
किसी पसंदीदा चीज को खाने का मन करना क्रेविंग कहलाता है जबकि शरीर की एनर्जी भूख वाले खाने से मिलती है. भूख से शरीर की स्थिति बेहतर होती है जबकि फूड क्रेविंग में फास्ट फूड जैसी चीजें शामिल होती हैं. दोनों को कभी भी एक समझने की भूल नहीं करनी चाहिए. न्यूट्रिशियन एक्सपर्ट्स के मुताबिक, फूड क्रेविंग हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है. यह जिम में की गई मेहनत और हेल्दी डाइट की प्रैक्टिस को भी डिस्टर्ब कर सकती है. छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बड़े या बुजुर्ग तक हर किसी को फास्ट फूड, चॉकलेट जैसी सेहत को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों की क्रेविंग हो सकती है. आइए जानते हैं फूड क्रेविंग और भूख में क्या अंतर होता है.
फूड क्रेविंग और भूख में अंतर- Difference Between Food Craving And Hunger:
1. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भूख जहां हमारे शरीर की जरूरत को पूरा करती है वहीं फूड क्रेविंग हमारी अपनी मर्जी से कंट्रोल होती है. हमारा शरीर बेहतर तरीके से काम करे, इसके लिए न्यूट्रिएंट और एनर्जी बेहद जरूरी होते हैं. इसलिए समय से शरीर की जरूरत पूरी न होने पर हमें भूख लगने लगती है. फूड क्रेविंग किसी भी समय हो सकती है. जैसे कि स्ट्रेस होने पर, एंग्जाइटी महसूस होने पर, अकेलेपन में भी किसी खास फूड आइटम को खाने का मन करना फूड क्रेविंग कहलाता है.

2. हमारे शरीर की भूख जहां ज्यादातर किसी तय रूटीन के हिसाब से लगती है. शरीर को दिन के कुछ तय समय में भी एनर्जी की कमी पूरी करने के लिए भूख का एहसास कराती है, वहीं फूड क्रेविंग शरीर के हिसाब से किसी भी पल में लग सकती है. असल भूख में खाना मिलते ही लजीज लगता है और शरीर में एनर्जी महसूस होती है. वहीं फूड क्रेविंग में फास्ट फूड जैसी चीजें खाने का मन करता है.
3. भूख के मामले में समय से खाना न मिलने पर कमजोरी, सिरदर्द या चक्कर आने जैसी समस्याएं होने लग सकती हैं वहीं फूड क्रेविंग के मामले में कुछ देर तक पसंदीदा चीज न मिले तो भी सेल्फ कंट्रोल कर नॉर्मल रहा जा सकता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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