
- सोनीपत जिले की एक फैक्ट्री में दिवाली पर बोनस न मिलने और घटिया तोहफा दिए जाने पर मजदूरों ने विरोध किया
- फैक्ट्री प्रबंधन ने मजदूरों को बोनस के बजाय केवल सोन पापड़ी का डिब्बा उपहार स्वरूप दिया, जिससे वे नाराज हुए
- मजदूरों ने सोन पापड़ी के डिब्बे फैक्ट्री गेट के बाहर फेंककर अपने असंतोष और अपमान की भावना जाहिर की
दिवाली के मौके पर हरियाणा के सोनीपत जिले के गन्नौर औद्योगिक क्षेत्र की एक फैक्ट्री में कर्मचारियों ने बोनस न मिलने और घटिया तोहफा दिए जाने पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा दी गई मिठाई (सोन पापड़ी) के डिब्बे मजदूरों ने फैक्ट्री गेट के बाहर फेंक दिए. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने मजदूरों के सम्मान और उचित बोनस को लेकर नई बहस छेड़ दी है.
सोनपापड़ी का डिब्बा बना अपमान का प्रतीक
दिवाली के त्योहार पर फैक्ट्री मजदूरों को उम्मीद थी कि साल भर की मेहनत के बदले उन्हें उचित बोनस या कोई अच्छा उपहार मिलेगा. लेकिन फैक्ट्री प्रबंधन ने न तो बोनस दिया और न ही कोई अन्य उपहार. इसके बजाय, सभी मजदूरों को सोन पापड़ी का एक छोटा डिब्बा दिया गया. इस 'साधारण' उपहार पर मजदूर भड़क उठे. वायरल वीडियो में मजदूर भारी नाराजगी व्यक्त करते हुए कह रहे हैं कि "घरवाले इन मिठाइयों को खाते भी नहीं हैं. इससे बेहतर होता कि हमें बोनस दिया जाता. सालभर मेहनत के बाद इतनी सस्ती मिठाई देना अपमानजनक है."
गेट पर फेंकी मिठाई, जताया विरोध
वायरल वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि कई मजदूर एक-एक करके सोनपापड़ी के डिब्बे लेकर फैक्ट्री गेट के बाहर फेंक रहे हैं. मजदूरों के इस सामूहिक विरोध ने फैक्ट्री प्रबंधन के रवैये पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह वीडियो गन्नौर औद्योगिक क्षेत्र की किस निजी यूनिट का है. जिला प्रशासन या फैक्ट्री एसोसिएशन की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है और न ही पुलिस ने वायरल वीडियो की जांच की पुष्टि की है.
सोशल मीडिया पर 'सोनपापड़ी' बनी असंतोष का प्रतीक
वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोग फैक्ट्री मजदूरों के समर्थन में उतर आए हैं. कई यूजर्स ने लिखा है कि मजदूरों की मेहनत की कद्र होनी चाहिए और उन्हें त्योहारों पर सम्मान के साथ उचित बोनस मिलना चाहिए. कई कमेंट्स में यह भी कहा गया है कि "सोन पापड़ी अब केवल मिठाई नहीं, बल्कि मजदूर असंतोष और शोषण का प्रतीक बन गई है." यह घटना औद्योगिक क्षेत्रों में दिवाली बोनस और कर्मचारियों के प्रति सम्मान के मुद्दे को फिर से उजागर करती है.
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