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Smoking करने वाली महिलाएं हो जाएं सावधान, इनफर्टिलिटी सहित इन समस्याओं का करना पड़ सकता है सामना

Smoking Side Effects: धूम्रपान का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है. महिलाएं भी इसमें पीछे नहीं हैं. कई महिलाएं तो इस गफलत में हैं कि सिगरेट और शराब का सेवन उनके आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण का प्रतीक है.

Smoking करने वाली महिलाएं हो जाएं सावधान, इनफर्टिलिटी सहित इन समस्याओं का करना पड़ सकता है सामना
Smoking Side Effects: महिलाओं की सेहत पर पड़ता है धूम्रपान का बुरा असर.

धूम्रपान का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है. महिलाएं भी इसमें पीछे नहीं हैं. कई महिलाएं तो इस गफलत में हैं कि सिगरेट और शराब का सेवन उनके आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण का प्रतीक है. इस वजह से संभ्रांत वर्ग की कई महिलाएं सिगरेट और शराब को अपनी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बना चुकी हैं. यह सर्वव‍िदि‍त है क‍ि धूम्रपान स्‍वास्‍थ्‍य के ल‍िए हान‍िकारक है. चि‍क‍ित्‍सक भी इसके खतरे से चेताते रहते हैं.  11 अप्रैल को राष्ट्रीय मातृत्व सुरक्षित दिवस है. ऐसे में  गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर चौतरफा खुलकर बात हो रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, औसतन हर दिन 52 से 70 गर्भवती महिलाओं की मृत्यु प्रसव या उससे संबंधित जटिलताओं के कारण होती है.

हालांकि, केंद्र सरकार की तरफ से मातृत्व मृत्यु पर अंकुश लगाने के लिए अनेक योजनाओं की शुरुआत की गई है, जिसके सकारात्मक नतीजे भी देखने को मिल रहे हैं. लेकिन, मौजूदा समय में यह सवाल भी उठ रहा है कि जिस तरह से महिलाओं के बीच (खासकर कम उम्र की युवतियों के बीच) धूम्रपान का चलन बढ़ रहा है, उससे उनके गर्भावस्था के दौरान किस तरह का दुष्प्रभाव पड़ सकता है.

अगर कोई युवती अभी 18 साल की है और वो 25 साल की उम्र तक लगातार धूम्रपान करती है. इसके बाद जब उसकी शादी होगी और वो गर्भवती होगी, तो ऐसी स्थिति में उसके और उसके बच्चे के स्वास्थ्य पर किस तरह का दुष्प्रभाव पड़ सकता है. इसी को लेकर राष्ट्रीय मातृत्व सुरक्षा दिवस के मौके पर आईएएनएस ने डॉ. सीके बिरला अस्पताल के आस्था दयाल और फोर्टिस अस्पताल के डॉ. दीप्ति अस्थाना से खास बातचीत की.

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डॉ. आस्था दयाल बताती हैं कि धूम्रपान हर किसी के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. चाहे वो पुरुष हो या स्त्री, लेकिन जब स्त्री की आती है, तो उनके स्वास्थ्य और उनकी आंतरिक संरचना पुरुषों की तुलना में कई पहलुओं से भिन्न होती है. ऐसी स्थिति में उन्हें कई बातों का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि युवत‍ियां आगे चलकर मां बनेंगी, तो वो कई मामलों में पुरुषों से बेहद अलग हो जाती हैं.

डॉ. बताती हैं कि जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं, उनमें अन्य महिलाओं की तुलना में गर्भपात का खतरा ज्यादा होता है. धूम्रपान करने वाली महिलाओं में गर्भपात का खतरा 25 से 30 प्रतिशत ज्यादा रहता है. ऐसी स्थिति में महिलाओं को अपने बेहतर भविष्य के लिए धूम्रपान को छोड़ना अच्छा कदम साबित होगा. डॉ. के मुताब‍िक इसके साथ ही धूम्रपान करने वाली महिलाओं में प्रीमैच्योर डिलीवरी जैसी स्थिति भी देखने को मिलती है. ऐसी महिलाओं में 37 हफ्ते से पहले प्रसव की आशंका बनी रहती है. इस वजह से बच्चे को आईसीयू में रखा जाता है. बच्चा बहुत कमजोर होता है और उसे आगे चलकर भी स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

डॉ. आस्था बताती हैं कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं के बच्चे का वजन सामान्य रूप से कम देखा गया है. इसके अलावा, धूम्रपान करने वाली महिलाओं का बच्चा गर्भ में भी मर जाता है. धूम्रपान करने वाली महिलाओं के बच्चों को उचित पोषण नहीं मिल पाता है. कई बार यह मां और बच्चे दोनों की जान के लिए खतरा बन जाता है. आगे चलकर ऐसे बच्चों में अस्थमा की शिकायत देखने को मिलती है. इसके अलावा, ऐसे बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास अन्य बच्चों की तुलना में कम देखा गया है.

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डॉ. बताते हैं कि अगर कोई लड़की 18 से 25 साल की उम्र तक लगातार धूम्रपान करती है, तो ऐसी स्थिति में उसकी प्रजनन क्षमता कमजोर हो सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, धूम्रपान करने वाली लड़कियों के प्रेग्नेंट होने की क्षमता 30 प्रतिशत तक कम हो सकती है, क्योंकि धूम्रपान करने वाली महिलाओं का अंडा (एग) प्रभावित होता है. धूम्रपान में निकोटिन होता है, जिससे अंडों की गुणवत्ता प्रभावित होती है, ओव्यूलेशन प्रभावित हो सकता है. इसके अलावा, फैलोपियन ट्यूब भी डैमेज हो सकता है. ऐसी स्थिति में गर्भवती होना मुश्किल हो जाता है. इसके अलावा, ट्यूब में प्रेगनेंसी ठहरने की आशंका बढ़ जाती है और अगर एक बार फैलोपियन ट्यूब डैमेज हो गया तो फिर आईवीएफ से ही प्रेगनेंट होने का विकल्प बचता है.

डॉ. बताती हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत में दस लाख गर्भवती महिलाएं ऐसी होती हैं, जो धूम्रपान करती हैं. इसके अलावा, पांच प्रतिशत गर्भवती महिलाएं ऐसी होती हैं, जो तंबाकू का सेवन करती रहती हैं. वहीं, सिगरेट पीने वाली महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है और यह ऐसा कैंसर है, जो सिर्फ महिलाओं में ही होता है. इसके अलावा, धूम्रपान करने वाले पुरुषों के स्पर्म की क्वालिटी भी प्रभावित हो सकती है. इससे उनके प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ सकता है.

वहीं, डॉ. दीप्ती अस्थाना बताती हैं कि लंबे समय से धूम्रपान करने वाली महिलाओं को बांझपन की समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है. इससे उनके अंडे की गुणवत्ता कम हो सकती है. अगर ये महिलाएं गर्भवती हो जाती हैं, तो इनके बच्चे कम वजन के हो सकते हैं. ऐसे बच्चे आमतौर पर अस्वस्थ हो सकते हैं. डॉ. के मुताबिक, धूम्रपान करने वाली महिलाओं में अनियमित रूप से मासिक धर्म हो सकता है. डॉ. ने बताया कि धूम्रपान करना किसी भी महिला के सशक्तिकरण का प्रतीक नहीं हो सकता है. आज की तारीख में महिलाओं के बीच बढ़ती धूम्रपान की प्रवृत्ति चिंता का विषय है, जिस पर हम सभी को ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि महिलाएं आगे चलकर मां बनती हैं. महिलाएं परिवार की बैकबोन होती हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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