How To Avoid Infertility: बांझपन एक महिला की गर्भावस्था में योगदान करने की शारीरिक अक्षमता को दर्शाता करता है. अगर महिला की आयु 34 साल से कम है और दम्पति 12 महीने तक बिना कॉन्ट्रासेप्शन बच्चे के लिए कोशिश करने के बाद भी गर्भवती नहीं हो रहीं है, या फिर महिला की उम्र 34 वर्ष से अधिक है, लेकिन इसके बावजूद 6 महीने तक बिना गर्भनिरोधक के कोशिश करने के बाद भी गर्भवती नहीं हो रही है तो ये बांझपन के लक्षण हो सकते हैं. ये उम्र के कारण एग क्वालिटी में कमी, बढ़ती उम्र विसंगती के कारण हो सकता है.
आमतौर पर दुनिया भर में यह अनुमान लगाया जाता है कि 7 कपल्स में से एक को गर्भधारण करने में समस्या होती है. बांझपन की वैश्विक घटना लगभग 13-17 प्रतिशत है. भारत में बांझपन के मामले 10 से 20 प्रतिशत के बीच हैं. बांझपन कपल्स की तादाद भी लगातार बढ़ती जा रही है.
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बांझपन स्थिति के लिए आमतौर पर पुरुष और महिला दोनों का समान योगदान होता है. बांझपन के कई जैविक कारण हैं. उनमें से कुछ को मेडिकल इंटरवेंशन से ठीक किया जा सकता है. बांझपन के ज्यादातर मामले आनुवंशिक होते हैं, जिसे रोका नहीं जा सकता है, लेकिन यह संभव है कि हम अपनी रोजाना लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके बांझपन के कुछ संभावित रूपों को रोक सकते हैं. हम जिस वातावरण में रहते हैं उसका हमारी लाइफस्टाइल में और हमारी संभावित प्रजनन क्षमता पर बड़ा प्रभाव पड़ता है. समय के साथ बांझपन एक मेडिकल कंडिशन से ज्यादा लाइफस्टाइल की समस्या बन गई है.
बांझपन रोकने के लिए यह जानना जरूरी है कि इन समस्याओं से बचने के लिए कौन से उपाय करना सबसे अच्छा:
1) सबसे पहले धूम्रपान और शराब पीने जैसी कुछ आदतें प्रजनन क्षमता पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती हैं. धूम्रपान को पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या कमी और शुक्राणुओं की सुस्त गति और महिलाओं में गर्भपात में वृद्धि से जोड़ा गया है.
2) शराब प्राकृतिक रूप से और मेडिकल ट्रीटमेंट के माध्यम से गर्भ धारण करने की कोशिश कर रही महिलाओं और पुरुषों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है. शराब शुक्राणु के लिए विषाक्त है. यह शुक्राणुओं की संख्या को कम करता है और यौन कार्य में बाधा डाल सकता है हार्मोन संतुलन को बाधित कर के गर्भपात के जोखिम को बढ़ा सकता है.
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3) कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर बैलेंस डाइट का सेवन करना चाहिए. पशुओं के मांस की जगह प्रोटीन से भरपूर सब्जियों को डाइट में शामिल करना चाहिए, जो फाइबर और आयरन से भरपूर होती है. कार्बोहाइड्रेट से कम ट्रांस फैट और शुगर वाले फूड्स, हाई फैट, डेयरी प्रोडक्ट्स के साथ मल्टीविटामिन लेने से महिलाओं में बांझपन का खतरा कम हो जाता है. अनबैलेंस डाइट से विटामिन सी, फोलेट, सेलेनियम या जिंक की कमी के कारण बांझपन का खतरा बढ़ जाता है.
4) फिजिकल एक्टिविटी व्यक्ति की प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकती है, लेकिन बहुत अधिक व्यायाम महिलाओं में मासिक धर्म की समस्या पैदा कर सकता है और पुरुषों में अंडकोष के आसपास की गर्मी को बढ़ा सकता है, जिससे शुक्राणु उत्पादन पर असर होता है.
5) प्रोटीन से भरपूर डाइट और लगातार व्यायाम के माध्यम से सेहत बनाए रखनी चाहिए. हार्मोन असंतुलन की संभावना को कम करने के लिए अपने शरीर का वजन जादा बढ़ने नही देना चाहिए. बांझपन को रोकने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है कि अपना वजन बैलेंस रखें. मोटापे के कारण पुरुषों में गर्मी बढ़ जाती है और शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है और महिलाओं में यह ओव्यूलेशन पर दबाव डालता है जो बांझपन का कारण होता है.
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6) प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाली कुछ मेडिकल कंडिशन्स के लिए हर साल रोजाना जांच करवानी चाहिए. पैल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी), एंडोमेट्रियोसिस और सर्वाइकल कैंसर जैसी कंडिशन का शीघ्र निदान बांझपन को रोक सकता है. इसके अलावा यौन संचारित रोगों का पता लगाने और उपचार करने से भी किसी की प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखने में मदद मिल सकती है.
7) कुछ दवाइयं या हर्बल उपचार भी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं. ऐसी दवाओं के बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ से चर्चा की जानी चाहिए.
8) पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों और कीटनाशकों, जहरीले रसायनों और आयनकारी विकिरण जैसे खतरों से भी बचना चाहिए.
9) तनाव और नींद की कमी से बांझपन का खतरा बढ़ सकता है. ध्यान, योग, गहरी सांस लेना और अन्य तकनीकों को अपनाकर तनाव को कम करने में मदद हो सकती है.
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अगर 6 महीने या उससे अधिक समय तक गर्भधारण करने के प्रयास विफल हो जाते हैं, तो बांझपन कि स्थिति जानकर डॉक्टर की सलाह से इसका इलाज किया जा सकता है.
कुछ दवाएं पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता को खराब कर सकती हैं. कैंसर रोधी दवाएं अस्थायी या स्थायी रूप से गर्भाशय और टेस्टिकुलर फेलियर का कारण बन सकती हैं.
धूम्रपान पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन को भी कम करता है, जिससे नपुंसकता होती है. महिलाओं में धूम्रपान सर्वाइकल म्यूकस में बदलाव का कारण बनता है, जो शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने से रोकता है और बांझपन कि स्थिती पैदा करता है.
(डॉ हृषिकेश पाई, सलाहकार स्त्री रोग विशेषज्ञ और बांझपन विशेषज्ञ, लीलावती अस्पताल, मुंबई, चंडीगढ़ और नई दिल्ली में फोर्टिस अस्पताल)
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