All About Anesthesia: भले ही आपकी कभी कोई सर्जरी न हुई हो लेकिन आपने एनेस्थीसिया (Anesthesia) शब्द जरूर सुना होगा. ज्यादातर लोग इस शब्द को सुन चुके होंगे लेकिन इसके बारे में पूरी जानकारी न होने वजह से इससे जुड़े कई मिथ भी हैं, जैसे इसे लेने से लंबी बेहोशी हो सकती है. इतना ही नहीं इस शब्द से कई तरह के डर भी जुड़े हुए हैं. एनेस्थीसिया से जुड़े मिथ और डर को दूर करने के लिए आज हम डॉ दिवेश अरोड़ा (Divesh Arora) से इसके बारे में डिटेल में जानेंगे जो फरीदाबाद के एशियन हॉस्पिटल में एनेस्थीसिया और ओटी सर्विसेज के डायरेक्टर और हेड हैं.
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एनेस्थीसिया क्या है और यह कैसे काम करता है?
डॉ अरोड़ा एनेस्थीसिया को बड़े ही आसान शब्दों में समझाते हैं. उन्होंने कहा "एनेस्थीसिया एक रिवर्सेबल प्रोसेस (Anesthesia is a reversible process) होता है. एनेस्थीसिया देने के बाद फील यानी महसूस होना बंद हो जाता है. उस समय हम चाहें कॉन्शियस यानी होश में हों या न हो फील होना बंद हो जाता है. यानी इस दौरान हमारी कॉन्शियसनेस (Consciousness) बनी भी रह सकती है और जा भी सकती है. जैसे जनरल एनेस्थीसिया में हमें कॉन्शियसनेस नहीं होगी. अगर हम लोकल एनेस्थीसिया (Local Anesthesia) की बात करें या स्पाइनल एनेस्थीसिया (Spinal Anesthesia) की बात करें तो मरीज को सेंसेशन महसूस नहीं होगी लेकिन उसकी कॉन्शियसनेस प्रिसर्व रहेगी यानी वो होश में रहेगा. अगर एनेस्थीसिया को टेक्निकल भाषा में डिफाइन करें, तो इसका मतलब होता है- रिवर्सेबल लॉस ऑफ ऑल सेंसेशन विद और विदाउट कॉन्शियसनेस.
गहरी नींद में जाना और एनेस्थीसिया में क्या कोई अंतर होता है?
डॉ अरोड़ा बताते हैं कि "गहरी नींद में जाना और एनेस्थीसिया में बहुत बड़ा फर्क है हालांकि आम आदमी को लगेगा कि यह दोनों एक ही बात है, जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है. वह कहते हैं, जब हम गहरी नींद की बात करते हैं तो यह एक नेचुरल फिजियोलॉजिकल प्रोसेस है. हमारी एक बायोलॉजिकल रिदम होती है. हम दिन में काम करते हैं और रात तक थक जाते हैं. इसलिए बॉडी के सेल्स को रिवाइव करने या कहें एनर्जी को वापस लाने के लिए एक मैकेनिज्म बना हुआ है, जिसकी वजह से हमें नींद आ जाती है. वो नींद गहरी होती है जिसके दौरान हमें पता नहीं चलता कि हमारे आस-पास क्या हो रहा है. नींद में हम सामान्य तरह से सांस लेते रहते हैं. हमारा ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट नॉर्मल चलता रहता है."
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जबकि एनेस्थीसिया एक नेचुरल प्रोसेस नहीं है बल्कि ड्रग इंड्यूस्ड स्टेट (Drug induced state) है, यानी आर्टिफिशियली किसी व्यक्ति को मेडिसिन देकर उसे नींद में पहुंचाया जाता है. लेकिन वो नींद नेचुरल नहीं है. उस नींद में व्यक्ति का रेस्पिरेशन यानी उसके सांस लेने की जो क्षमता है, वो कम हो जाती है. इसलिए फिर एनेस्थेटिस्ट (Anaesthetist) उसे आर्टिफिशियली कंट्रोल करता है. एनेस्थिया के दौरान मरीज का ब्लड प्रेशर फ्लकचुएट हो सकता है, हार्ट रेट फ्लकचुएट हो सकता है, जिसे बाहर से दवाइयों की मदद से कंट्रोल किया जा सकता है.
डॉ अरोड़ा बताते हैं कि "नेचुरल स्लीप में कोई आपका ब्लड प्रेशर कंट्रोल नहीं कर रहा होता है, आपका हार्ट रेट और सांस भी सामान्य तरीके से चल रही होती है. लेकिन जनरल एनेस्थीसिया (General Anesthesia) में हमें ये चीजें कंट्रोल करनी पड़ती है. वहीं रीजनल एनेस्थीसिया (Regional Anesthesia) में सांस और दिल की धड़कन सही तरीके से चलती रहती है यानी मरीज के कंट्रोल में होती है और वो होश में भी रहता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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