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क्या वाकई गंदा खून होता है पीरियड में आने वाला ब्लड? एक्सपर्ट से जाने कैसे बनता है ये खून

Period Blood: पीरियड ब्लड पर एनडीटीवी ने सेक्सुअल हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर निधि झा से विस्तार में चर्चा की और जाना कि पीरियड ब्लड कैसे बनता है और क्या वाकई ये गंदा खून होता है.

क्या वाकई गंदा खून होता है पीरियड में आने वाला ब्लड? एक्सपर्ट से जाने कैसे बनता है ये खून
Period Blood: कैसे बनता है पीरियड ब्लड, जानें क्या पूरा प्रोसेस.

Period Blood: एक जमाना ऐसा था जब किसी बच्ची को या महिला को पीरियड्स आने पर उसे सबसे अलग कर दिया जाता था. उसे अलग कमरे में रखा जाता था. कई घरों में उसके खाने पीने के बर्तन तक अलग होते थे. कुछ घरों में पीरियड ब्लड को घृणा की दृष्टि से भी देखते थे. अवेयरनेस आने के साथ इस सोच में कुछ हद तक बदलाव जरूर आया है. लेकिन अब भी यही माना जाता है कि पीरियड्स के दौरान निकलने वाला खून, गंदा खून होता है. पीरियड ब्लड पर एनडीटीवी ने सेक्सुअल हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर निधि झा से विस्तार में चर्चा की और जाना कि पीरियड ब्लड कैसे बनता है और क्या वाकई ये गंदा खून होता है.

पीरियड ब्लड क्या होता है?| How Period Blood Is Form

क्या गंदा खून ही होता है पीरियड ब्लड?

डॉ. निधि झा के मुताबिक पीरियड ब्लड से जुड़ा ये सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला सवाल है. अक्सर महिलाएं ही ये पूछती हैं कि क्या पीरियड के समय आने वाला खून शरीर का गंदा खून होता है. असल में ये गंदा खून नहीं होता. बल्कि एक बायोलॉजिकल प्रोसेस होती है जो आगे चलकर बच्चे पैदा करने की क्षमता बनती है.

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क्या पीरियड आने की पूरी प्रोसेस है?

डॉ. निधि झा ने बताया कि हर महिला में एक बच्चेदानी होती है जिसे यूट्रस कहते हैं. इसके दोनों और अंडेदानी होती है, जिसे ओवरी कहा जाता है. इसके अलावा दो फैलोपियन ट्यूब्स होती हैं जो ओवरी और यूट्रस को जोड़ती हैं. ओवरी में ही एग बनते हैं और बड़े होते हैं. इस प्रक्रिया के दौरान हार्मोन रिलीज होते हैं. एक निश्चित समय के बाद एग फॉलिकल से बाहर आता है. इस प्रक्रिया को ओव्यूलेशन कहा जाता है. इस पूरी प्रोसेस के दौरान समय के अनुसार एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन नाम के हार्मोन भी रिलीज होते हैं.

ये दोनों हारमोंस एंडोमेट्रियम पर भी प्रभाव डालते हैं. एंडोमेट्रियम एक तरह की परत होती है जो बच्चेदानी में मौजूद होती है. ओव्यूलेशन के करीब दस दिन के आसपास दोनों तरह के हार्मोन फॉल होने लगते हैं. जिसका असर एंडोमेट्रियम पर पड़ता है. जब ये एंडोमेट्रियम यूट्रस से बाहर आता है. तब पीरियड शुरू होता है. जिसमें खून भी मिला होता है. ये पीरियड आने की पूरी प्रोसेस होती है. यानी पीरियड के समय एंडोमेट्रियम की परत होती है जो हर महीने शरीर से बाहर निकलती है और फिर अगली मेंस्ट्रुअल साइकिल बननी शुरू हो जाती है.

क्यों जरूरी है एंडोमेट्रियम?

यूट्रस की इसी लाइनिंग पर एंब्रियो यानी कि भ्रूण चिपका होता है यानी कि जब महिला के गर्भ में एग फर्टिलाइज होकर पहले भ्रूण और फिर बच्चा बनता है. तब वो इसी एंडोमेट्रियम की लेयर के अंदर फलता फूलता है. इसलिए यूट्रस की इस परत को यानी कि एंडोमेट्रियम को एक बहुत जरूरी हिस्सा कहा जाता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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