‘उसने डॉक्टरों को बताया कि वह अपने बच्चे को स्तनपान कराना चाहती थी. उसने कहा कि उसकी साथी गर्भवती थी, लेकिन जब बच्चा पैदा हुआ, तो वह स्तनपान कराने की योजना नहीं बना रही थी, इसलिए वह अब इसका जिम्मा खुद उठाना चाहती थी.' 30 वर्षीय, ये महिला ट्रांसजेंडर इस जोखिम को स्वीकार करने के लिए तैयार थी. पिछले साल हार्मोन थेरेपी के बाद, डॉक्टर्स ने ट्रांसजेंडर को इस लायक बनाया कि वो बच्चे को ब्रेस्टफीड करा सके. यह भी कहा गया कि वह स्तनपान कराने वाली पहली ट्रांसजेंडर महिला हो सकती है.
वॉशिंगटन पोस्ट को फोन पर दिए गए एक इंटरव्यू में जिल गोल्डस्टीन के साथ इस रिसर्च को अंजाम देने वाले तामार रीजमैन ने कहा, ‘हम अपने रोगियों को प्रजनन विकल्पों की पूरी श्रृंखला के साथ पेश करना चाहते हैं और हम इससे बस एक कदम दूर थे'
न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई अस्पताल में सेंटर फॉर ट्रांसजेंडर मेडिसिन एंड सर्जरी के एंडोक्रिनोलॉजिस्ट रीसमैन ने कहा कि डॉक्टरों ने "नॉन-प्यूपरल प्रेरित लैक्टेशन" के लिए प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किया, जिसमें एक महिला को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित किया जाता है. केस स्टडी के अनुसार, इस मरीज का लिंग चेंज नहीं किया गया था, उसे टेस्टोस्टेरोन, एस्ट्रैडियोल और प्रोजेस्टेरोन को दबाने के लिए एक हार्मोन रेजिमेन - स्पिरोनोलैक्टोन लगाया गया था.
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रोगी को एक गैलेक्टगॉग भी दिया गया और प्रोलैक्टिन बढ़ाने के लिए उसे ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई. गैलेक्टगॉग एक प्रकार का हार्मोन होता है, जो मिल्क प्रोडक्शन में मदद करता है.
एक महीने के ट्रीटमेंट के बाद, महिला काफी कम मिल्क प्रोडयूस कर पा रही थी, लेकिन तीन महीने में, वह प्रति दिन लगभग 8 आउन्स दूध का उत्पादन कर रही थी.
अध्ययन के अनुसार, जब बच्चे का जन्म हुआ, तब महिला ने छह सप्ताह तक उसे ब्रेस्टफीड कराया.
रीसमैन ने कहा कि 6 महीने के बाद बच्चा एकदम हेल्दी और खुश था.
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने बिना किसी चिकित्सीय कारणों के बच्चों को पहले छह महीनों के लिए विशेष रूप से स्तनपान कराने की सलाह दी है और फिर कम से कम एक वर्ष के लिए हैवी खाद्य पदार्थों के साथ स्तनपान जारी रखने को कहा है. उन माताओं के लिए जो अपने मिल्क प्रोडयूस नहीं कर सकती हैं, या उन माताओं के लिए जो सरोगेट ऑप्शन अपना रही हैं, वह लैक्टेशन को प्रेरित कर हार्मोन और पम्पिंग का सहारा ले सकती हैं.
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की प्रवक्ता जेनी थॉमस ने फोन पर दिए इंटरव्यू में कहा, ‘लैक्टेशन प्रेरित करने का प्रोटोकॉल बहुत सामान्य है.'
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विस्कॉन्सिन में ऑरोरा हेल्थ केयर के बाल रोग विशेषज्ञ और ब्रेस्टफीड सलाहकार थॉमस ने कहा कि इसमें इस्तेमाल होने वाले रेजिमेन उन माताओं के समान है, जो अपने आप दूध का उत्पादन नहीं कर सकतीं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन के एक ऑनलाइन डेटाबेस, लैक्टमेड के अनुसार, स्पिरोनोलैक्टोन को स्तनपान के दौरान आवश्यक माना जाता है,
थॉमस ने कहा, हमने ये उम्मीद नहीं की थी कि स्पिरोनोलैक्टोन से ब्रेस्ट में दूध आ जाएगा.
लेकिन सैन फ्रांसिस्को, मेडिकल स्कूल कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में एक डॉक्टर और एसोसिएट प्रोफेसर मैडलिन डियूसच ने कहा कि अभी शोध पूरा नहीं हुआ है.
ट्रांसजेंडर हेल्थ, यूसीएसएफ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की निदेशक, डियूसच ने कहा, वह बच्चा अभी 6 माह का है और महिला ट्रांसजेंडर है. मुझे ट्रांसजेंडर माताओं के साथ सहानुभूति है, मैं ब्रेस्टफीड कराने के लिए उसे प्रेरित करने की कोशिश कर रही हूं. यह कहते हुए कि न केवल इस पर और अधिक शोध किए जाने की जरूरत है उन्होंने कहा कि ये भी देखना होगा किा क्या दवाएं भ्रूण या शिशु को प्रभावित तो नहीं कर रहीं या ट्रांसजेंडर महिलाओं द्वारा उत्पादित दूध में उचित पोषण है भी या नहीं.
इस दूध के पोषण तत्वों के बारे में अभी भी जानकारी का अभाव है.
डियूसच कहती हैं, ट्रांसजेंडर महिलाओं को उनके शरीर का कंट्रोल नहीं होता. यह एक ऐसी चीज है जिसका और अधिक विस्तार करने की जरूरत है.'
फिर भी, जब केस स्टडी के बारे में पूछा गया, तो थॉमस ने कहा कि उनका मानना है कि शिशुओं के लिए स्तनपान आवश्यक है.
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