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बाढ़ के बाद तेज़ी से फैलती हैं ये गंभीर बीमारियां, जानिए लक्षण और बचाव

Staying Safe After Flood: बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है लेकिन सही जानकारी और सावधानी से इससे जुड़ी समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है. अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए साफ-सफाई, स्वच्छ भोजन और सुरक्षित वातावरण को प्राथमिकता दें.

बाढ़ के बाद तेज़ी से फैलती हैं ये गंभीर बीमारियां, जानिए लक्षण और बचाव
Staying Safe After Flood: बाढ़ के बाद खुद को बीमारियों से बचाने के लिए क्या करें.

Staying Safe After Flood: हर साल कई जगहों पर बाढ़ एक बड़ी परेशानी बनकर सामने आती है. यह केवल संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाती, बल्कि इंसानी जान के लिए भी खतरा बन जाती है. बाढ़ के पानी में छिपे हुए संक्रमण, जानवर, कीचड़ और रसायन इंसानों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर सकते हैं. ऐसे में ज़रूरी है कि लोग कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें, ताकि बाढ़ के दौरान और उसके बाद भी सुरक्षित और स्वस्थ रहा जा सके. साथ ही अगर किसी को स्वास्थ्य से जुड़ी कोई दिक्कत महसूस हो, तो बिना देरी डॉक्टर से संपर्क करें.

बाढ़ के बाद बीमारियों से कैसे बचें (Staying Safe After Flood)

बाढ़ के समय क्या करें और क्या न करें
बाढ़ के दौरान सबसे पहली कोशिश यही होनी चाहिए कि आप खुद को और अपने परिवार को पानी से दूर रखें. दूषित पानी में कई प्रकार के कीटाणु और रसायन होते हैं जो त्वचा के ज़रिए या सांसों से शरीर में जा सकते हैं. अगर किसी वजह से आपको बाढ़ के पानी में चलना ही पड़े, तो हमेशा रबर के मजबूत जूते, लंबी बाजू की शर्ट, पैंट और दस्ताने पहनें. जहां तक हो सके, बच्चों और बुजुर्गों को पानी से दूर ही रखें. अगर शरीर पर किसी तरह की चोट, घाव या खरोंच है, तो उसे ढक कर रखें ताकि उसमें संक्रमण न हो.

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बाढ़ के बाद सफाई में बरतें सतर्कता
जब पानी कम हो जाए, तो घर की सफाई एक बहुत ही जरूरी और संवेदनशील काम होता है. बाढ़ के बाद दीवारें, फर्श और फर्नीचर सब कुछ गीला और कीचड़ से भरा होता है. ऐसी जगहों पर फफूंद और बैक्टीरिया आसानी से पनप सकते हैं. सफाई करते समय दस्ताने, मास्क और चश्मा पहनें. सबसे पहले सभी खिड़की और दरवाज़े खोलें ताकि हवा आ सके. फिर फर्श और दीवारों को पानी और डिटर्जेंट से धोएं. इसके बाद ब्लीच और साफ पानी के घोल से सब कुछ साफ करें. जो सामान बाढ़ के पानी में पूरी तरह भीग चुका है और जिसे सुखाना या साफ करना संभव नहीं है, उसे फेंक देना ही बेहतर होता है. जैसे कि गद्दे, गद्देदार कुर्सियां या गीले कारपेट.

बाढ़ के बाद होने वाली गंभीर बीमारियां और उनके लक्षण (Serious diseases that occur after floods and their symptoms)

हैजा, टाइफाइड, पेचिश, हेपेटाइटिस ए:
ये बैक्टीरिया या वायरस से दूषित पानी के सेवन से फैलती हैं.
लक्षण: दस्त, बुखार, पेट दर्द, उल्टी.
 

मच्छर जनित रोग (डेंगू, मलेरिया, वेस्ट नाइल वायरस:
बाढ़ के कारण रुके हुए पानी में मच्छरों का प्रजनन बढ़ता है, जिससे ये बीमारियां फैलती हैं.
लक्षण: तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, शरीर पर लाल चकत्ते, थकान, मतली और उल्टी.
 

बैक्टीरियल संक्रमण (लेप्टोस्पायरोसिस, मेलियोइडोसिस):
ये गंदे पानी या मिट्टी के संपर्क से हो सकते हैं.
लक्षण: बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द.
मच्छरों और बीमारियों से बचाव
बाढ़ के बाद जहां-तहां पानी जमा हो जाता है, जिससे मच्छर पैदा होते हैं. मच्छर डेंगू, मलेरिया और कई अन्य वायरस फैलाते हैं. इसलिए आसपास जमा पानी को हटाएं और घर के दरवाजों-खिड़कियों पर मच्छरदानी लगाएं. जब भी बाहर निकलें तो पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें और कीट भगाने वाली क्रीम लगाएं.

खाने-पीने में रखें सावधानी
बाढ़ के दौरान या बाद में बिजली चली जाती है और फ्रीज़र काम नहीं करता. ऐसे में खाने का सामान जल्दी खराब हो सकता है. जो भोजन बाढ़ के पानी से संपर्क में आया हो, या जो 4 घंटे से ज़्यादा समय तक गर्म वातावरण में रखा गया हो, उसे तुरंत फेंक दें. कभी-कभी खाना देखने में ठीक लगता है लेकिन उसमें कीटाणु हो सकते हैं. अगर आपको जरा भी शक हो तो उसे न खाएं.

फफूंद और नमी से रहें सावधान
नमी वाली जगहों पर फफूंद तेजी से फैलती है. इससे सांस की दिक्कतें, खांसी, आंखों में जलन और एलर्जी हो सकती है. सफाई के दौरान अच्छे मास्क और दस्ताने पहनें. अगर फफूंद दीवारों या फर्श के अंदर है और खुद से हटाना संभव नहीं, तो विशेषज्ञों से मदद लें.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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