
Parkinson's Disease: पार्किंसंस रोग एक ऐसी स्थिति है जो ब्रेन को प्रभावित करती है और धीरे-धीरे शरीर के मोशन और बैलेंस को कमजोर बना देती है. पार्किंसंस रोग कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन अब भी इसे लेकर लोगों में कई गलतफहमियां हैं. बहुत से लोग इसके शुरुआती लक्षणों को उम्र के साथ होने वाले बदलाव समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. नतीजा यह होता है कि बीमारी बढ़ जाती है और जिंदगी पर इसका असर और गहरा हो जाता है. इसलिए इसकी समय रहते पहचान और सही इलाज बेहद ज़रूरी है.
पार्किंसंस रोग क्या है? what is Parkinson Disease?
पार्किंसंस रोग एक नर्व से जुड़ी कंडिशन है, जिसमें ब्रेन के अंदर डोपामाइन नामक केमिकल बनाने वाली सेल्स धीरे-धीरे खत्म होने लगती हैं. डोपामाइन वो केमिकल है जो हमारे शरीर की एक्टिविटीज़ को कंट्रोल करता है - जैसे चलना, बोलना, हाथ हिलाना या बैलेंस बनाए रखना. जब इसकी मात्रा कम होने लगती है, तो शरीर की मोबिलिटी प्रभावित होती है और व्यक्ति को रोजमर्रा के कामों में परेशानी होने लगती है. यह बीमारी ज्यादातर 60 साल की उम्र के बाद दिखाई देती है, लेकिन कई बार 40 की उम्र में भी इसके लक्षण सामने आ सकते हैं. इसे उम्र बढ़ने की प्रक्रिया का हिस्सा मानना ठीक नहीं है, क्योंकि यह एक गंभीर स्थिति है, जिसका समय पर इलाज जरूरी होता है.
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पार्किंसंस के मुख्य कारण-
इस बीमारी का मुख्य कारण ब्रेन में डोपामाइन बनाने वाली सेल्स का कम होना है. लेकिन यह प्रोसेस क्यों शुरू होती है, इसका कोई एक तय कारण अब तक नहीं पाया गया है.
कुछ प्रमुख कारणों में शामिल हैं-
- जेनेटिक असर: अगर परिवार में किसी को पार्किंसंस है, तो इसका खतरा बढ़ सकता है.
- एनवायर्नमेंटल एलिमेंट्स: कुछ केमिकल्स और जहरीले पदार्थों के संपर्क में आने से यह रोग होने की संभावना बढ़ जाती है.
- सिर पर चोट लगना: ब्रेन को चोट लगने की वजह से भी पार्किंसंस हो सकता है.
- उम्र: उम्र के साथ न्यूरॉन के डैमेज होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे बीमारी के लक्षण सामने आ सकते हैं.
पार्किंसंस के लक्षण- (symptoms of parkinsons disease)
इस बीमारी की शुरुआत बहुत हल्के लक्षणों से होती है, जिन्हें अक्सर सामान्य माना जाता है. लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, ये लक्षण तेज़ और परेशान करने वाले हो सकते हैं.
कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं-
- हाथों या पैरों में कंपन - खासकर जब व्यक्ति शांत बैठा हो.
- धीमी गति से चलना - ऐसा लग सकता है जैसे शरीर में एनर्जी कम हो गई हो.
- मांसपेशियों में अकड़न - हाथ, पैर या शरीर के किसी भी हिस्से में जकड़न.
- बैलेंस की समस्या - चलते समय गिरने की संभावना बढ़ जाना.
- चेहरे के हाव भाव कम होना - ऐसा चेहरा जो भावहीन दिखाई दे.
- लिखावट का बदलना - अक्षर छोटे और आपस में जुड़ सकते हैं.
- बोलने में अस्पष्टता - आवाज़ धीमी या लरजती हुई लग सकती है.
हर व्यक्ति में ये लक्षण अलग-अलग तरीके से दिखाई देते हैं. किसी में सिर्फ एक या दो संकेत हो सकते हैं, तो किसी में कई लक्षण एक साथ आ सकते हैं.
समय पर पहचान क्यों ज़रूरी है?
अगर शुरुआती संकेतों को समय रहते पहचान लिया जाए, तो इस बीमारी को बेहतर तरीके से काबू में रखा जा सकता है. बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर व्यक्ति के बॉडी चेकअप, मेडिकल हिस्ट्री और कभी-कभी ब्रेन स्कैन जैसे चेकअप की मदद लेते हैं.
जल्दी पहचान के फायदे -
- लक्षणों को कम किया जा सकता है.
- व्यक्ति की इंडिपेंडेंसी और लाइफ की क्वालिटी बनी रहती है.
- सही इलाज और दवाओं से रोग की रफ्तार धीमी की जा सकती है.
- परिवार और देखभाल करने वालों को बेहतर तैयारी का समय मिलता है.
इलाज और मैनेजमेंट के विकल्प-
अब तक पार्किंसंस का कोई परमानेंट इलाज नहीं है, लेकिन मौजूद दवाएं और इलाज इसके लक्षणों को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं.
उपचार के कुछ सामान्य विकल्प हैं:
- दवाइयां: ये ब्रेन में डोपामाइन का लेवल बढ़ाने में मदद करती हैं.
- फिजिकल थेरेपी: चलने, बैलेंस बनाए रखने और मांसपेशियों की ताकत के लिए ज़रूरी है.
- स्पीच थेरेपी: आवाज और बोलने की स्पष्टता में सुधार लाती है.
- डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS): एक सर्जरी जिसमें ब्रेन के कुछ हिस्सों में छोटे इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं ताकि लक्षणों को कंट्रोल किया जा सके.
हर मरीज की स्थिति अलग होती है, इसलिए इलाज की प्लानिंग भी व्यक्ति विशेष के अनुसार तैयार की जाती है.
अवेयरनेस ही बचाव है-
पार्किंसंस एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे जीवन को प्रभावित करती है, लेकिन अगर लोग इसके लक्षणों को पहचानें और समय पर डॉक्टर की सलाह लें, तो इसका असर काफी हद तक कम किया जा सकता है. परिवार और समाज की भूमिका इसमें बेहद अहम है. जब तक इस विषय पर खुलकर बात नहीं होगी, तब तक लोग इसे गंभीरता से नहीं लेंगे. यही कारण है कि विश्व पार्किंसंस दिवस हर साल हमें यह याद दिलाता है कि समय पर अवेयरनेस और इलाज से जीवन बेहतर बनाया जा सकता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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