इन दिनों महिलाओं में ओवेरियन कैंसर के मामले ज्यादा बढ़ रहे हैं. ब्रेस्ट कैंसर के बाद ये दूसरा ऐसा कैंसर है जो महिलाओं में बेहद कॉमन है. इसके ज्यादातर लक्षण ऐसे हैं जिसके चलते शुरुआती स्टेज पर ओवेरियन कैंसर का पता नहीं चल पाता, इसलिए इस कैंसर के मामले में और भी ज्यादा सजग और सतर्क रहने की जरूरत है. ओवेरियन कैंसर की पहचान भले ही देरी से हो,लेकिन इसका इलाज नामुमकिन नहीं है.
क्या है ओवेरियन कैंसर?
अंडाशय में किसी भी तरह के कैंसर का होना ही ओवेरियन कैंसर है. ओवेरियन कैंसर को डिंबग्रंथि या अंडाशय कैंसर भी कहते है.ओवेरियन कैंसर में ओवरी में सिस्ट यानी ट्यूमर बनने शुरू हो जाते हैं. यही सिस्ट बाद में बढ़कर कैंसर का रूप धारण कर लेते हैं. ऐसा होने के बाद गर्भधारण में समस्या होने लगती है. यही नहीं ऐसी स्थिति में गर्भाशय और ट्यूब्स डैमेज होने लगती हैं. सबसे कॉमन डिंबग्रंथि कैंसर को एपिथेलियल ओवेरियन कैंसर कहा जाता है.
ओवेरियन कैंसर की पहचान
शुरुआती दिनों में सामान्यतः कैंसर की पहचान नहीं हो पाती है. शुरुआत में इसके लक्षण बेहद कम या यूं कहें तो सामान्य दर्द की तरह ही होते हैं. मगर जब ये कैंसर पैल्विक एरिया और पेट के आसपास फैलने लगता है तब इसकी पुष्टि हो जाती है. इसलिए अधिकांश मामलों में इसका इलाज तीसरे या चौथे स्टेज पर होता है. ये कैंसर जब एडवांस स्टेज पर होता है तो इन लक्षणों से इसे पहचाना जा सकता है.
Ovarian Cancer: अंडाशय में किसी भी तरह के कैंसर का होना ही ओवेरियन कैंसर है.
ओवेरियन कैंसर के लक्षण
शरीर के निचले हिस्से में दर्द
पीठ और पेट में दर्द
अपच होना
कम खाने के बाद भी पेट जल्दी भरना
ब्लॉटिंग होना
बार बार यूरिन आना
यौन संबंध के दौरान दर्द
पेल्विस या कमर में दर्द
मल त्याग के आदतों में बदलाव
ओवेरियन कैंसर से बचाव के उपाय
हेल्दी लाइफ़स्टाइल: नियमित रूप से व्यायाम, फलों और सब्जियों का सेवन, शराब और धूम्रपान से दूरी, ये सभी अच्छी सेहत के निशानी है. ऐसा करने वालों में कैंसर का खतरा बहुत कम होता है. ज्यादा मोटापा होने की स्थिति में भी ओवेरियन कैंसर का खतरा अधिक होता है. इसलिए जरूरी है कि अपने वजन और मोटापे को नियंत्रण में रखा जाए.
गर्भावस्था: जिन महिलाओं को अधिक समय तक गर्भधारण रहता है, उनमें ओवेरियन और फैलोपियन ट्यूब कैंसर का जोखिम कम होता है.
ब्रेस्टफीडिंग: जब कोई महिला ब्रेस्टफीडिंग कराती है, ऐसी स्थिति में भी ओवेरियन कैंसर का खतरा कम हो जाता है.
सर्जरी: जिन महिलाओं को ट्यूबल लाईगेशन हो चुका हो, उनको भी इस कैंसर का खतरा कम ही होता है.
ओवेरियन कैंसर का इलाज
ओवेरियन कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी या दोनों एक साथ और कभी-कभी रेडियोथेरेपी से भी होता है. मरीज़ को कौन सा ट्रीटमेंट दिया जाना है,इसका निर्धारण ओवेरियन कैंसर की अवस्था, ग्रेड और मरीज़ की सामान्य सेहत पर निर्भर करता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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