Paracetamol Side Effects: एक ऐसी दवाई जो हर एक घर के अंदर आपको मिल जाएगी. सेफ मानी जाती है और बहुत कॉमनली यूज़ की जाती है. लेकिन दुनिया भर में सबसे ज्यादा लीवर डैमेज इसी की वजह से होते हैं. सोचिए आपको बुखार हुआ, सर में दर्द हुआ या आपकी तबीयत में आपको गिरावट महसूस हुई और आपने तुरंत एक गोली ले ली. यह सोचकर कि यह एकदम सेफ है. लेकिन असल में यह छोटी सी गोली आपकी बॉडी के अंदर स्लो पॉइजन बन सकती है. जी हां, यहां बात हो रही है पेरासिटामोल की. पेरासिटामोल के बारे में एक ऐसा सच जो कि बहुत से कम लोग जानते हैं और जिसकी वजह से यह मामूली सी दिखने वाली दवा जानलेवा बन सकती है. डॉक्टर सलीम जैदी ने इस दवाई से जुड़ी कुछ बातें बताई हैं जो आपको ये सोचने पर मजबूर कर देंगी की आपको इसे खाना चाहिए या नहीं? पेरासिटामोल जिसको हम लोग आम भाषा में क्रोसिन या फिर कैलपोल या फिर डोलो 650 के नाम से जानते हैं और इन्हीं नामों से खरीदते हैं. यह बेसिकली फीवर और पेन को कम करने के लिए इस्तेमाल की जाती है. लेकिन एक चीज यहां यह भी समझना आपके लिए जरूरी है कि यह स्वेलिंग और इनफ्लेमेशन के ऊपर बिल्कुल भी काम नहीं करती है. यानी सिर्फ और सिर्फ आपकी बॉडी के अंदर यह पेन को कम करने का, फीवर को कम करने का काम करती है. अंदरूनी इनफ्लेमेशन को नहीं.
पेरासिटामोल के साइड इफेक्टस
पेरासिटामोल के साइड इफेक्ट्स लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म दोनों होते हैं. शॉर्ट टर्म की अगर बात करें तो इसमें कभी-कभी आपको नॉर्मल डोज लेने के बावजूद भी कुछ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं. जैसे कि पेट में जलन या फिर पसीना बहुत ज्यादा आना. कुछ लोगों का इसका सेवन करने से एलर्जी होती है. जैसे बॉडी में या फिर फेस या थ्रोट में सूजन या फिर कोई ब्रीथिंग प्रॉब्लम हो रही है तो तुरंत आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. उन्हें दिखाना चाहिए क्योंकि यह एक अलार्मिंग साइन है.
लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट्स की अगर बात करें तो पेरासिटामोल को रोजाना लेने से आपके अंदर लिवर डैमेज हो सकता है धीरे-धीरे. जो पेरासिटामोल होती है यह बेसिकली आपके लिवर को अंदर ही अंदर खराब करती है और सिर्फ लीवर ही नहीं इससे आपकी किडनीज़ के ऊपर भी प्रेशर पड़ता है. सिंपल शब्दों में अगर कहें तो किडनी के जो फिल्टर ट्यूब्स हैं वो जमने लग जाते हैं. जिससे पानी के फिल्टर जाम हो जाते हैं और धीरे-धीरे बॉडी में इसकी वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है. रेयर केसेस में पेरासिटामोल आपके खून के ऊपर भी इफेक्ट कर सकती है और इसकी वजह से एनीमिया या फिर प्लेटलेट्स भी कम हो जाते हैं. और सबसे बड़ी बात यह है कि पेरासिटामोल लेकर आप असली बीमारी को खत्म नहीं कर रहे होते हैं बल्कि उसे सिर्फ दबा रहे होते हैं.
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पेरासिटामोल को हम लोग बहुत ही मामूली सी गोली मानते हैं. लेकिन अगर हम डाटा देखें, तो यूके और यूएस जैसे डेवलप्ड कंट्रीज में भी एक्यूट लिवर फेलियर के 50 से 60% केसेस सिर्फ पेरासिटामोल ओवरडोज की वजह से होते हैं. इंडिया में भी हर साल पेरासिटामोल की करोड़ों स्ट्रिप्स बिकती हैं. लेकिन अवेयरनेस ऑलमोस्ट जीरो है. मतलब एक ऐसी दवा जो सबसे ज्यादा बिक रही है वही सबसे ज्यादा लीवर को बर्बाद भी कर रही है और लोगों को इसके बारे में पता भी नहीं है जो कि एक बहुत ही सैड रियलिटी है.
पेरासिटामोल की सेफ डोज़ होती क्या है?
पेरासिटामोल की आप कितनी डोज़ ले सकते हैं? सबसे पहले एडल्ट्स के लिए एक सिंपल रूल याद रखना है कि एक बार में 500 मिलीग्राम से लेकर 1 ग्राम तक और 24 घंटे में मैक्सिमम 4 ग्राम तक इसको लेना सेफ होता है. यानी इस लिमिट को आपको कभी भी क्रॉस नहीं करना है. अगर इससे ज्यादा आप क्रॉस करते हैं तो आपके लिए खतरनाक हो सकता है. इनफैक्ट यह सेफ डोज़ भी ज्यादा दिन तक अगर आप रेगुलरली लेते हैं या बार-बार ऐसा करते हैं तो इससे भी आपके अंदर प्रॉब्लम हो सकती है. इसलिए एक से दो दिन मैक्सिमम या जब तक आपके डॉक्टर ने प्रिसक्राइब किया है बस तभी तक आपको पेरासिटामोल लेनी होती है. अपनी सेल्फ मेडिकेशन करने से खुद ही मेडिकल से पेरासिटामोल खरीद कर खाने से बार-बार आपको हमेशा बचना चाहिए क्योंकि यह आपके लिवर के लिए और बाकी सारी प्रॉब्लम्स के लिए जो अभी हमने डिस्कस करी एक बहुत ही बड़ी चीज है और हम इसके बारे में अक्सर सोचते तक नहीं है.
दूसरे दो डोजेस के बीच में कम से कम आपको 4 से 6 घंटे का गैप जरूर रखना चाहिए. यानी अगर मान लीजिए आपने सुबह 8:00 बजे गोली ली है तो अगली जो डोज़ आपकी है वह दोपहर 12:00 बजे से पहले आपको किसी भी हाल में नहीं लेनी है. अक्सर लोग यहां भी गलती करते हैं और अगर बुखार नहीं उतरता तो एक गोली बाद में थोड़ी देर में और ले लेते हैं जो कि गलत है.
बच्चों की अगर बात करें तो उन्हें डोज़ हमेशा वेट के हिसाब से दी जाती है. जो कि है 10 से 15 मिलीग्राम पर केजी बॉडी वेट पर डोज़. तो जब भी आप पेरासिटामोल लें हमेशा सोच समझ कर लें और सही डोज़ में ही लें. यह मत सोचें कि यह तो सेफ है. कोई भी ले सकता है, कितनी भी ले सकता है. यह एक गलत सोच है जिससे आपको बचना है और इसको लेते टाइम हमेशा अलर्ट रहना है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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