भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की बारहवीं तिथि को वामन द्वादशी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने वामन अवतार (Vaman Avatar) के रूप में जन्म लिया था. हर वर्ष भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन जयंती मनाई जाती है. मान्यता है कि वामन जयंती को भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा से समस्त बुरे कर्मों से छुटकारा मिल सकता है.आइए जानते हैं कब मनाई जाएगी वामन जयंती, वामन जयंती की पूजा विधि और भोग की रेसिपी…
कब है वामन जयंती
इस वर्ष भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की बारहवीं तिथि 26 सितंबर मंगलवार को पड़ रही है. द्वादशी तिथि 26 सितंबर को सुबह पांच बजे शुरू होकर 27 सितंबर को रात्रि एक बजकर पैंतालीस मिनट पर समाप्त होगी.
वामन जयंती की पूजा विधि
वामन जयंती की पूजा के लिए सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत होकर पूजा की तैयारी करें. पूजा के लिए चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु के वामन अवतार की तस्वीर स्थापित करें. अगर वामन अवतार का चित्र न हो तो भगवान विष्णु के तस्वीर को स्थापित कर सकते हैं. भगवान को रोली, मौली, पीले फूल, नैवेद्य अर्पित करें. पूजा के बाद वामन अवतार की कथा का पाठ करें. आरती के बाद प्रसाद बांटे और किसी जरूरतमंद को भोजन करवाएं. इस दिन श्रवण नक्षत्र में पूजा को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
दही और मिश्री का भोग
वामन देव को दही और मिश्री का भोग लगाना चाहिए. इसके लिए एक दिन पहले गाय के दूध से दही जमा लें. अच्छी तरह से जमी हुई एक पाव दही में आधा पाव मिश्री को पाउडर कर मिला लें. भगवान विष्णु को पीला रंग विशेष रूप से प्रिय है इसलिए दही मिश्री में थोड़ी से केसर मिला दें.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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