं. टाइप 2 वृद्ध वयस्कों में अधिक आम है, लेकिन मोटापे से ग्रस्त बच्चों की संख्या में वृद्धि के कारण कम उम्र के लोगों में टाइप 2 डायबिटीज के अधिक मामले सामने आए हैं. टाइप 2 मधुमेह का कोई इलाज नहीं है, लेकिन वजन कम करना, अच्छा खाना और व्यायाम करना आपको इस बीमारी को मैनेज करने में मदद कर सकता है. अगर डाइट और व्यायाम आपके ब्लड शुगर को मनेज करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, तो आपको डायबिटीड की दवाओं या इंसुलिन थेरेपी की भी जरूरत हो सकती है.
डायबिटीज में कारगर है आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34!
मधुमेह को कंट्रोल करने में आयुर्वेदिक दवाओं पर शोध सीमित हैं, जिसके चलते उनका इस्तेमाल अभी भी सीमित है. लेकिन जो अध्ययन हुए हैं वह दर्शाते हैं कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की कसौटी पर परखे गए आयुर्वेद के फार्मूले एलोपैथिक दवाओं से भी कहीं ज्यादा कारगर निकल रहे हैं. एक ताजा शोध में मधुमेह रोधी एलोपैथिक दवा सीटाग्लिप्टिन तथा आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34 का डायबिटीज रोगियों पर प्रभाव देखा गया. साथ ही यह भी पाया कि बीजीआर-34 न सिर्फ मधुमेह रोगियों में शर्करा का स्तर कम करती है बल्कि अग्नाशय में बीटा कोशिकाओं की कार्यप्रणाली में भी सुधार करती है.
पंजाब में चितकारा विश्वविद्यालय के कॉलेज आफ फार्मेसी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने डायबिटीज से ग्रस्त सौ रोगियों पर चौथे चरण के क्लिनिकल ट्रायल किए. सर्बियन जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल एंड क्लिनिक रिसर्च में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार मरीजों को दो समूह में रखा गया और डबल ब्लाइंड ट्रायल किए गए. यानी बिना जानकारी के कुछ मरीजों को सीटाग्लिप्टिन तथा कुछ को बीजीआर-34 दी गई. इसके बाद कुछ दिन तक निगरानी के बाद जब परिणाम सामने आया तो पता चला कि डायबिटीज उपचार में बीजीआर-34 दवा काफी असरदार है. पहले नतीजे में ग्लाइकेटेड हेमोग्लोबिन (एचबीए1सी) के बेसलाइन में गिरावट आने की जानकारी मिली जोकि चिकित्सीय तौर पर सकारात्मक है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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