Zoonotic Diseases: कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया में फैली महामारी के बाद के बाद जूनोटिक बीमारियां की गंभीरता से पूरी दुनिया परिचित हो चुकी है. इस विषय पर लोगों में अवेयरनेस बढ़ाने के लिए 6 जुलाई को वर्ल्ड जूनोज डे ( World Zoonoses Day) मनाया जाता है. रीढ़धारी पशुओं से इंसानों को होने वाली बीमारियों को जूनोटिक बीमारियां (Zoonotic diseases) कहते हैं. ये सबसे बड़ी चिंता का विषय बन चुके हैं. लगातार सवाल उठ रहे हैं कि क्या भविष्य में दुनिया को किसी और महामारी का सामना (Risk of Pandamic) करना पड़ सकता है. आइए जानते हैं क्या हैं जूनोटिक बीमारियों और कैसे वे इंसानों में पहुंचती हैं.
पशुओं से इंसानों को होने वाली बीमारियां क्या हैं (What are Zoonotic diseases )
पशुओं से इंसानों को होने वाली बीमारियां को जूनोटिक बीमारियों भी कहते हैं. इस तरह की बीमारियां रीढ़धारी पशुओं के पैथोजेन (रोगाणु) के इंसानों तक पहुंचने के कारण होती हैं. पशुओं से कई तरह से पैथोजेन इंसानों तक पहुंचते हैं. ये वायरस बैक्टीरिया, पैरासाइट्स और फंगाई से संक्रमित पशु से इंसानों में पहुंच सकते हैं.
इसके अलावा दूषित भोजन से भी पैथोजन इंसानों में पहुंच सकते हैं. यहां तक कि मच्छर, स्पाइडर जैसे कीड़ का काटना भी कारण बन सकता है. पशुओं से इंसानों को होने वाली बीमारियों में रेबीज और इबोला सबसे सामान्य हैं.
जूनोटिक बीमारियों से बचाव (Prevention from zoonotic diseases)
साफ सफाई का ध्यान रखने से जूनोटिक बीमारियों से बचने में मदद मिल सकती है. बाहर से घर पहुंचने पर हमेशा अच्छी तरह से हाथों को साफ करना चाहिए. पशु पक्षियों के आसपास होने पर ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए. घर के बाहर कच्ची चीजों को खाने से बचें. यदि कोई जानवर काट ले या खरोंच मार दे तो घाव को साबुन पानी से साफ करें और डॉक्टर की सलाह लें.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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