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डायबिटीज के मरीजों के लिए वरदान से कम नहीं यह खबर, रोज इंसुलिन लेने की जरूरत नहीं, मार्केट में आ गई है वैक्सीन

Diabetes Vaccine: डायबिटीज के मरीजों के लिए यह खबर एक वरदान से कम नहीं है. अब उन्हें रोजाना इंसुलिन लेने की चिंता से मुक्ति मिलेगी और वे सामान्य जीवन जीने की ओर एक कदम बढ़ा सकेंगे. Novo Nordisk की इस वैक्सीन ने साबित कर दिया है कि विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में निरंतर प्रयास और अनुसंधान के द्वारा असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है.

डायबिटीज के मरीजों के लिए वरदान से कम नहीं यह खबर, रोज इंसुलिन लेने की जरूरत नहीं, मार्केट में आ गई है वैक्सीन
Diabetes Treatment: डायबिटीज के मरीजों को अब रोजाना इंसुलिन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

Diabetes Treatment: डायबिटीज, जिसे आमतौर पर शुगर रोग के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है. इस रोग के मरीजों को अपने ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने के लिए रेगुलर इंसुलिन लेने की जरूरत होती है, लेकिन अब डेनमार्क की कंपनी Novo Nordisk ने इस समस्या का समाधान ढूंढ लिया है. डायबिटीज के मरीजों को अब रोजाना इंसुलिन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी, इस कंपनी ने एक ऐसी वैक्सीन तैयार की है जिसे हफ्ते में सिर्फ एक बार लगाने से ही मरीज को आराम मिल जाएगा, अभी ये वैक्सीन इंडिया नहीं आई है, अगर ये वैक्सीन इंडिया आती है तो शुगर के मरीजों को रोज इंसुलिन लगाने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी और हफ्ते में सिर्फ एक दिन की वैक्सीन ही काफी होगी.

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एक क्रांतिकारी खोज:

Novo Nordisk ने एक ऐसी वैक्सीन तैयार की है जो डायबिटीज के मरीजों को रोजाना इंसुलिन लेने की जरूरत को समाप्त कर देगी. इस वैक्सीन का मुख्य उद्देश्य शरीर के अंदर इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाना है, जिससे मरीजों को बाहर से इंसुलिन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस वैक्सीन को यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी से clearance मिल चुकी है, भारतीय मार्केट में इस वैक्सीन को जल्द ही लाया जा सकता है. भारत की एक मेडिकल संस्था ने इस वैक्सीन को भारत में बेचने की सिफारिश भी की है.

क्या है वैक्सीन का नाम?

इस वैक्सीन का नाम इंसुलिन आईकोडेक है, इसे यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी यानि EMA की ओर से बेचने की अनुमति मिल चुकी है. वैक्सीन बनाने वाली Novo Nordisk कंपनी ने भारत से अप्रूवल मांगा है...ताकि वो इस वैक्सीन के तीनों वेरिएंट को भारत में भी बेच सके. भारत के ड्रग कंट्रोलर के अंतर्गत काम करने वाली संस्था सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी यानि SEC ने कहा है कि इस वैक्सीन को बेचने से पहले कंपनी को भारत में एक पोस्ट मार्केटिंग सर्विलांस स्टडी करनी होगी. SEC ने 3 महीने में PMS स्टडी की रिपोर्ट भी मांगी है ताकि कंपनी को मार्केटिंग के अधिकार दिए जा सकें.

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कैसे काम करती है यह वैक्सीन?

यह वैक्सीन मरीज के शरीर में इंसुलिन उत्पादन करने वाली कोशिकाओं को पुनर्जीवित करती है. इससे शरीर खुद ही इंसुलिन का उत्पादन करने में सक्षम हो जाता है. वैक्सीन को शरीर में इंजेक्ट करने के बाद यह सीधे पैंक्रियाज (अग्न्याशय) पर काम करती है और वहां मौजूद बीटा कोशिकाओं को पुनर्जीवित करती है.

क्लिनिकल ट्रायल्स और परिणाम:

Novo Nordisk ने इस वैक्सीन का परीक्षण कई चरणों में किया है. प्रारंभिक परिणामों में यह पाया गया है कि इस वैक्सीन ने मरीजों के ब्लड शुगर लेवल को सामान्य बनाए रखा है और उन्हें रोजाना इंसुलिन लेने की जरूरत नहीं पड़ी. कई क्लिनिकल ट्रायल्स में सैकड़ों मरीजों पर इस वैक्सीन का सफल परीक्षण किया गया है और इसके परिणाम बेहद सकारात्मक रहे हैं.

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वैक्सीन आने के लिए बाद मरीजों के लिए लाभ:

रोजाना इंजेक्शन की जरूरत नहीं: वैक्सीन के आने से डायबिटीज के मरीजों को रोजाना इंसुलिन इंजेक्शन लेने की जरूरत समाप्त हो जाएगी.
बेहतर लाइफ क्वालिटी: नियमित इंसुलिन लेने के कारण होने वाली समस्याओं से राहत मिलेगी और मरीजों की जीवन गुणवत्ता में सुधार होगा.
दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ: वैक्सीन के कारण मरीजों का ब्लड शुगर लेवल स्थिर रहेगा, जिससे अन्य दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम कम होगा.

डायबिटीज के इलाज में एक नया अध्याय:

इस वैक्सीन के आने से डायबिटीज के इलाज में एक नया अध्याय जुड़ गया है. हालांकि, यह वैक्सीन अभी भी परीक्षण और अनुमोदन की प्रक्रियाओं से गुजर रही है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही यह बाजार में उपलब्ध होगी. Novo Nordisk की इस खोज से न केवल डायबिटीज के मरीजों को राहत मिलेगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी एक बड़ी क्रांति आएगी.

ICMR के मुताबिक भारत में इस वक्त करीब 10 करोड़ लोग डाटबिटीज से पीड़ित हैं...ऐसे में अगर ये वैक्सीन भारत में आती है तो करोंड़ों लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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