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मेडिकल अबॉर्शन क्या होता है, इसके साइड इफेक्ट, कब और कैसे होता है Medical Abortion,क्या हैं इससे जुड़े खतरे, जानें सबकुछ

Medical Abortion Kaise Hota Hai: मेडिकल अबॉर्शन, जिसे मेडिसिन के जरिए अबॉर्शन भी कहा जाता है, एक ऐसी प्रोसेस है जिसमें प्रेगनेंसी को डिस्कंटीन्यू करने के लिए मेडिसिन्स का इस्तेमाल किया जाता है. यह प्रोसेस आम तौर पर फर्स्ट क्वाटर (12 सप्ताह से पहले) में की जाती है और इसमें दो मेन मेडिसिन्स का इस्तेमाल होता है मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल. 

मेडिकल अबॉर्शन क्या होता है, इसके साइड इफेक्ट, कब और कैसे होता है Medical Abortion,क्या हैं इससे जुड़े खतरे, जानें सबकुछ

What Is Medical Abortion : प्रेगनेंसी एक बहुत खास और पर्सनल जर्नी  होती है, जिसे हर महिला अपने फिजिकल और मेंटल स्टेट के अनुसार एक्सपीरिएंस करती है. लेकिन कभी-कभी, अलग-अलग कारणों से प्रेगनेंसी को डिस्कंटीन्यू करने की जरूरत पड़ती है. ऐसे में मेडिकल अबॉर्शन (Medical Abortion) एक असरदार और सुरक्षित ऑप्शन साबित हो सकता है. यह प्रोसेस मेडिसिन्स के जरिए प्रेगनेंसी को डिस्कंटीन्यू करने का तरीका है. इस आर्टिकल में हम मेडिकल अबॉर्शन की प्रोसेस, इसके कारण, फायदे और रिस्क पर विस्तार से चर्चा करेंगे.

मेडिकल अबॉर्शन क्या है? | What is a medical abortion? | Medical Abortion Kya hota hai 

Medical Abortion Kaise Hota Hai: मेडिकल अबॉर्शन, जिसे मेडिसिन के जरिए अबॉर्शन भी कहा जाता है, एक ऐसी प्रोसेस है जिसमें प्रेगनेंसी को डिस्कंटीन्यू करने के लिए मेडिसिन्स का इस्तेमाल किया जाता है. यह प्रोसेस आम तौर पर फर्स्ट क्वाटर (12 सप्ताह से पहले) में की जाती है और इसमें दो मेन मेडिसिन्स का इस्तेमाल होता है मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल. 

- मिफेप्रिस्टोन: यह मेडिसिन प्रोजेस्टेरोन हार्मोन को ब्लॉक करती है, जो प्रेगनेंसी को बनाए रखने के लिए जरूरी होता है. इस मेडिसिन के प्रभाव से यूट्रस की लेयर पतली हो जाती है और प्रेगनेंसी का विकास रुक जाता है.
- मिसोप्रोस्टोल: यह मेडिसिन यूट्रस की ऐंठन और ब्लीडिंग को इंड्यूस करती है, जिससे प्रेगनेंसी के टिश्यू बाहर निकल जाते हैं. इस प्रकार, मेडिकल अबॉर्शन में मेडिसिन्स का कॉम्बिनेशन प्रेगनेंसी को डिस्कंटीन्यू करने का एक सुरक्षित और असरदार तरीका प्रदान करता है.

मेडिकल अबॉर्शन डॉक्टरी सलाह पर क्यों?

कई बार देखा जाता है कि लोग फार्मेसी से दवाएं खरीद कर अबॉर्शन करने का प्रयास करते हैं. यह महिला की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. प्रेगनेंसी को दवाओं से खत्म करने से पहले कई तरह की जांचों की जरूरत होती है. जिसमें अल्ट्रासाउंट भी किया जाता है. यह पता लगाने के लिए कि प्रेगनेंसी नॉर्मल है, एक्टॉपिक है या क्लिनिकल है. उसी के अनुसार डॉक्टर यह तय करता है कि इस प्रेगनेंसी को कैसे टर्मिनेट किया जाए. अक्सर बिना इन जांचों के दवा ले लेने से जान का खतरा भी बन सकता है. 

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मेडिकल अबॉर्शन की जरूरत क्यों होती है?

मेडिकल अबॉर्शन कराने के कई पर्सनल कारण हो सकते हैं. इनमें से कुछ नॉर्मल कारण हैं

1. अनवॉन्टेड प्रेगनेंसी: कई महिलाएं अनवॉन्टेड प्रेगनेंसी को डिस्कंटीन्यू करना चाहती हैं, क्योंकि यह उनकी लाइफ स्टाइल या प्लानिंग्स के अकॉर्डिंग नहीं होती.
2. सेहत से जुड़े कारण: कभी-कभी गर्भवती महिला की फिजिकल या मेंटल स्टेट ऐसी होती है कि प्रेगनेंसी को बनाए रखना उसके लिए रिस्की हो सकता है.
3. यूट्रस में प्रॉब्लम: कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान यूट्रस से जुड़ी कठिनाइयां हो सकती हैं, जो प्रेगनेंसी को रिस्की बना देती हैं.
4. गर्भवती महिला की मेंटल स्टेट: मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स के कारण भी कुछ महिलाएं प्रेगनेंसी को डिस्कंटीन्यू करने का ऑप्शन चुन सकती हैं.

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कब और कैसे मेडिकल अबॉर्शन किया जाता है? | Medical Abortion Procedure | Medical Abortion Kaise Hota Hai

मेडिकल अबॉर्शन करने के लिए, यह जरूरी है कि प्रेगनेंसी 10 सप्ताह से पहले हो. इसके बाद भी, अगर मेडिसिन्स का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो यह सुरक्षित हो सकता है. अबॉर्शन की प्रोसेस दो मेडिसिन्स के सेवन से होती है:

1. मिफेप्रिस्टोन: जैसा कि ऊपर बताया गया है कि यह पहली मेडिसिन है, जिसे महिला को ओरल लेना होता है. यह प्रेगनेंसी को बनाए रखने वाले हार्मोन को रोकती है और यूट्रस की लेयर को कमजोर करती है.
2. मिसोप्रोस्टोल: यह मेडिसिन दूसरी गोलियों के रूप में आती है, जिसे महिला को मिफेप्रिस्टोन के बाद 24 से 48 घंटों के भीतर लेना होता है. यह यूट्रस की ऐंठन और ब्लाडिंग को उत्पन्न करती है. इस प्रोसेस के बाद, महिलाओं को ब्लाडिंग और ऐंठन का एक्सपीरिएंस हो सकता है, जो नॉर्मल है. कुछ महिलाएं हल्का बुखार, चक्कर आना या मतली जैसी प्रॉब्लम्स का भी एक्सपीरिएंस कर सकती हैं.

मेडिकल अबॉर्शन के फायदे और रिस्क | Risks / Benefits of a Medical Abortion? | Abortion ke Fayde aur Khatre

मेडिकल अबॉर्शन के फायदे (Benefits of a Medical Abortion)

1. सुरक्षित और असरदार: मेडिकल अबॉर्शन एक सुरक्षित तरीका है, जो हाई सक्सेस रेट के साथ प्रेगनेंसी को डिस्कंटीन्यू करता है.
2. घर पर आराम: इस प्रोसेस में महिला को अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं होती, वह घर पर आराम से यह प्रोसेस कर सकती है.
3. नेचुरल एक्सपीरिएंस: मेडिकल अबॉर्शन में प्रेगनेंसी को डिस्कंटीन्यू करने का तरीका नेचुरल लगता है, क्योंकि यह शरीर के नेचुरल प्रोसेस को फॉलो करता है.

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मेडिकल अबॉर्शन के रिस्क (Risks of a Medical Abortion)

1. अबॉर्शन में असफलता: कभी-कभी मेडिसिन्स असरदार नहीं होतीं और प्रेगनेंसी डिस्कंटीन्यू नहीं हो पाती.
2. हैवी ब्लाडिंग: कुछ महिलाओं को बहुत ज्यादा ब्लाडिंग का सामना करना पड़ सकता है, जो जरूरी ट्रीटमेंट की जरूरत पैदा कर सकता है.
3. इंफेक्शन का रिस्क: अगर मेडिसिन्स का सही तरीके से सेवन नहीं किया जाता या प्रोसेस के बाद इंफेक्शन होता है, तो यह गंभीर प्रॉब्लम्स पैदा कर सकता है.
4. इमोशनल इम्पैक्ट : मेडिकल अबॉर्शन के बाद कुछ महिलाओं को मेंटल या इमोशनल प्रॉब्लम्स हो सकती हैं, जैसे कि स्ट्रेस, उदासी या गिल्ट.

मेडिकल अबॉर्शन के बाद की देखभाल | Medical Abortion Aftercare | Garbhpat ke Bad Kya Kare

मेडिकल अबॉर्शन के बाद, महिलाओं को कुछ समय तक ब्लाडिंग और ऐंठन का सामना हो सकता है. यह प्रोसेस के नॉर्मल लक्षण होते हैं, लेकिन अगर ब्लाडिंग बहुत ज्यादा हो या कोई दूसरी प्रॉब्लम हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. 

1. ब्लाडिंग का सुपर विज़न: ब्लाडिंग की मात्रा और टाइम का सुपर विज़न करें. अगर ब्लाडिंग के एक घंटे के अंदर दो से अधिक पैड गीले हो रहे हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें.
2. फॉलो-अप अपॉइंटमेंट: मेडिकल अबॉर्शन के बाद, डॉक्टर एक या दो हफ्ते के भीतर फ़ॉलो-अप चेकअप की सलाह दे सकते हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए है कि प्रेगनेंसी पूरी तरह डिस्कंटीन्यू हो चुकी है.
3. इंफेक्शन का ध्यान रखें: अगर आपको बुखार, वजाइना से स्मेली डिस्चार्ज या पेट में सीवियर पेन फील हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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