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Dear Men, जानते हो तुम क्यों नहीं समझ पाते फीलिंग्स? हो सकते हो इस डिसऑर्डर का शिकार, जान लो क्या है Alexithymia, इसके लक्षण, कारण और निवारण

Difficulty Recognizing and Feeling Emotions |Alexithymia in Hindi: एलेक्सिथिमिया एक ऐसी स्थिति है जो किसी व्यक्ति के जीवन में फीलिंग्स की पहचान और एक्सप्रेशन को इफेक्ट करती है. हालांकि इसका निदान और इलाज चैलेंजिंग हो सकता है.

Dear Men, जानते हो तुम क्यों नहीं समझ पाते फीलिंग्स? हो सकते हो इस डिसऑर्डर का शिकार, जान लो क्या है Alexithymia, इसके लक्षण, कारण और निवारण
Alexithymia in Hindi : जानिए क्या है एलेक्सिथिमिया, इसके लक्षण और बचाव के उपाय

Alexithymia in Hindi (Difficulty Recognizing and Feeling Emotions): हमारे जीवन में फीलिंग्स का गहरा असर होता है. खुशी, गम, प्यार, डर, घबराहट जैसी फीलिंग्स हमारी सोच, काम और रिश्तों को आकार देती हैं. इन फीलिंग्स का सही तरीके से एक्सपीरिएंस और एक्सप्रेस करना जीवन की नेचुरल प्रोसेस है. लेकिन कुछ लोगों के लिए, यह एक कठिन और चैलेंजिंग काम हो सकता है. एलेक्सिथिमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को अपनी फीलिंग्स को पहचानने, महसूस करने और एक्सप्रेस करने में कठिनाई होती है.

भावनात्मक विकार (एलेक्सीथायमिया) - Alexithymia in Hindi

यह स्थिति सामान्यतः मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स या न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से जुड़ी हो सकती है, लेकिन यह हर किसी के लिए समान नहीं होती. इस आर्टिकल में हम एलेक्सिथिमिया के बारे में विस्तार से जानेंगे - इसके कारण, लक्षण, निदान, उपचार और इससे निपटने के उपायों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे.

एलेक्सिथिमिया: लक्षण, कारण, उपचार | Alexithymia: Causes, Symptoms, and Treatments

एलेक्सिथिमिया क्या है? | What is Alexithymia

एलेक्सिथिमिया, एक ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ है "फीलिंग्स के लिए शब्दों का अभाव." यह स्थिति उस समय उत्पन्न होती है जब किसी व्यक्ति को अपनी फीलिंग्स को पहचानने और उन्हें ठीक तरीके से एक्सप्रेस करने में कठिनाई होती है. ऐसा व्यक्ति आमतौर पर उन फीलिंग्स को महसूस करने में भी असमर्थ होता है जो उसके साथ घट रही होती हैं. इस स्थिति से पीड़ित व्यक्ति कभी-कभी अपनी फीलिंग्स को नकारने की कोशिश कर सकता है, क्योंकि उसे ये समझने में परेशानी होती है कि वह क्या महसूस कर रहा है.

एलेक्सिथिमिया मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स से जुड़ी एक गंभीर स्थिति हो सकती है, हालांकि यह हर व्यक्ति को प्रभावित नहीं करती. अनुमान के मुताबिक, दुनिया की हर दसवें व्यक्ति को इस प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है. यह स्थिति अक्सर दूसरे मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर जैसे डिप्रेशन, ऑटिज़्म या न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम्स से जुड़ी हो सकती है.

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अक्सर पुरुष अपनी भावनाओं को जाहिर नहीं कर पाते. 


एलेक्सिथिमिया के कारण | Causes of alexithymia in Hindi

एलेक्सिथिमिया के कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन इसके कुछ प्रमुख कारणों का अनुमान लगाया गया है. यह एक जेनेटिक कंडीशन हो सकती है, जिससे प्रभावित व्यक्ति को फीलिंग्स को पहचानने और समझने में प्रॉब्लम्स हो सकती हैं. इसके अलावा, ब्रेन के इंसुला नाम के हिस्से में घाव या क्षति से भी एलेक्सिथिमिया हो सकता है. इंसुला ब्रेन का वह हिस्सा है जो हमारे सोशल स्किल्स, सहानुभूति और फीलिंग्स को कंट्रोल करता है. इंसुला में हुई किसी भी प्रकार की चोट इमोशनल रिएक्शन को सही ढंग से पहचानने और एक्सप्रेस करने में प्रॉब्लम उत्पन्न कर सकती है.


ऑटिज्म और एलेक्सिथिमिया | Links to autism

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑर्डर के लक्षण अलग-अलग होते हैं, लेकिन एक नॉर्मल मिथक यह है कि ऑटिज़्म से प्रभावित व्यक्तियों में सहानुभूति की कमी होती है. हालांकि, यह मिथक अब कई स्टडी के जरिए रिजेक्ट किया जा चुका है. रिसर्च से यह पता चला है कि ऑटिज़्म से प्रभावित लगभग आधे लोग एलेक्सिथिमिया से भी प्रभावित होते हैं. इसका मतलब है कि यह एलेक्सिथिमिया ही है, जो व्यक्ति के सहानुभूति की कमी का कारण बनता है, न कि ऑटिज़्म. 


फीलिंग्स और डिप्रेशन | Emotions and depression

एलेक्सिथिमिया का एक्सपीरिएंस डिप्रेशन के साथ भी हो सकता है. स्टडी से यह स्पष्ट हुआ है कि डिप्रेशनग्रस्त डिस्ऑर्डर से पीड़ित 32 से 51 प्रतिशत व्यक्तियों में एलेक्सिथिमिया भी पाया जाता है. इसमें व्यक्ति को अपने अंदर हो रही फीलिंग्स को पहचानने या समझने में परेशानी होती है, जिससे डिप्रेशन और मेंटल स्ट्रेस की स्थिति और ज्यादा कठिन हो जाती है.


ट्रामा का असर | Possible trauma

जो लोग बचपन में मेंटल या फिजिकल ट्रॉमा का सामना करते हैं, उनके लिए भी एलेक्सिथिमिया हो सकता है. खासकर अगर किसी व्यक्ति को उपेक्षा या बहुत ज्यादा स्ट्रेसफुल वातावरण का सामना करना पड़ा हो, तो इसके कारण ब्रेन में कुछ चेंजेस हो सकते हैं, जो बाद में जीवन में फीलिंग्स को महसूस करने और पहचानने में कठिनाई पैदा कर सकते हैं. 

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एलेक्सिथिमिया के लक्षण | Symptoms of Alexithymia in Hindi


एलेक्सिथिमिया के प्रमुख लक्षणों में फीलिंग्स की पहचान और एक्सप्रेस करने में कठिनाई शामिल होती है. व्यक्ति को अपने अंदर हो रही फीलिंग्स का एक्सपीरिएंस नहीं हो पाता या फिर वह इन्हें शब्दों में एक्सप्रेस नहीं कर पाता. इसके कारण व्यक्ति बाहरी दुनिया में अपनी फीलिंग्स को एक्सप्रेस करने में असमर्थ हो सकता है और वह सोशल कॉन्टेक्स्ट में रिलैक्ड और इंडिफ्रेंट फील हो सकता है. 

एलेक्सिथिमिया से प्रभावित व्यक्ति नीचे दिए लक्षणों का एक्सपीरिएंस कर सकता है


1. क्रोध और भ्रम - व्यक्ति अपने भीतर हो रही फीलिंग्स को सही तरीके से समझ नहीं पाता और उसे भ्रमित महसूस हो सकता है.
2. चेहरे को पढ़ने में कठिनाई - फीलिंग्स को पहचानने और चेहरे की एक्सप्रेशन को समझने में कठिनाई.
3. स्नेह की कमी - रिश्तों में भावनात्मक जुड़ाव की कमी.
4. शारीरिक प्रतिक्रियाएं - व्यक्ति शारीरिक रूप से कुछ महसूस करता है, जैसे दिल की धड़कन बढ़ना, लेकिन उसे यह समझने में कठिनाई होती है कि यह किस भावना का परिणाम है.


एलेक्सिथिमिया का निदान | Diagnosing Alexithymia In Hindi


एलेक्सिथिमिया का निदान मेंटल हेल्थ स्पेशलिस्ट के जरिए किया जाता है. इसका निदान करने के लिए कोई सिंगल टेस्ट नहीं है, बल्कि यह एनालिसिस मेंटल हेल्थ प्रोवाइडर के जरिए किए गए सवालों और आपके जरिए दिए गए उत्तरों के आधार पर किया जाता है. इसके अलावा, कभी-कभी न्यूरोलॉजिकल टेस्ट भी किया जा सकता है, जैसे MRI, जिससे ब्रेन की इमेजेस ली जाती हैं और इंसुला क्षेत्र की स्थिति का वेल्युवेशन किया जा सकता है.

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एलेक्सिथिमिया का इलाज


अब तक, एलेक्सिथिमिया के लिए कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं पाया गया है. हालांकि, मेंटल हेल्थ कंडीशन को सुधारने के लिए कुछ मेडिकल ऑप्शन मौजूद हैं, जैसे कॉग्नेटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) और मेंटल हेल्थ काउंसलिंग. इसके अलावा, अगर व्यक्ति को डिप्रेशन या चिंता जैसी दूसरे मेंटल प्रॉब्लम्स भी हैं, तो उनका ट्रीटमेंट भी इस स्थिति में मदद कर सकता है. 

एलेक्सिथिमिया से निपटने के सुझाव

1. फीलिंग्स पर ध्यान दें - शारीरिक प्रतिक्रियाओं का ध्यान रखना एक अच्छा उपाय हो सकता है, जैसे हार्ट बीट में वृद्धि. इससे आपको यह समझने में मदद मिल सकती है कि आप किस भावना का एक्सपीरिएंस कर रहे हैं.
2. जर्नलिंग - अपनी फीलिंग्स और शारीरिक प्रतिक्रियाओं को लिखकर पहचानने में मदद मिल सकती है.
3. एक्सरसाइज और योग - मेंटल हेल्थ को सुधारने के लिए फिजिकल एक्सरसाइज और योग भी मदद कर सकते हैं.

डॉक्टर को कब दिखाएं?

अगर आपको लगता है कि आप अपनी फीलिंग्स को सही तरीके से पहचानने या एक्सप्रेस करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं, तो आपको एक मेंटल हेल्थ स्पेशलिस्ट से संपर्क करना चाहिए. वे आपको एलेक्सिथिमिया और इससे संबंधित प्रॉब्लमओं के समाधान के लिए उचित मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं. 

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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