विज्ञापन

ये Yogasan आपकी प्रेग्नेंसी को बना सकते हैं आसान पर...संभलकर करें

विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था में योग शरीर को लचीला बनाता है, इम्यूनिटी बढ़ाता है, लेकिन याद रखें कि कोई भी आसन शुरू करने से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श जरूरी है. अपने शरीर की सुनें.

ये Yogasan आपकी प्रेग्नेंसी को बना सकते हैं आसान पर...संभलकर करें
योग का अभिन्न अंग है ध्यान. आयुष मंत्रालय प्राणायाम और मेडिटेशन को गर्भावस्था में अनिवार्य बताता है.

गर्भावस्था एक महिला के लिए सबसे खूबसूरत पल होता है, लेकिन इसी के साथ ही महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव, वजन बढ़ना और थकान जैसी कई चुनौतियां आती हैं. आयुष मंत्रालय की सलाह है कि ऐसे में नियमित व्यायाम खासकर योग, मां और शिशु दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

यह भी पढ़ें

क्या आप भी रोज रोटी पर घी लगाकर खाते हैं, जान लीजिये पहले उसकी असलियत

योग के फायदे

योग न केवल दर्द कम करता है, बल्कि प्रसव प्रक्रिया को आसान बनाता है और मानसिक शांति प्रदान करता है. आइए जानें कुछ सुरक्षित योगासन जो गर्भावस्था के नौ महीनों को आरामदायक बना सकते हैं.

भद्रासन 

आयुष मंत्रालय के अनुसार यह आसन गर्भवती महिलाओं के लिए शारीरिक और मानसिक संतुलन को बेहतरीन बनाता है. इसे करने से कूल्हे, घुटने और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है. साथ ही, लचीलापन बढ़ता है, जिससे कमर दर्द और जोड़ों की अकड़न दूर होती है. गर्भावस्था में होने वाली सूजन और मासिक धर्म जैसी असुविधाओं में भी यह राहत देता है. यह आसन रोजाना 5-10 मिनट करने से शरीर डिलीवरी के लिए तैयार रहता है. बस, इसे सहजता से करें और जरूरत पड़ने पर कुशन का सहारा लें.

बद्धकोणासन

इसे बटरफ्लाई पोज भी कहते हैं. आयुष मंत्रालय बताता है कि यह कूल्हों और जांघों में खिंचाव लाता है और रक्त प्रवाह बेहतर करता है. इससे प्रसव प्रक्रिया सरल हो जाती है. पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है और कब्ज की शिकायत कम होती है. पीठ दर्द और पैरों में ऐंठन जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है. गर्भावस्था के मध्य चरण में यह विशेष रूप से फायदेमंद है. इसे बैठकर घुटनों को तितली की तरह फड़फड़ाते हुए करें, लेकिन डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए.

बालासन

बालासन भी एक कोमल आसन है. आयुष मंत्रालय की मानें तो गर्भवती महिलाएं इसे सावधानी से कर सकती हैं. यह तनाव घटाता है, पीठ के निचले हिस्से में आराम देता है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है, हालांकि पेट पर दबाव न पड़े, इसलिए घुटनों के नीचे तकिया रखें. योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही अपनाएं, खासकर तीसरे ट्राइमेस्टर में. यह आसन मां को शांत नींद और ऊर्जा प्रदान करता है.

ध्यान

योग का अभिन्न अंग है ध्यान. आयुष मंत्रालय प्राणायाम और मेडिटेशन को गर्भावस्था में अनिवार्य बताता है. रोजाना 10-15 मिनट ध्यान करने से चिंता, डिप्रेशन दूर होता है. शिशु का मस्तिष्क विकास बेहतर होता है. मां-बच्चे के बीच भावनात्मक बंधन मजबूत बनता है. सांस पर फोकस करें, सकारात्मक विचार लाएं, यही ध्यान का सार है.

विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था में योग शरीर को लचीला बनाता है, इम्यूनिटी बढ़ाता है, लेकिन याद रखें कि कोई भी आसन शुरू करने से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श जरूरी है. अपने शरीर की सुनें.


 

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com