डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी होती है, जिसमें व्यक्ति की याददाश्त, भाषा, समस्या-समाधान के अलावा सोचने- समझने की क्षमता कम हो जाती है. अल्जाइमर डिमेंशिया का सबसे प्रमुख कारण है. इस बीमारी में लोगों को बढ़ती उम्र के साथ भूलने की बीमारी होने लगती है. इस बीमारी की वजह से लोग कई बार अपना नाम तक भूल जाते हैं.
क्या आपको पता है कि यदि आपको डायबिटीज है, तो यह खतरनाक बीमारी आपको भी हो सकती है. टाइप 2 डायबिटीज को सबसे घातक किस्म की डायबिटीज में से एक माना जाता है. डिमेंशिया जैसी बीमारी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार टाइप 2 डायबिटीज को ही माना जाता है.
विशेषज्ञों के अनुसार जिन लोगों को टाइप 2 डायबिटीज है, ऐसे लोगों में कई बार डिमेंशिया होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. टाइप 2 डायबिटीज पर इंसुलिन काम नहीं करता है, जिसकी वजह से हमारे रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर बढ़ जाता है. बढ़े हुए ग्लूकोज की वजह से ब्रेन के सेल्स को नुकसान पहुंचाता है. जिसकी वजह से ऐसे व्यक्ति में डिमेंशिया होने का खतरा बढ़ जाता है, जो व्यक्ति टाइप 2 डायबिटीज से ग्रसित है. इसी वजह से ऐसे लोग जो इस बीमारी से ग्रसित हैं, उन लोगों में स्ट्रोक होने के साथ-साथ कार्डियोवैस्कुलर समस्याएं होने का खतरा भी बढ़ जाता है. ये दोनों स्थितियां मस्तिष्क के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, जिससे डिमेंशिया होने का जोखिम बढ़ जाता है.
टाइप 2 डायबिटीज से हमारे दिमाग में सूजन (इंफ्लेमेशन) भी हो सकती जो डिमेंशिया के विकास को प्रोत्साहित करने में सहायक होती है. टाइप 2 डायबिटीज की वजह से मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं कुछ शोधों में यह भी पाया गया है कि डायबिटीज मस्तिष्क में एमीलॉइड प्रोटीन के संचय को बढ़ा सकती है, जो अल्जाइमर रोग के लक्षणों से जुड़ा हुआ है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)