
How To Handle Heatwaves : भारत में गर्मी, जलवायु परिवर्तन और असामान्य मौसम की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें न सिर्फ पर्यावरण और आम जन-मानस पर संकट पैदा हो रहा है, बल्कि इसके लॉन्गटर्म इफेक्ट से निपटने का चैलेंज भी सामने आ रहा है. यह समय की मांग है कि हम भविष्य में होने वाली हीट वेव्स के लिए तैयारी करें और इसके खतरों से बचने के लिए पॉलिसी और लाइफस्टाइल में बदलाव करें. अब सवाल यह है कि क्या भारत इन खतरों से निपटने के लिए तैयार है?
भारत में गर्मी की कंडीशन का वर्तमान परिप्रेक्ष्य
भारत में टेम्प्रेचर के बढ़ने के संकेत पहले ही मिल चुके हैं. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने फरवरी 2025 में एक बार फिर बहुत ज्यादा गर्मी की लहरों का अलर्ट जारी किया. दिल्ली में फरवरी का महीना 74 सालों में सबसे गर्म रहा और मार्च के पहले पखवाड़े में मुंबई में दो बार हीट वेव्स आईं. इस स्थिति में सवाल उठता है कि भारत इन बढ़ते टेम्प्रेचर से कैसे निपटेगा?
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जलवायु मॉडल बताते हैं कि आने वाले समय में गर्मी की लहरें और भी तेज, लंबे समय तक चलने वाली और ज्यादा हार्मफुल पहुंचाने वाली होंगी. टेम्प्रेचर बढ़ने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के अन्य प्रभावों से निपटना भारत के लिए एक बड़ा चैलेंज बन चुका है. इस चैलेंज से निपटने के लिए हमें करंट में किए गए प्रयासों का इवैल्यूएशन और सुधार करना होगा.
भारत के शहरों में गर्मी से निपटने के उपाय
भारत के अलग-अलग शहरों में गर्मी से निपटने के लिए किए गए उपायों का एनालिसिस किया गया है. इन शहरों में टेम्प्रेचर बहुत ज्यादा बढ़ने की संभावना है और यहां की शहरी आबादी का एक खास हिस्सा हीट वेव्स का सामना कर रहा है. सिटी गवर्नमेंट ने कई इमरजेंसी उपायों को लागू किया है, जैसे कि अस्पतालों में वार्डों का दोबारा इस्तेमाल, काम के घंटों में बदलाव और अवेयरनेस कैम्पेनिंग का इवेंट. हालांकि, यह उपाय ज्यादातर इमिडिएट सर्वाइवल के लिए किए गए हैं और लॉन्गटर्म पर्सपेक्टिव की कमी दिखाते हैं.
इन उपायों में यह कमी पाई गई कि इनका टार्गेटेड इफेक्ट उन लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा जो सबसे ज्यादा अनसेफ हैं. उदाहरण के लिए, शहरी क्षेत्रों में वृक्षारोपण या छत पर सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट्स के एक्सेक्यूशन में गरीब और असुरक्षित क्षेत्रों को प्रायोरिटी नहीं दी गई. इसके साथ ही, नगर प्लानर की ओर से यह भी पाया गया कि वे गर्मी से निपटने के लिए कोई कानूनी अधिकार नहीं रखते हैं, जो एक बड़ी समस्या है.
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लॉन्गटर्म उपायों की जरूरत
1. प्लांटेशन और अर्बन ग्रीनरी का विस्तार: पेड़ और पौधे शहरी टेम्प्रेचर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं. खासतौर से कमजोर क्षेत्रों में ज्यादा वृक्षारोपण किया जा सकता है.
2. कूलिंग स्कीम्स: आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों में शीतलन की सुविधाएं विकसित की जानी चाहिए, जैसे कि एयर कंडीशनिंग और ठंडी छतें, ताकि गर्मी से बचाव किया जा सके.
3. हीटवेव इंश्योरेंस स्कीम: हीट वेव के कारण खोए गए काम के घंटों को कवर करने के लिए इंश्योरेंस स्कीम्स शुरू की जानी चाहिए, ताकि आर्थिक नुकसान को कम किया जा सके.
4. एनर्जी ग्रिड की स्ट्रेंथ: हीट वेव के दौरान इलेक्ट्रिसिटी की जरूरत बढ़ जाती है. इसके लिए इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड को स्टेबल और मजबूत बनाने की दिशा में काम किया जाना चाहिए.
लोकल गवर्नमेंट और पब्लिक पार्टिसिपेट का रोल
गर्मियों से निपटने के लिए अधिकारियों को खास ध्यान देने की जरूरत है. इसके अलावा, सरकार को गर्मी के प्रभाव को समझने और उनके लिए समाधान देने के लिए नागरिक समाज संगठनों और विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग बढ़ाना होगा. लॉन्गटर्म पार्टनर के साथ मिलकर समाधान खोजने से इस समस्या पर स्थायी तौर पर काबू पाया जा सकता है.
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फाइनेंशियल रिसोर्सेस और प्लान का रोल
गर्मियों से निपटने के लिए फाइनेंशियल रिसोर्सेज का मैनेजमेंट भी जरूरी है. राष्ट्रीय और स्टेट डिजास्टर मिटीगेशन फंड की मदद से गर्मी के प्रति लचीलापन बढ़ाने के लिए स्कीम्स को लागू किया जा सकता है. इसके अलावा, सेंट्रल स्पोन्सर्ड स्कीम्स (CSS) में सुधार कर और उनका बेहतर तरीके से एक्सेक्यूशन करके इस समस्या से निपटा जा सकता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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