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National Voluntary Blood Donation Day 2025 : खून देने से जुड़े ये 6 बड़े झूठ, कहीं आप भी तो नहीं मानते?

आज हम इस आर्टिकल में ब्लड डोनेशन से जुड़े 5 बड़े मिथकों की पोल खोलेंगे, ताकि आप भी बिना डरे इस नेक काम में हिस्सा ले सकें.

National Voluntary Blood Donation Day 2025 : खून देने से जुड़े ये 6 बड़े झूठ, कहीं आप भी तो नहीं मानते?
Medical Myths : खून की हर एक बूंद कीमती है और किसी की जान बचाने में मदद कर सकती है.

Blood Donation myths : हर साल 01 अक्टूबर को हम सब ''नेशनल वॉलंटरी ब्लड डोनेशन डे'' मनाते हैं. ये दिन हमें याद दिलाता है कि हमारा दिया हुआ खून किसी की जिंदगी बचा सकता है. लेकिन, आज भी बहुत से लोग खून देने से डरते हैं या झिझकते हैं, क्योंकि उन्होंने खूनदान से जुड़े कुछ गलत बातें सुन रखी हैं. इन्हीं गलत बातों को हम 'मिथक' कहते हैं. आज हम ऐसे ही 6 बड़े मिथकों की पोल खोलेंगे, ताकि आप भी बिना डरे इस नेक काम में हिस्सा ले सकें.

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ब्लड डोनेशन से जुड़े 6 मिथत क्या हैं

मिथक 1- खून देने से शरीर में कमजोरी आ जाती है या बीमार पड़ जाते हैं

ये सबसे बड़ा झूठ है, बल्कि जब हम खून देते हैं, तो हमारा शरीर बहुत जल्दी उस खून को फिर से बना लेता है. आमतौर पर, 24 से 48 घंटों में शरीर में खून की मात्रा पहले जैसी हो जाती है और Red Blood Cells बनने में कुछ हफ्ते लगते हैं. खून देने के बाद बस थोड़ी देर आराम करना होता है और पानी या जूस पीना होता है. 

मिथक 2 - मेरा खून किसी काम का नहीं, क्योंकि मेरा ब्लड ग्रुप कॉमन है

कभी भी ये न सोचें कि आपका खून बेकार है. हर एक बूंद कीमती है और किसी की जान बचाने में मदद कर सकती है. भले ही आपका ब्लड ग्रुप 'O+' या 'A+' जैसा कॉमन क्यों न हो, उसकी जरूरत उतनी ही ज्यादा होती है. 

मिथक 3 - खून देने से मेरा वजन बढ़ जाएगा या कम हो जाएगा

ये भी एक हंसी वाला मिथक है. खून देने से ना तो आप मोटे होंगे और ना ही पतले. ये बात दिमाग से निकाल दें.

मिथक 4 - वृद्ध या दुबले-पतले लोगों को रक्तदान नहीं करना चाहिए

अगर आपकी उम्र 18 से 65 साल के बीच है और पूरी तरह हेल्दी हैं और न्यूनतम वजन और हीमोग्लोबिन के मापदंडों पर खरा उतरते हैं, तो आप ब्लड डोनेट कर सकते हैं. दान देने से पहले आपकी जांच भी की जाती है. 

मिथक 5 - ब्लड डोनेशन में दर्द होता है और टाइम टेकिंग है

यह भी एक झूठ है. आपके शरीर से ब्लड कलेक्ट करने में केवल 8 से 10 मिनट का समय लगता है. स्क्रीनिंग से लेकर आराम करने तक का पूरा ड्यूरेशन 30 से 45 मिनट का होता है. 

मिथक 6 - खून देने से HIV या कोई और इन्फेक्शन हो सकता है

यह बात भी बिल्कुल गलत है. ब्लड डोनेशन पूरी तरह से सेफ है. एक सुई का इस्तेमाल सिर्फ एक ही बार होता है और उसे बाद में फेंक दिया जाता है. इसलिए, आपको किसी तरह का इन्फेक्शन होने का कोई चांस नहीं होता. ब्लड बैंक इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि ब्लड डोनेशन की प्रोसेस साफ-सुथरी और सुरक्षित हो.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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