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जेन-जी हुई पुरानी, Gen-Beta है लेटेस्ट जनरेशन, जान लें इन बच्‍चों की परवरिश के लिए 7 जरूरी बातें

बच्‍चों को पालने में माता-पिता कोई कोर कसर नहीं छोड़ते. पर न्‍यू जेनरेशन की सोच काफी अलग है. इसलिए पेरेंट्स को इस जेनरेशन को पालने में कुछ खास बातों का ख्‍याल रखना चाहिए.

जेन-जी हुई पुरानी, Gen-Beta है लेटेस्ट जनरेशन, जान लें इन बच्‍चों की परवरिश के लिए 7 जरूरी बातें
जानिए Gen-Beta जेनरेशन के बच्चों को पालने के टिप्स

Meet 'Generation Beta',: हर जनरेशन के पेरेंट्स ये सोचते हैं कि वे बच्चों का सही पालन-पोषण करें. उसमें किसी तरह की कोई कोर-कसर बाकी ना रहे. आजकल के बच्चे भी काफी अलग हैं. तकनीक के इस युग में जन्‍मे बच्‍चों की मांग भी बहुत अलग है. वे अपने पेरेंट्स से अलग तरह की उम्मीद रखते हैं. साल 2025 में जन्‍मे बच्‍चे तो एक नई जनरेशन कहलाएंगे. इन बच्चों के पालन में पेरेंट्स को कई जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा. आज इस लेख में जानें ऐसी ही बातों के बारे में, जो नए पेरेंट्स के बहुत काम की हो सकती हैं. 


पहले जानें, क्‍या है Gen-Beta

साल 2025 में जन्मी नई जनरेशन को Gen Beta का नाम दिया गया है. साल 2039 तक जन्‍मे बच्‍चे Gen Beta होंगे. इससे पहले साल 2013 से 2024 तक के बच्चों को Gen Alpha कहा जाता है. साल 1997 से 2012 तक के बीच पैदा बच्चों को Gen Z कहा जाता है. इसी तरह से साल 1981 से 1996 तक के बीच पैदा लोग Millennials कहलाते हैं.

Gen-Beta को कैसे पालें, 7 स्टेप्स

जनरेशन Beta को पालने में पेरेंट्स को काफी नई चीजें सीखने की जरूरत पड़ सकती है. वजह ये है कि ये जनरेशन सबसे ज्यादा तकनीक के करीब है. इस जनरेशन की परवरिश भी उतने ही ध्यान से करने की जरूरत होगी. चूंकि इस जनरेशन की शुरुआत ही साल 2025 से हो रही है, इसलिए नए पेरेंट्स इन बच्‍चों की परवरिश करते हुए शुरुआत से ही इन 7 बातों का ध्यान रखें-

1- बच्चे का कंपेरिजन न करें

आजकल के बच्चों को कंपेरिजन बिल्कुल पसंद नहीं. ऐसे में नई जनरेशन तो बिल्कुल भी इसे एक्सेप्ट नहीं करने वाली है. इसलिए बच्चे की तुलना दूसरे बच्चे से मत करिएगा. चाहे कंपेरिजन पढ़ाई का हो या स्पोर्ट्स का हो. याद रखना चाहिए कि हर बच्चा अलग होता है और उसका कैलिबर भी. जरूरी नहीं कि एक बच्चा जिस काम में अच्‍छा हो, आपका बच्‍चा भी उतनी ही दिलचस्पी और परफेक्शन से उसे कर सकेगा.

2- सेल्फ-रिस्पेक्ट को बढ़ावा दें

बच्चों को सेल्फ-रिस्पेक्ट के बारे में बताएं. जिससे वो बचपन से ही आत्मबोध कर सकें. नई जनरेशन बहुत स्मार्ट है, इसलिए उसे सही-गलत की समझ बचपन से ही देना बहुत जरूरी है. बच्चे को ये भी समझाएं कि अगर कोई उसके साथ गलत व्यवहार करता है तो वो उसके साथ कैसे पेश आएं और उस स्थिति से कैसे निबटें.

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3- तारीफ करें

बच्‍चों को केवल उनकी कमियां ही नहीं गिनाते रहे बल्कि अगर वे कोई अच्छा काम करें तो उनकी तारीफ करें. अगर आलोचना करनी हो तो सधे शब्दों में करें. जिससे बच्चा इसे नेगेटिव न ले. वो अपनी कमियां सुनकर उसे दूर करने की कोशिश करें.

4- अनुशासन की सीमा

बच्चे को अनुशासन में रखना बहुत जरूरी है. जिससे बच्चे ये सीखें कि उनकी सीमा कितनी है. वे नियंत्रित रहें. इसलिए घर में नियम बनाएं और उसे फॉलो करें. बच्चे भी इन्‍हें फॉलो करने लगेंगे.

5- बच्चों के लिए समय

आजकल के बच्चे हर चीज को बारीकी से नोटिस करते हैं. उनके साथ समय बिताना जरूरी है. उनसे बात करें, खाना खाएं, खेलें, उनके पसंदीदा काम करें. इससे उन्हें अकेलापन फील नहीं होगा.

6- रोल मॉडल

चाहे जेनरेशन कोई हो, बच्‍चे वही करते हैं जो वो अपने पेरेंट्स से सीखते हैं. इसलिए याद रखें कि आप ही बच्‍चों के रोल मॉडल हैं.  बच्चों के सामने अच्छे से पेश आएं, लड़ें नहीं. बच्चा जब भी घर पर है, आपको नोटिस कर रहा है.

7- दोस्त बनें

नई जनरेशन को गुस्से से नहीं, बल्कि दोस्त बनकर हर बात सिखा सकते हैं. इसलिए उनसे दोस्ताना व्यवहार करें. इससे कठिन परिस्थिति में भी बच्चा आपसे बात करने से हिचकिचाएगा नहीं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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