वडनगर:
प्रधानमंत्री बनने के बाद से पहली बार अपने गांव वडनगर जा रहे नरेन्द्र मोदी के स्वागत के लिए उनके परिवार के साथ-साथ उनके गांव के लोग काफी उत्साहित हैं. इस बीच उनके शिक्षक रहे डा. प्रह्लाद पटेल ने बचपन के उनके स्कूली दिनों के किस्से मीडिया से साझा किए.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक शानदार वक्ता माना जाता है. इस विधा और कौशल का विकास उनमें अचानक नहीं हुआ बल्कि बचपन में ही इसका बीजारोपण हो गया था. प्रधानमंत्री के स्कूली दिनों के शिक्षक रहे डा. प्रह्लाद पटेल ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि स्कूल स्तर से वाद विवाद प्रतियोगिताओं, सामूहिक परिचर्चा और नाटक जैसी पाठ्येत्तर गतिविधियों में हिस्सा लेते हुए वे इस कला में निपुण हुए. डा. पटेल ने कहा कि मैंने नरेन्द्र मोदी को गुजराती और संस्कृत पढ़ाई है. दसवीं कक्षा तक कुछ वर्ष उन्हें पढ़ाया. उन्होंने बताया कि स्कूली स्तर पर कोई भी पाठ्येत्तर गतिविधि होती तो ‘नरेन्द्र ’का आग्रह रहता था कि उनका नाम पहले से ही इसमें लिख दिया जाये.
खास तौर पर वाद विवाद प्रतियोगिता, सामूहिक परिचर्चा, नाटक के मंचन आदि में वे प्रारंभ से ही काफी सक्रियता से हिस्सा लेते थे. पटेल ने बताया ‘बच्चा आगे जाकर किस दिशा में जायेगा, इसका थोड़ा आभास बाल्यकाल में ही हो जाता है. बचपन के दिनों से ही नरेन्द्र में अच्छे वक्ता के गुण दिखने लगे थे. संस्कृत शिक्षक होने के नाते मैंने उन्हें संस्कृत पढ़ने और श्लोक याद करने की सलाह दी.’ संभवत: स्कूल के दिनों के इसी अभ्यास का परिणाम है कि नरेन्द्र मोदी के भाषणों में शब्दों का शानदार चयन और संस्कृत के श्लोकों एवं प्राचीन भारतीय सांस्कृतिक दर्शन का समावेश मिलता है जिसके कायल उनके समर्थक तो हैं हीं ,विरोधी भी हैं.
यह भी पढ़ें : पीएम नरेंद्र मोदी आज से दो दिन के गुजरात दौरे पर, सबसे पहले पहुंचेंगे द्वारकाधीश मंदिर
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी पहली बार रविवार को अपने गांव वडनगर आ रहे हैं जहां वे एक अस्पताल और मेडिकल कालेज का शुभारंभ करने के साथ कुछ अन्य कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेंगे. मोदी के आगमन से पहले वडनगर और इसके आसपास के गांव और इलाकों को दुल्हन की तरह से सजाया जा रहा है. जगह जगह पर प्रधानमंत्री के कटआउट और पोस्टर लगाये गए हैं. सड़क के दोनों ओर साफ-सफाई का खास ख्याल रखा गया है और बैरिकेड भी लगाए हैं . सड़क के किनारे स्थाानीय लोग उनके स्वागत में माौजूद रहेंगे, इसकी भी व्यवस्था की गई है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री के शिक्षक रहे पटेल के साथ-साथ बाल्यकाल में उनके सहपाठी रहे सुधीर जोशी, जासुध भाई ए पठान समेत उनके अन्य मित्रों को उम्मीद है कि मोदी से उनकी मुलाकात होगी.
प्रधानमंत्री के आगमन से पहले वडनगर रेलवे स्टेशन पर साफ सफाई का खास ध्यान रखा गया है. इसी स्टेशन पर नरेन्द्र मोदी के पिता और चाचा की चाय की दुकान थी जहां मोदी ट्रेन पर चाय पहुंचाने में मदद किया करते थे. इस अवसर स्टेशन पर नरेन्द्र मोदी के बचपन की तस्वीरों को प्रदर्शित करने का भी कार्यक्रम है. डा. पटेल ने स्कूली दिनों की घटनाओं को साझा करते हुए बताया कि हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान स्कूल का रजत जयंती वर्ष था, स्कूल में चारदीवारी नहीं थी और स्कूल के पास इतना पैसा भी नहीं था कि चारदीवारी बनवा सके. नरेंद्र मोदी के मन में आया कि छात्रों को भी इस काम में स्कूल की मदद करनी चाहिए. उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर नाटक का मंचन किया और इससे जो धनराशि जमा हुई वो स्कूल को चारदीवारी बनवाने के लिए दे दी.
VIDEO : अब 600 रुपये में करें पीएम मोदी की जन्मस्थली की सैर
प्रधानमंत्री के बड़े भाई सोमाभाई दामोदर दास मोदी ने बताया कि नरेंद्र मोदी अपने बचपन के दोस्त के साथ शर्मिष्ठा सरोवर गए थे जहां से वह एक मगरमच्छ के बच्चे को पकड़ कर घर ले आए. मां ने उनसे कहा कि इसे वापस छोड़कर आओ. बच्चे को कोई यदि मां से अलग कर दे तो दोनों को ही परेशानी होती है. मां की ये बात नरेंद्र मोदी को समझ आ गई और वो उस मगरमच्छ के बच्चे को वापस सरोवर में छोड़ आए. वडनगर में अब वह तालाब एक पर्यटक स्थल का रूप ले चुका है. तालाब का सौंदर्यीकरण किया गया है और यहां नौकायन करने की भी व्यवस्था की गई है. तालाब के बीच में टीले को व्यवस्थित बनाते हुए एक स्टेज तैयार किया गया है जहां पर हर वर्ष सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.
(इनपुट भाषा से)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक शानदार वक्ता माना जाता है. इस विधा और कौशल का विकास उनमें अचानक नहीं हुआ बल्कि बचपन में ही इसका बीजारोपण हो गया था. प्रधानमंत्री के स्कूली दिनों के शिक्षक रहे डा. प्रह्लाद पटेल ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि स्कूल स्तर से वाद विवाद प्रतियोगिताओं, सामूहिक परिचर्चा और नाटक जैसी पाठ्येत्तर गतिविधियों में हिस्सा लेते हुए वे इस कला में निपुण हुए. डा. पटेल ने कहा कि मैंने नरेन्द्र मोदी को गुजराती और संस्कृत पढ़ाई है. दसवीं कक्षा तक कुछ वर्ष उन्हें पढ़ाया. उन्होंने बताया कि स्कूली स्तर पर कोई भी पाठ्येत्तर गतिविधि होती तो ‘नरेन्द्र ’का आग्रह रहता था कि उनका नाम पहले से ही इसमें लिख दिया जाये.
खास तौर पर वाद विवाद प्रतियोगिता, सामूहिक परिचर्चा, नाटक के मंचन आदि में वे प्रारंभ से ही काफी सक्रियता से हिस्सा लेते थे. पटेल ने बताया ‘बच्चा आगे जाकर किस दिशा में जायेगा, इसका थोड़ा आभास बाल्यकाल में ही हो जाता है. बचपन के दिनों से ही नरेन्द्र में अच्छे वक्ता के गुण दिखने लगे थे. संस्कृत शिक्षक होने के नाते मैंने उन्हें संस्कृत पढ़ने और श्लोक याद करने की सलाह दी.’ संभवत: स्कूल के दिनों के इसी अभ्यास का परिणाम है कि नरेन्द्र मोदी के भाषणों में शब्दों का शानदार चयन और संस्कृत के श्लोकों एवं प्राचीन भारतीय सांस्कृतिक दर्शन का समावेश मिलता है जिसके कायल उनके समर्थक तो हैं हीं ,विरोधी भी हैं.
यह भी पढ़ें : पीएम नरेंद्र मोदी आज से दो दिन के गुजरात दौरे पर, सबसे पहले पहुंचेंगे द्वारकाधीश मंदिर
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी पहली बार रविवार को अपने गांव वडनगर आ रहे हैं जहां वे एक अस्पताल और मेडिकल कालेज का शुभारंभ करने के साथ कुछ अन्य कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेंगे. मोदी के आगमन से पहले वडनगर और इसके आसपास के गांव और इलाकों को दुल्हन की तरह से सजाया जा रहा है. जगह जगह पर प्रधानमंत्री के कटआउट और पोस्टर लगाये गए हैं. सड़क के दोनों ओर साफ-सफाई का खास ख्याल रखा गया है और बैरिकेड भी लगाए हैं . सड़क के किनारे स्थाानीय लोग उनके स्वागत में माौजूद रहेंगे, इसकी भी व्यवस्था की गई है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री के शिक्षक रहे पटेल के साथ-साथ बाल्यकाल में उनके सहपाठी रहे सुधीर जोशी, जासुध भाई ए पठान समेत उनके अन्य मित्रों को उम्मीद है कि मोदी से उनकी मुलाकात होगी.
प्रधानमंत्री के आगमन से पहले वडनगर रेलवे स्टेशन पर साफ सफाई का खास ध्यान रखा गया है. इसी स्टेशन पर नरेन्द्र मोदी के पिता और चाचा की चाय की दुकान थी जहां मोदी ट्रेन पर चाय पहुंचाने में मदद किया करते थे. इस अवसर स्टेशन पर नरेन्द्र मोदी के बचपन की तस्वीरों को प्रदर्शित करने का भी कार्यक्रम है. डा. पटेल ने स्कूली दिनों की घटनाओं को साझा करते हुए बताया कि हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान स्कूल का रजत जयंती वर्ष था, स्कूल में चारदीवारी नहीं थी और स्कूल के पास इतना पैसा भी नहीं था कि चारदीवारी बनवा सके. नरेंद्र मोदी के मन में आया कि छात्रों को भी इस काम में स्कूल की मदद करनी चाहिए. उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर नाटक का मंचन किया और इससे जो धनराशि जमा हुई वो स्कूल को चारदीवारी बनवाने के लिए दे दी.
VIDEO : अब 600 रुपये में करें पीएम मोदी की जन्मस्थली की सैर
प्रधानमंत्री के बड़े भाई सोमाभाई दामोदर दास मोदी ने बताया कि नरेंद्र मोदी अपने बचपन के दोस्त के साथ शर्मिष्ठा सरोवर गए थे जहां से वह एक मगरमच्छ के बच्चे को पकड़ कर घर ले आए. मां ने उनसे कहा कि इसे वापस छोड़कर आओ. बच्चे को कोई यदि मां से अलग कर दे तो दोनों को ही परेशानी होती है. मां की ये बात नरेंद्र मोदी को समझ आ गई और वो उस मगरमच्छ के बच्चे को वापस सरोवर में छोड़ आए. वडनगर में अब वह तालाब एक पर्यटक स्थल का रूप ले चुका है. तालाब का सौंदर्यीकरण किया गया है और यहां नौकायन करने की भी व्यवस्था की गई है. तालाब के बीच में टीले को व्यवस्थित बनाते हुए एक स्टेज तैयार किया गया है जहां पर हर वर्ष सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.
(इनपुट भाषा से)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं