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This Article is From Jun 07, 2022

Genital TB: क्या टीबी की बीमारी गर्भधारण करने से रोकती है? क्या है जननांग टीबी, कारण, लक्षण और इलाज

Genital TB and infertility: टीबी और बांझपन का आपस में गहरा संबंध है. इन दोनों समस्याओं को समय पर निदान और प्रोपर ट्रीटमेंट से दूर किया जा सकता है.

Genital TB: क्या टीबी की बीमारी गर्भधारण करने से रोकती है? क्या है जननांग टीबी, कारण, लक्षण और इलाज
Genital Tb Diagnosis: टीबी एक गंभीर बीमारी है जो फेफड़ों को प्रभावित करती है.

Genital Tb And Pregnancy: यह एक लगभग सबको पता है कि टीबी एक गंभीर बीमारी है जो फेफड़ों को प्रभावित करती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि टीबी गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और जननांगों को भी संक्रमित कर सकता है? अगर इसे अनट्रीटेड छोड़ दिया जाए, तो यह समस्या बांझपन का कारण बन सकती है! अगर आप गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं, और असफल हो रही है, तो जेनिटल टीबी आपके बच्चे पैदा करने के सपनों मे रुकावट लाने का मूल कारण हो सकता है. वास्तव में, पुरुषों और महिलाओं दोनों में बांझपन का मूल कारण टीबी है, इस फैक्ट के बारे मे तब पता चलता है, जब कपल्स अपनी प्रजनन समस्याओं के लिए इलाज करने डॉक्टर के पास जाते है.

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भारत में टीबी के आंकड़े (TB Statistics In India)

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत में दुनिया में सबसे बड़ी टीबी की महामारी है और यह देश के लिए एक चिंता का विषय है. 2020 में दुनिया के लगबग 26% टीबी के मामले भारत में पाए गए (डब्ल्यूएचओ की ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट 2021 के अनुसार).

इंडियन कौन्सील मेडिकल रिपोर्ट (आईसीएमआर) के अनुसार, भारत में आईवीएफ प्रक्रिया का प्रयास करनेवाली ज्यादातर महिलाओं में जेनिटल टीबी (एफजीटीबी) बड़ी संख्या में पाया गया है. आईसीएमआर सर्वेक्षण के अनुसार, पिछले कुछ सालों में भारत में एफजीटीबी का प्रसार काफी बढ़ गया है. इसलिए, कई आईसीएमआर अध्ययन टीम इस समस्या के निदान और मैनेजमेंट के लिए नेशमल लेवल पर लागू एल्गोरिदम विकसित करने पर काम कर रहे हैं.

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किस उम्र में हो सकता है टीबी? At What Age Can TB Occur?

टीबी किसी भी उम्र में हो सकता है, खासकर 15 से 45 साल के प्रजनन आयू वाली महिलाओं में जेनिटल टीबी हो सकता है और मध्यम आयु वर्ग के पुरुष वर्ग में यह समस्या देखी जाती है.

जेनिटल टीबी के लक्षण (Symptoms Of Genital TB)

1) महिलाएं

महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म, पेट में दर्द, योनि से बदबूदार रक्त और संभोग के बाद रक्तस्राव जैसे कई लक्षण दिखाई देते हैं. महिलाओं में जेनिटल टीबी फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय को प्रभावित कर सकता है. एंडोमेट्रियम के अस्तर पर यह गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है, जिसे एशरमैन सिंड्रोम कहा जाता है.

कई बार एफजीटीबी के कोई लक्षण मौजूद नहीं होते हैं, इसलिए प्रारंभिक अवस्था में इस समस्या का सटीक और जल्द निदान प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. इसलिए डॉक्टर निर्धारित लक्षणों के अलावा पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री और क्लिनिकल टेस्ट जैसे कुछ और टेस्ट भी करते है. टीबी बैक्टीरिया की जांच के लिए यूरीन टेस्ट, सोनोग्राफी, सीटी, एंडोमेट्रियल एस्पिरेट (या बायोप्सी), एंडोस्कोपी जैसे मेडिकल टेस्ट करके इस समस्या का निश्चित निदान करना मुमकिन हो सकता हैं.

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2) पुरुष

जननांग टीबी मुख्य रूप से महिलाओं को प्रभावित करता है, पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि, एपिडीडिमिस और अंडकोष को प्रभावित करता है. पुरुषों में इससे स्खलन में असमर्थता, शुक्राणु की गतिशीलता में कमी और पिट्यूटरी ग्रंथि की पर्याप्त हार्मोन का उत्पादन करने में असमर्थता जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

खांसी और छींक द्वारा हवा में छोड़ी गई छोटी बूंदों के माध्यम से टीबी के बैक्टीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित हो सकते है. अगर सही समय मे उपचार नही किया गया, तो यह किडनी, पेट, मस्तिष्क, गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब जैसे पूरे शरीर मे फैल सकते है. इसलिए समय रहते इसका इलाज जरूरी है.

इन समस्याओं का निदान इनफर्टिलिटी जांच के दौरान लक्षणों और उनकी प्रकृति के आधार पर किया जाता है. भारत में टीबी के मरीजों को देखने का अलग नजरिया होता है. टीबी के बारे में कई सामाजिक भ्रांतियां हैं, इसलिए इसका निदान और उपचार करना मुश्किल हो जाता है.

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क्या है जेनिटल टीबी का इलाज? | Treatment Of Genital TB

अच्छी खबर यह है कि समय पर निदान और उपचार से टीबी को जल्दी नियंत्रित किया जा सकता है. साथ ही टीबी का इलाज करते समय गर्भावस्था से संबंधित कई एडवांस फर्टिलिटी ट्रीटमेंट लेना भी संभव है. उदाहरण के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF), या फिर इंट्रायूटरिन इन्सेमिनेशन (IUI) का उपयोग किया जा सकता है. एफजीटीबी के मामले में भ्रूण ट्रांसफर को सबसे सफल आईवीएफ उपचार पाया गया है. जबकि, पुरुषों में टेस्टिकुलर स्पर्म एस्पिरेशन (टीईएसए) नामक एक सरल प्रक्रिया द्वारा इस समस्या को ठीक किया जा सकता है, जिसमें अंडकोष से शुक्राणु कोशिकाओं और ऊतकों को एक छोटी सुई के माध्यम से हटा दिया जाता है और इसके बाद अंडे को निषेचित करने के लिए शुक्राणु को टिश्यू से अलग किया जाता हैं.

इसके अलावा, लाइफ लेवल में सुधार, इम्यूनिटी को बढ़ावा देना, डाइट पर ध्यान केंद्रित करना, भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहना, बीसीजी का टीका लगवाना आदि. महत्वपूर्ण कदम हैं जो खुद को टीबी से बचाने के लिए उठाए जाने चाहिए हैं.

(डॉ हृषिकेश पाई - मुंबई में फर्टिलिटी डॉक्टर और आईवीएफ विशेषज्ञ हैं)

अस्वीकरण: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं. एनडीटीवी इस लेख की किसी भी जानकारी की सटीकता, पूर्णता, उपयुक्तता या वैधता के लिए ज़िम्मेदार नहीं है. सभी जानकारी यथास्थिति के आधार पर प्रदान की जाती है. लेख में दी गई जानकारी, तथ्य या राय एनडीटीवी के विचारों को नहीं दर्शाती है और एनडीटीवी इसके लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व नहीं लेता है.

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