How to deal with a stubborn child: कई बार माता-पिता अपने बच्चों से बात करते समय यह महसूस करते हैं कि उनका बच्चा उन्हें जवाब देने, बातों को न मानने और कभी-कभी तो अभद्र व्यवहार भी करने लगा है. ऐसी स्थिति किसी भी पेरेंट के लिए स्ट्रेसफुल हो सकती है, खासकर तब जब बच्चा लगातार उनकी बातों को नकारे. इस तरह की घटनाओं से निपटना मुश्किल हो सकता है, लेकिन इसे समझने के लिए यह जरूरी है कि हम पहले बच्चे की मानसिक स्थिति और उसके व्यवहार को समझें. बच्चे जब ऐसा व्यवहार करते हैं तो उनके प्रोग्रेस का एक हिस्सा हो सकता है, या फिर यह किसी तरह के मानसिक दबाव का रिसल्ट भी हो सकता है. आज हम उन इफेक्टिव टिप्स के बारे में बात करेंगे जिनके जरिए पेरेंट्स अपने बच्चों के बेइज्जत करने या बुरे व्यवहार को सुधार सकते हैं. बच्चों को तमीज सिखाना है तो ट्राई करें ये टिप्स-
बच्चों के बुरे व्यवहार को कैसे सुधारें ? (How to Correct Bed Behavior of Kids | How to discipline your child)
1. बच्चे की मानसिक स्थिति को समझें
बच्चे जब माता-पिता के साथ बेइज्जती से बात करते हैं तो हो सकता है उनके अंदर किसी तरह का मेंटर कन्फ्यूजन चल रहा हो. कभी-कभी बच्चे अपनी परेशानियों के बारे ठीक से बता नहीं कर पाते, जिससे उनका गुस्सा और स्ट्रेस बाहर निकलता है. जैसे अगर बच्चा स्कूल में किसी परेशानी से जूझ रहा है, तो वह घर में अपने माता-पिता से खुलकर बात नहीं कर पाता. इस कारण वह अपने माता-पिता की बातों को सुनने की बजाय उन पर गुस्सा करता है. इसलिए, माता-पिता का यह पहला कदम होना चाहिए कि वे बच्चे की स्थिति को समझने की कोशिश करें.
2. बातों को समझने का तरीका
जब बच्चा माता-पिता की बातों का जवाब नहीं दे या उनकी बातों का विरोध करें, तो इस स्थिति में गुस्से से रिएक्ट करना सही नहीं होता. पेरेंट्स को अपने बच्चे के साथ शांति से बैठकर उसकी भावनाओं को समझने का प्रयास करना चाहिए. यह जरूरी है कि वे बच्चे को फील कराएं कि आप उनकी बातों को सुनेंगे. माता-पिता को अपने बच्चे को कभी-कभी अकेले छोड़ देना चाहिए. अगर बच्चा अपनी फीलिंग्स को व्यक्त नहीं करना चाहता, तो उसे अकेले रहने का मौका दें.
3. सुनने की आदत डालें
बच्चों के साथ खुलकर बात करना और उन्हें बिना किसी डिसिजन के सुनना बहुत जरूरी है. यह तरीका न सिर्फ उनके अंदर आत्मविश्वास को बढ़ाता है, बल्कि बच्चे को यह भी फील कराता है कि उनके थॉट्स और फीलिंग्स का रिस्पेक्ट किया जा रहा है. अगर बच्चा अपनी परेशानी को बिना डरे आपके साथ शेयर कर रहा है तो वह अपने पेरेंट्स के साथ डीप बॉन्डिंग शेयर करता है. ऐसा करने से बच्चे का मेंटल प्रेशर कम करने में भी मदद मिलती है.
4. सहानुभूति और धैर्य का रखें
जब बच्चा खराब व्यवहार करे, तो पेरेंट्स को पेशेंस और सिम्पेथी दिखाएं. अगर बच्चा कोई गलत काम करता है, तो उसे तुरंत पनिश करने की बजाय, उसके साथ सिम्पेथी दिखाएं. बच्चे की गलतियों को समझकर उसे सही रास्ता दिखाएं, ये तरीका पनिश करने से ज्यादा इफेक्टिव हो सकता है. यह भी जरूरी है कि पेरेंट्स अपने बच्चे की गलतियों को नजरअंदाज न करें लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि उन्हें तुरंत पनिश करें.
5. सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा दें
बच्चे के अच्छे व्यवहार के लिए उन्हें एप्रिशिएट करना ना भूलें. ये बच्चों के गुड बिहेवियर में मदद कर सकता है. इससे बच्चों का सेल्फ कॉन्फिडेंस भी बढ़ता. पॉजिटिव रिएक्शन देने से बच्चे को यह फील होता है कि अच्छे व्यवहार के लिए उसे एप्रीशिएट किया जाएगा. इससे बच्चे अच्छी बातें सीखने की कोशिश करते हैं.
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6. अनुशासन और प्यार के बीच बैलेंस बनाएं
बच्चे को डिसिप्लीन सिखाना बहुत जरूरी है, लेकिन यह भी उतना ही जरूरी है कि वह अपने माता-पिता से प्यार और सपोर्ट फील करें. डिसिप्लिन का मतलब यह नहीं है कि बच्चे को कड़ा पनिशमेंट दिया जाए, बल्कि इसका मकसद बच्चे को सही रास्ते पर लाना होना चाहिए. प्यार और डिसिप्लिन का बैलेंस कॉम्बिनेशन बच्चे को न सिर्फ अच्छे व्यवहार की शिक्षा देता है, बल्कि उसके सेल्फ रिस्पेक्ट और मेंटल सिचुएशन को भी मजबूत करता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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