नई दिल्ली:
थाइरॉयड दुनिया भर में एक प्रमुख समस्या है। यह या तो व्यक्ति को कमजोर कर देता है या फिर उसे मोटापे का शिकार बना देता है। थाइरॉइड कब किसे कैसे हो जाए, यह पता लगाना मुश्किल होता है, लेकिन अगर इन कुच बातों का ध्यान रखा जाए, तो आप भी इससे रू-ब-रू हो पाएंगे।
पुरुषों के मुकाबले महिलाएं होती हैं इससे ज़्यादा पीड़ित
क्या आप जानते हैं कि भारत में करीब 4.2 करोड़ लोग इससे पीड़ित हैं, यानी भारत की करीब 10 फीसदी आबादी इससे पीड़ित है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थाइरॉयड विकार होने की संभावना 80 प्रतिशत ज़्यादा होती है, जिसकी वजह से शरीर में होने वाले बहुत सारे हार्मोन में बदलाव आता है। महिलाओं में आयोडीन की कमी होने की संभावना अधिक होती है, जिस वज़ह से उनमें थाइरॉयड का विकार हो सकता है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मनोनीत अध्यक्ष डॉ के. के. अग्रवाल का कहना है कि “थाइरॉयड ग्रंथी शरीर में पाचन क्रिया को संतुलित बनाने में अहम भूमिका निभाती है। इससे निकलने वाले हार्मोन शरीर का तापमान संतुलित रखने, दिमाग को सेहतमंद रखने, दिल की उचित ताल के साथ पंप करने और सभी अंगों में एकसुरता बनाए रखने में मदद करता है। जब हमें थाइरॉयड विकार हो जाता है, तो या तो यह ग्रंथि ज़्यादा काम करने लगती हैं (जिससे हायपरथॉयरायडिज्म होने का डर रहता है) या फिर कम काम करने से हाईपोथाइरॉयडिज्म हो जाता है। हाईपोथाइरॉयडिज्म आम तौर पर ज़्यादा होता है और कोलेस्ट्रोल और दिल के विकार बढ़ाने का कारण बन सकता है”।
इस तरह बचें थाइरॉयड से, जानें इसके लक्षणों को भी
थाइरॉयड विकार का जल्दी पता लगने से रोकथाम के कदम उठाने में मदद मिलती है, चाहे वो दवाओं के जरिए हो या जीवनशैली में बदलाव। इसके लक्षण बहुत ही छोटे होते हैं और इनकी निशानदेही करना मुश्किल होता है। सबसे भरोसेमंद तरीका है रक्त के जरिए टीएचएच स्तर की जांच करना।
डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि “कुछ लोगों में थाइरॉयड रोग की संभावना ज़्यादा होती है, जिनमें डायबिटीज़, रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकार, परिवार में पहले से किसी को थाइरॉयड होना, हार्मोन में बदलाव, गर्भावस्था या मासिक धर्म बंद होना और बढ़ती उम्र जैसे कारण शामिल हैं। यह ज़रूरी है कि मासिक धर्म बंद होने के करीब वाली महिलाएं अपने थाइरॉयड की जांच ज़रूर करवाएं।
हाईपोथॉयरायडिजम और हायपरथॉयरायडिज्म के लक्षण
हाईपोथॉयरायडिजम की समस्या में व्यक्ति को बहुत ज्यादा कमजोरी और थकान होती है। साथ ही उसे वज़न बढ़ने की भी शिकायत रहती है। व्यक्ति को ठंड बर्दाश्त नहीं हो पाती है। इसके अलावा उसके बाल भी काफी सूखे और कमजोर हो जाते हैं। याददाश्त की बात करें, तो इंसान को इससे संबंधित भी कई समस्याएं रहती हैं। व्यक्ति छोटी-छोटी बात पर चिड़चिड़ा हो जाता है। वह अवसाद से भर जाता है। इसमें ज़्यादा कोलेस्ट्रोल होने और दिल की धड़कन कम होने की शिकायत रहती है। कई बार तो व्यक्ति इसमें कब्ज रहने से भी परेशान रहता है।
हायपरथाइरॉयडिज्म में व्यक्ति का वज़न कम होने लगता है। उसे गर्मी बर्दाश्त न होने की शिकायत रहती है। पेट में बार-बार गड़बड़ी होना, अचानक से कंपकंपी आना, घबराहट और चिड़चिड़ापन रहना जैसी कई चीज़ें व्यक्ति के साथ होने लगती हैं। थाइरॉयड ग्रंथि इस समस्या में बढ़ जाती है। साथ ही इसमें नींद में भी गड़बड़ी रहती है। इसके अलावा व्यक्ति इसमें खुद को थकावट से भरा महसूस करता है।
(इनपुट्स आईएएनएस से)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पुरुषों के मुकाबले महिलाएं होती हैं इससे ज़्यादा पीड़ित
क्या आप जानते हैं कि भारत में करीब 4.2 करोड़ लोग इससे पीड़ित हैं, यानी भारत की करीब 10 फीसदी आबादी इससे पीड़ित है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थाइरॉयड विकार होने की संभावना 80 प्रतिशत ज़्यादा होती है, जिसकी वजह से शरीर में होने वाले बहुत सारे हार्मोन में बदलाव आता है। महिलाओं में आयोडीन की कमी होने की संभावना अधिक होती है, जिस वज़ह से उनमें थाइरॉयड का विकार हो सकता है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मनोनीत अध्यक्ष डॉ के. के. अग्रवाल का कहना है कि “थाइरॉयड ग्रंथी शरीर में पाचन क्रिया को संतुलित बनाने में अहम भूमिका निभाती है। इससे निकलने वाले हार्मोन शरीर का तापमान संतुलित रखने, दिमाग को सेहतमंद रखने, दिल की उचित ताल के साथ पंप करने और सभी अंगों में एकसुरता बनाए रखने में मदद करता है। जब हमें थाइरॉयड विकार हो जाता है, तो या तो यह ग्रंथि ज़्यादा काम करने लगती हैं (जिससे हायपरथॉयरायडिज्म होने का डर रहता है) या फिर कम काम करने से हाईपोथाइरॉयडिज्म हो जाता है। हाईपोथाइरॉयडिज्म आम तौर पर ज़्यादा होता है और कोलेस्ट्रोल और दिल के विकार बढ़ाने का कारण बन सकता है”।
इस तरह बचें थाइरॉयड से, जानें इसके लक्षणों को भी
थाइरॉयड विकार का जल्दी पता लगने से रोकथाम के कदम उठाने में मदद मिलती है, चाहे वो दवाओं के जरिए हो या जीवनशैली में बदलाव। इसके लक्षण बहुत ही छोटे होते हैं और इनकी निशानदेही करना मुश्किल होता है। सबसे भरोसेमंद तरीका है रक्त के जरिए टीएचएच स्तर की जांच करना।
डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि “कुछ लोगों में थाइरॉयड रोग की संभावना ज़्यादा होती है, जिनमें डायबिटीज़, रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकार, परिवार में पहले से किसी को थाइरॉयड होना, हार्मोन में बदलाव, गर्भावस्था या मासिक धर्म बंद होना और बढ़ती उम्र जैसे कारण शामिल हैं। यह ज़रूरी है कि मासिक धर्म बंद होने के करीब वाली महिलाएं अपने थाइरॉयड की जांच ज़रूर करवाएं।
हाईपोथॉयरायडिजम और हायपरथॉयरायडिज्म के लक्षण
हाईपोथॉयरायडिजम की समस्या में व्यक्ति को बहुत ज्यादा कमजोरी और थकान होती है। साथ ही उसे वज़न बढ़ने की भी शिकायत रहती है। व्यक्ति को ठंड बर्दाश्त नहीं हो पाती है। इसके अलावा उसके बाल भी काफी सूखे और कमजोर हो जाते हैं। याददाश्त की बात करें, तो इंसान को इससे संबंधित भी कई समस्याएं रहती हैं। व्यक्ति छोटी-छोटी बात पर चिड़चिड़ा हो जाता है। वह अवसाद से भर जाता है। इसमें ज़्यादा कोलेस्ट्रोल होने और दिल की धड़कन कम होने की शिकायत रहती है। कई बार तो व्यक्ति इसमें कब्ज रहने से भी परेशान रहता है।
हायपरथाइरॉयडिज्म में व्यक्ति का वज़न कम होने लगता है। उसे गर्मी बर्दाश्त न होने की शिकायत रहती है। पेट में बार-बार गड़बड़ी होना, अचानक से कंपकंपी आना, घबराहट और चिड़चिड़ापन रहना जैसी कई चीज़ें व्यक्ति के साथ होने लगती हैं। थाइरॉयड ग्रंथि इस समस्या में बढ़ जाती है। साथ ही इसमें नींद में भी गड़बड़ी रहती है। इसके अलावा व्यक्ति इसमें खुद को थकावट से भरा महसूस करता है।
(इनपुट्स आईएएनएस से)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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