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This Article is From Sep 28, 2022

Antibiotics: क्यों शरीर पर कम हो रहा है एंटीबायोटिक्स का असर? जानें क्या कहती है स्टडी

Health Tips: अगर आप बीमार हैं तो खुद ही खुद का डॉक्टर बनने की बजाय डॉक्टर की सलाह लें और उसी के मुताबिक दवाईयां लें. क्योंकि मेडिकल स्टोर से सीधे दवा लेकर खाने से शरीर पर विपरीत असर पड़ सकता है.

Antibiotics: क्यों शरीर पर कम हो रहा है एंटीबायोटिक्स का असर? जानें क्या कहती है स्टडी
Antibiotics: अगर आप खा रहे हैं ये दवाइयां तो हो जाएं सावधान.

कई लोग अपनी मर्जी से कोई भी दवा लेकर खा लेते हैं. एक स्टडी के मुताबिक दुनिया में ऐसे लोगों की संख्या लाखों में हैं जो घर बैठे-बैठे खुद से ही डॉक्टर बन जाते हैं और एंटीबायोटिक खरीदकर खा लेते हैं. छोटी-मोटी बीमारियों में वो डॉक्टर की सलाह नहीं लेते और मेडिकल स्टोर जाकर दवा लाते हैं और खा लेते हैं. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि अपने मन से दवाईयां खाने के बावजूद बीमारी ठीक नहीं होती बल्कि, परेशानी बढ़ जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि शरीर एंटीबायोटिक रेसिसटेंस हो चुका है. इसका मतलब यह हुआ कि ऐसा करने से आपकी बॉडी पर हैवी एंटीबायोटिक दवाओं का असर भी नहीं होता है. आपकी लापरवाही आपके लिए खतरा बन चुकी होती है. 

क्या कहती है स्टडी-What Does The Study Say:

दुनिया की प्रतिष्ठित मेडिकल The Lancet दवाईयों पर कई स्टडी करता है. इसके मुताबिक अगर कोई ज्यादा एंटीबायोटिक का सेवन करता है तो उसके शरीर पर बाकी दवाईयों का असर कम हो जाता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि एजिथ्रोमाइसिन (Azithromycin) करीब-करीब हर घर में टॉफी की तरह इस्तेमाल होती है. इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भारत के मेडिकल स्टोर्स पर मिलने वाली ज्यादातर एंटीबायोटिक मेडिसिंस तो बिना सेंट्रल ड्रग रेगुलेट की मंजूरी के बिना ही बिक रही हैं. यह भी कहा गया है कि भारत में अधिकतर लोग मेडिकल स्टोर से एंटीबायोटिक दवाएं खरीद लेते हैं और उसका सेवन करते हैं. 

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ज्यादातर लोग मेडिकल स्टोर पर डिपेंड क्यों-

भारत में ज्यादातर लोग मेडिकल स्टोर पर इसलिए भी डिपेंडेंट हैं, क्योंकि यहां प्राइवेट हॉस्पिटल और क्लीनिक दो तरह के हैं. छोटी जगहों पर मरीज को इसी तरह की एंटीबायोटिक दी जाती है. जबकि प्राइवेट अस्पताल, बड़े क्लीनिक में छोटी-मोटी बीमारी के लिए भी मोटी रकम वसूल ली जाती है. डॉक्टर की फीस ही इतनी महंगी होती है कि लोग उससे बचना चाहते हैं. 

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चौंकाने वाले आंकड़े-

2000 से 2010 के बीच 10 सालों में ही एंटीबोयोटिक की खपत में दुनियाभर में 36 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.

साल 2019 में जितनी भी दवाईयां बिकी हैं, उनमें से 77.1 प्रतिशत सिर्फ एंटीबायोटिक थीं. दुनिया भर में जितनी भी  एंटीबायोटिक बेची गईं, उनमें से 72.1 प्रतिशत अप्रूव ही नहीं थीं.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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