Idiopathic Thrombocytopenic Purpura (ITP): इम्युन थ्रोम्बोसाइटोपेनिया पुरपुरा (Immune thrombocytopenic purpura) खून में होने वाला एक विकार (डिसऑर्डर) है, जिसका प्रबंधन किया जा सकता है. इस बीमारी में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है. छोटे आकार की रक्त कोशिकाएं, जिन्हें प्लेटलेट कहा जाता है, खून का थक्का जमने की गति को तेज करके ब्लीडिंग से बचाती हैं. आसानी से जख्म हो जाना और अत्यधिक रक्तस्राव यानी ब्लीडिंग, प्लेटलेट काउंट कम होने के लक्षण हैं. हालांकि, सामान्यतौर पर आईटीपी एक जानलेवा रोग नहीं है, और इसका प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है और ज्यादातर रोगी सामान्य जिंदगी जीते हैं. कुछ दुर्लभ मामलों में ही, जब पर्याप्त प्लेटलेट नहीं होते हैं तो गंभीर रूप से अंदरूनी रक्तस्राव (ब्लीडिंग) हो सकता है.
आईटीपी की वजह क्या है? (What causes idiopathic thrombocytopenic purpura?)
वैसे तो आईटीपी की मूल वजह के बारे में अब तक कुछ पता नहीं है लेकिन इम्युन सिस्टम में समस्या होने पर यह समस्या हो सकती है. आमतौर पर, इम्युन सिस्टम शरीर को संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने में मदद करता है. आईटीपी में, शरीर के प्लेटलेट्स अपने ही इम्युन सिस्टम की वजह से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं.
आईटीपी का पता लगाने के लिये, रोगियों को कम्प्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) और पेरीफेरल स्मीयर (पीएस) कराने की सलाह दी जाती है, ताकि प्लेटलेट काउंट का पता चल सके और रक्त कोशिकाओं (ब्लड सेल्स) के आकार, बनावट और संख्या की जांच की जा सके कि कहीं कोई असामान्य कोशिका मौजूद तो नहीं.
हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि रोगियों को अपने प्लेटलेट काउंट पर नजर रखने के लिये बार-बार ब्लड टेस्ट नहीं करना चाहिए. इससे केवल उनकी चिंता बढ़ती है और उनके मौजूदा समय में चल रहे इलाज में रुकावट आ सकती है. उन्हें हेमेटोलॉजिस्ट या चिकित्सक द्वारा दी गई सलाह और उपचार के तरीकों का पालन करना चाहिए.
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आईटीपी के लक्षण क्या हैं? (What are the early symptoms of thrombocytopenia?)
आईटीपी के साथ, प्लेटलेट की संख्या 1,50,000 से 450,000 की सामान्य सीमा की तुलना में 1,00,000 से कम होती है. जब तक गंभीर रक्तस्राव होने लगे, तब तक रोगी की प्लेटलेट काउंट 10,000 से कम हो सकती है.
प्लेटलेट काउंट कम होने से ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है. इसके लक्षणों में शामिल है:
1. त्वचा के नीचे ‘रक्तस्राव या लीकेज' होने के बाद वह बैंगनी हो जाती है- आईटीपी के रोगियों में बिना किसी वजह के बड़े आकार के चोट के निशान नजर आते हैं. थोड़ा-बहुत चलने-फिरने से ही घुटने और कुहनी के जोड़ में जख्म नजर आने लगता है.
2 त्वचा के नीचे छोटे-छोटे लाल चकत्ते हो जाते हैं, जो बहुत मामूली रक्तस्राव का परिणाम होते हैं- ये चकत्ते तब भी दिखाई देते हैं जब कोई उस हिस्से को दबाता है और त्वचा के नीचे रक्तस्राव के हिस्से का संकेत देता है, जैसे कि टूटी हुई कैपिलरीज.
3. मुंह, नाक या मसूड़ों से रक्तस्राव- लगातार नाक या मसूड़ों से खून आना, जिसे रुकने में लंबा वक्त लगे, आईटीपी के स्पष्ट लक्षण को दर्शाता है.
4. माहवारी में अत्यधिक रक्तस्राव होना- माहवारी में लंबे समय तक रक्तस्राव होना, मेनोरेजिया के रूप में जाना जाता है, जोकि आईटीपी के लक्षणों में से एक हो सकता है. माहवारी का समय अलग-अलग हो सकता है, इसलिए माहवारी कितनी लंबी चली, इस बात का ध्यान रखना जरूरी है. यदि रक्तस्राव से रोजमर्रा की जिंदगी पर असर पड़ रहा है तो डॉक्टर की सलाह के लिये उनसे परामर्श लें.
5. थकान और कमजोरी- रेड ब्लड सेल्स के कम होने से रोगी को थकान महसूस हो सकती है. लगातार थकान रहने से रोजमर्रा के कामों को करने में मुश्किल हो सकती है और चोट लगने का खतरा बढ़ सकता है.
Platelet disorders: इम्युन थ्रोम्बोसाइटोपेनिया पुरपुरा (Immune thrombocytopenic purpura) खून में होने वाला एक विकार (डिसऑर्डर) है.
6. उल्टी, पेशाब या मल में खून नजर आना- आईटीपी की वजह से होने वाले अंदरूनी रक्तस्राव से उल्टी, पेशाब या मल में खून नजर आ सकता है.
7. सिर से खून बहना- वैसे तो यह बहुत ही दुर्लभ है, लेकिन यह आईटीपी का एक गंभीर संकेत हो सकता है. आमतौर पर 10,000/cmm से कम प्लेटलेट काउंट वाले 1/1000 रोगियों में ऐसा होता है. जब प्लेटलेट्स की संख्या अपर्याप्त हों तो ऐसे में सिर पर लगने वाली किसी भी प्रकार की चोट में खून को बहने से रोक पाना बेहद ही खतरनाक हो सकता है.
आईटीपी में किस तरह रखें ख्याल?
वयस्कों में होने वाला आईटीपी सामान्यतौर पर एक क्रॉनिक समस्या होती है, जिनका दवाओं से प्रबंधन किया जा सकता है. यदि प्लेटलेट काउंट 30,000/cmm की सुरक्षित सीमा से ऊपर है तो कई सारे लोगों को दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती. ऐसे में रोगियों को सलाह दी जाती है कि उन्हें उनका इलाज कर रहे डॉक्टर को यह बात बतानी चाहिए, ताकि उसके अनुसार समस्या की देखभाल की जा सके और उसे मैनेज किया जा सके.
(डॉ. राहुल नैथानी, डायरेक्टर-हेमेटोलॉजी एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट, मैक्स सुपर स्पेश्यिलिटी हॉस्पिटल, साकेत, नई दिल्ली)
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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