
Sickle cel: lभारत में सिकल सेल एनीमिया एक बड़ा संकट बनकर उभरा है और यही वजह है की पीएम मोदी ने 2047 तक देश से बीमारी के उन्मूलन का लक्ष्य रखा है. पीएम की मुहीम का असर अब जमीन पर भी दिख रहा है और यही वजह है की अब मरीजों की स्क्रीनिंग और इलाज को लेकर अभियान चलाया जा रहा है. सिकल सेल जैसी खतरनाक और जानलेवा बीमारी से लड़ने के लिए मोदी सरकार ने देश में सबसे बड़ा अभियान चलाया है. पीएम द्वारा शुरू की गई नेशनल सिकल सेल उन्मूलन मिशन के तहत अब प्रभावित इलाकों में तेजी से जांच और इलाज किया जा रहा है ताकी इस बीमारी से जंग जीती जा सके.
महाराष्ट्र के चंद्रपुर स्थित आईसीएमआर के सीआरएमसीएच केंद्र की डॉक्टर डॉ. प्रिया रानी (वैज्ञानिक सीआरएमसीएच) ने बताया कि वो लोग कैसे सिकल सेल एनीमिया का इलाज कर रहे हैं. यहां जब कोई मरीज आता है तो उसका सबसे पहले रजिस्ट्रेशन कराकर उससे पूरी डिटेल जानकारी ली जाती है. इस जानकारी को एक फाइल में इकट्ठा किया जाता है, फिर उसकी काउंसलिंग होती है. काउंसलिंग के बाद उसका ब्लड सैंपल लिया जाता है. ब्लड सैंपल को हेमेटोलॉजी लैब में लाकर उसकी सीबीसी यानी कंप्लीट ब्लड काउंट देखा जाता है. इससे पता चलता है कि ब्लड सैंपल में हीमोग्लोबिन कितना है, आरबीसी और डब्लूबीसी कितना है. यह प्रारंभिक जांच होती है. सिकल सेल की जांच के लिए हम एचपीएलसी रन करते हैं, जिससे हमें पिक्स मिलते हैं. फिर मॉलेक्युलर लैब में डीएनए की जांच की जाती है. ताकि यह पता किया जा सके कि उसके डीएनए में कोई बदलाव तो नहीं है जिसकी वजह से उसे बीमारी हो रही है.
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सिकल सेल का प्रभाव आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में बड़ी संख्या में हैं. ऐसे में बीमारी को लेकर कई तरह का भ्रम भी है, जिसकी वजह से लोग इलाज से दूर भागते हैं. लेकिन यहां आ रहे मरीजों को मुफ्त इलाज के साथ बीमारी के बारे में जागरूक भी किया जा रहा है.
सिकल सेल बीमारी क्या है?
सिकल सेल रोग एक अनुवांशिक खून की बीमारी है जिसमें रेड ब्लड सेल अर्धचंद्राका हो जाती हैं. इससे शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होती है जिससे थकान, दर्द, बुखार, और गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं.
सिकल सेल उन्मूलन को लेकर आईसीएमआर एनआईआईएच मुंबई और आईसीएमआर सीआरएमसीएच चंद्रपुर बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. इन दोनों ने मिलकर कम लागत वाली जांच किट्स तैयार की हैं जिनसे अब बीमारी की शुरुआती पहचान आसान हो गई है. सरकार की पहल का अब सकारात्मक असर भी दिख रहा है. देश में अब तक 5 करोड़ से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग हो चुकी है, जो ये बताता है कि भारत इस बीमारी के उन्मूलन की तरफ कितनी तेजी से बढ़ रहा है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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