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This Article is From Aug 08, 2016

अपनी सेहत का रखें ख्याल, थायरॉइड बना सकता है दिल का रोगी

अपनी सेहत का रखें ख्याल, थायरॉइड बना सकता है दिल का रोगी
नई दिल्ली: भागदौड़ भरी जिंदगी में यह समस्या आम से हो गई है। और सबसे बड़ी बात इसका एलोपैथी में कोई इलाज़ नहीं है। इसे अगर समय रहते न पकड़ा जाए, तो ये अपने साथ कई अन्य बीमारियों को भी न्यौता दे देता है। जी हां, जिन महिलाओं और पुरुषों को थायरॉयड कम या ज्यादा होता है और जिसका कोई लक्षण नजर नहीं आता, यह स्थित उन्हें दिल का रोगी बना सकती है। यह कहना है एचसीएफआई के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल का। डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि 'सबक्लिनिकल थॉयरायड डिस्फंक्शन' दिल के रोगों के लिए एक ऐसा खतरा है, जिसे कम किया जा सकता है।

उन्होंने पत्रिका 'एन्लज ऑफ इंटरनल मेडिसन' में प्रकाशित स्विट्जरलैंड की लुसेन यूनिवर्सिटी के डॉ. निकोलस रोडोंडी की एक अध्ययन रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि कम सक्रिय थायरॉयड या जिसे सबक्लिनिकल हायपोथायरोडिजम भी कहा जाता है, के रोगियों में कॉर्नरी हार्ट डिसीज की आशंका रहती है और इसकी वजह से मौत होने की आशंका क्रमश: 20 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 12 प्रतिशत बढ़ जाती है।

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि डॉ. निकोलस रोडोंडी की टिपोर्ट मेडलाइन (1950 से 2008) के दौरान किए गए 12 अध्ययनों की पड़ताल पर आधारित है। इनमें से 10 अध्ययनों में 14,449 लोगों को शामिल किया गया था।

उन्होंने बताया कि जिन लोगों में थायरॉयड बिना लक्षणों के अधिक सक्रिय था, उन्हें भी दिल के रोगों का 21 प्रतिशत, दिल के रोगों से मौत का 19 प्रतिशत और अन्य कारणों से मौत का 12 प्रतिशत अधिक खतरा था।

डॉ. अग्रवाल के मुताबिक, थॉयरायड की जांच के लिए टीएसएच ब्लड टेस्ट करवाना होता है। सामान्य स्तर 0.3 से 3 यूनिट तक होता है। बिना लक्षणों के 3 से 10 के बीच का आंकड़ा हो, तो उसे हायपोएक्टिव थायरॉयड और 0.3 से कम हो तो उसे सबक्लिनिकल अति सक्रिय थायरॉयड कहा जाता है।



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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