कहीं ब्रेकअप न हो जाए... कमेंट या लाइक करने से पहले सोच लें

क्‍या कहा, सोशल मीडिया की वजह से ही आप अपने साथी से हर पल जुड़ा हुआ महसूस करते हैं, आप एक दूसरे से कितने ही दूर हों, लेकिन फिर भी दूरियों का पता नहीं चलता... तो जरा संभल कर। क्‍योंकि शायद आप इस बात से अंजान हैं कि आज अच्‍छा और प्‍यारा लग रहा सोशल मीडिया रिश्‍तों में दूरियां और कड़वाहट भरने में अहम रोल निभा रहा है...

कहीं ब्रेकअप न हो जाए... कमेंट या लाइक करने से पहले सोच लें

क्‍या कहा, सोशल मीडिया की वजह से ही आप अपने साथी से हर पल जुड़ा हुआ महसूस करते हैं, आप एक दूसरे से कितने ही दूर हों, लेकिन फिर भी दूरियों का पता नहीं चलता... तो जरा संभल कर। क्‍योंकि शायद आप इस बात से अंजान हैं कि आज अच्‍छा और प्‍यारा लग रहा सोशल मीडिया रिश्‍तों में दूरियां और कड़वाहट भरने में अहम रोल निभा रहा है... 

सोशल नेटवर्किंग साइट पर किसी तस्वीर को लाइक करने से आपके बने-बनाए संबंध में मनमुटाव पैदा हो गया? हैरान न हों, क्योंकि ऐसा अक्सर देखा गया है। सोशल मीडिया इन दिनों संबंधों को खराब करने वाला दानव बन चुका है। मनोचिकित्सकों के अनुसार, सोशल मीडिया पर ज्‍यादा टाइम बिताने से आपके संबंधों पर बुरा असर हो सकता है।

बदल रही हैं प्राथमिकताएं 

 

प्रतीकात्‍मक चित्र


मोनोचिकित्सक आशिमा श्रीवास्तव ने बताया कि संबंधों के खत्म होने में सोशल मीडिया की भूमिका बढ़ती जा रही है, क्योंकि यह कई मायनों में आपकी निजता को खत्‍म करने वाला है। लगातार सोशल मीडिया साइटों पर सक्रिय रहने वाले लोग दूसरों को कम समय दे पाते हैं।" फोर्टिस हेल्थकेयर के मानसिक स्वास्थ्य एवं व्यवहार विज्ञान विभाग के निदेशक समीर पारिख ने भी यही बात कही कि सोशल मीडिया के चलते लोगों की प्राथमिकताएं बदल रही हैं, जो संबंधों में दरार लाने वाला साबित हो रहा है।

ऐसी उम्‍मीदें जो न हो सकें पूरी... 

 

प्रतीकात्‍मक चित्र


मनोचिकित्सक रिपन सिप्पी ने के मुताबिक सोशल मीडिया पर मिलने वाली झूठी या आधी-अधूरी कहानियों के प्रभाव में आकर लोग अपने साथी से अव्यावहारिक अपेक्षाएं पाल लेते हैं यानी वे अपने साथी से ऐसी-ऐसी उम्‍मीदें करने लगते हैं, जिन्‍हें पूरा करना प्रेक्टिकल नहीं होता। साथ ही उन पर उसी तरह की अवास्तविक जीवन पद्धति अपनाने का दबाव डालने भी लगते हैं।

होता है कुछ ऐसा असर...

 

प्रतीकात्‍मक चित्र


सोशल साइटों का ज्‍यादा इस्तेमाल करने से किसी रिश्ते की सबसे अहम बातों, जैसे विश्वास, निजी राय और वैयक्तिक स्वतंत्रता में कमी आती है। आशिमा ने कहा कि किसने, किसकी, कौन सी तस्वीर शेयर की, किसने कहां और क्या कमेंट किया और यहां तक कि सोशल साइटों पर निजी चैट जैसी बातें संबंधों को खत्म करने वाली साबित होती हैं।" 

छिन जाता है चैन

 

प्रतीकात्‍मक चित्र

सोशल साइटों पर मानसिक तौर पर अत्यधिक उलझाव के कारण लोग अपने साथी के विचारों को ज्यादा जगह नहीं दे पाते। तो वहीं मनोचिकित्‍सक सिप्पी का कहना है कि सोशल मीडिया पर होने वाली बातचीत में बहुत थकावट होती है जो दिमाग को जकड़ लेते हैं, ऐसे में कोई व्यक्ति कहीं शारीरिक तौर पर रहते हुए भी मानसिक तौर पर मौजूद नहीं रहता, क्योंकि उनके दिमाग में कुछ और बातें घूमती रहती हैं।" किसी की टिप्पणी पर मिलने वाले लाइक और टिप्पणियां उसे सोशल साइट पर दिन में अधिक से अधिक बार जाने के लिए उकसाती हैं।

..और फिर होने लगती है तुलना 

 


फेसबुक जैसे सोशल साइटों के उपयोगकर्ता सोशल साइटों पर मौजूद अन्य लोगों की जोड़ी से अपनी जोड़ी की तुलना करते हैं और कई बार वे किसी प्रख्यात हस्ती तक से अपने साथी की तुलना करने लगते हैं, जिससे संबंधों की गर्माहट में कमी आने लगती है जो समस्याओं को जन्म देता है।

इस समस्या को स्मार्टफोन ने और बढ़ा दिया है और बेडरुम में वह 'तीसरे व्यक्ति' जैसी उपस्थिति रखने लगा है, जो पति-पत्नी के बीच रोमांस पनपने के लिए जरूरी निजता को खत्म कर देता है।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com