डॉक्टरों ने कहा अब इलाज संभव नहीं, तो मानसिक रोगों से परेशान होकर 28 साल की महिला ने की इच्छामृत्यु की मांग

यह प्रक्रिया टेर बीक के घर पर होगी. उनके डॉक्टर पहले शामक दवा देंगे, उसके बाद उसके हार्ट को रोकने के लिए दवा दी जाएगी.

डॉक्टरों ने कहा अब इलाज संभव नहीं, तो मानसिक रोगों से परेशान होकर 28 साल की महिला ने की इच्छामृत्यु की मांग

जोरया टेर बीक के मामले ने बहस छेड़ दी है.

द फ्री प्रेस के अनुसार, जोरया टेर बीक नाम की 28 वर्षीय डच महिला को गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण मई में इच्छामृत्यु दी जाएगी. टेर बीक ने अपने पूरे जीवन में डिप्रेशन, ऑटिज्म और पर्सनालिटी डिसऑर्डर से संघर्ष किया है. उनके पास बॉयफ्रेंड और कुछ पालतू जानवर हैं, फिर भी उन्हें लगता है कि उनकी मानसिक बीमारी का इलाज संभव नहीं है. डॉक्टरों ने टेर बीक को बताया कि इलाज के और कोई विकल्प नहीं हैं. नीदरलैंड में इच्छामृत्यु कानूनी है. ज्यादातर लोग मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को सहने के बजाय उन्हें खत्म करने का विकल्प चुन रहे हैं.

टेर बीक के मामले ने बहस छेड़ दी है. कुछ लोगों का मानना है कि यह मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए स्वेच्छा से इच्छामृत्यु का सहारा लेना हेल्थ प्रोफेशनल्स की चिंताजनक विचार है. दूसरों का तर्क है कि यह असाध्य रूप से बीमार रोगियों को उनके अंतिम दिनों में अच्छा कंट्रोल देता है.

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द फ्री प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादातर लोग आर्थिक परेशानी, जलवायु परिवर्तन, सोशल मीडिया और अन्य कारणों से डिप्रेशन या चिंता जैसी अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित होकर अपना जीवन समाप्त करने का निर्णय ले रहे हैं.

नीदरलैंड में थियोलॉजिकल यूनिवर्सिटी कम्पेन के हेल्थ केयर नीतिशास्त्री स्टेफ ग्रोएनवुड ने आउटलेट को बताया, "मैं इच्छामृत्यु को फिजिशियन्स, साइकोलोजिस्ट द्वारा एक स्वीकार्य विकल्प के रूप में देख रहा हूं, जबकि पहले यह अंतिम विकल्प था."

कैसे दी जाएगी इच्छामृत्यु?

यह प्रक्रिया टेर बीक के घर पर होगी. उसके डॉक्टर पहले शामक दवा देंगे, उसके बाद उनके हार्ट को रोकने के लिए दवा देंगे. उनका बॉयफ्रेंड उनके साथ रहेगा. टेर बीक का अंतिम संस्कार किया जाएगा और उनकी राख को एक वन स्थान पर बिखेर दिया जाएगा.

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नीदरलैंड में इच्छामृत्यु गैरकानूनी नहीं:

नीदरलैंड ने 2001 में इच्छामृत्यु को वैध कर दिया. तब से, इच्छामृत्यु से होने वाली मौतों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है. 2022 में देश में होने वाली सभी मौतों में इसका 5 प्रतिशत हिस्सा था. इससे उन लोगों की आलोचना बढ़ गई है जो मानते हैं कि कानून आत्महत्या को प्रोत्साहित करता है.



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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)