
न्यूयॉर्क:
मीठे पेय पदार्थ याददाश्त के लिए नुकसानदेह होते हैं. एक शोध में पता चला है कि इस तरह के पेय पदार्थो से स्ट्रोक और डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है. शोध के निष्कर्षो के अनुसार, मीठे पेय पदार्थो से दिमाग की याददाश्त पर प्रभाव पड़ता है. इन निष्कर्षो को दो पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है. शोध का प्रकाशन पत्रिका 'अल्जाइमर्स एंड डिमेंशिया' में किया गया है. पत्रिका में कहा गया है कि मीठे पेय पदार्थो का सेवन करने वालों में खराब स्मृति, दिमाग के आयतन में कमी और खास तौर से हिप्पोकैम्पस छोटा होता है.
हिपोकैम्पस दिमाग का वह भाग होता है जो सीखने और स्मृति के लिए जिम्मेदार होता है.
इस शोध के दूसरे भाग का प्रकाशन पत्रिका 'स्ट्रोक' में किया गया है. इसमें कहा गया है कि दिन में रोजाना सोडा पीने वाले लोगों में स्ट्रोक और डिमेंशिया का खतरा नहीं पीने वालों की तुलना में तीन गुना होता है.
शोधकर्ताओं ने कृत्रिम मीठे को लेकर कई तरह की परिकल्पनाओं को भी प्रस्तुत किया है. इसमें इनके हानिकारक प्रभावों को भी बताया गया है.
बोस्टन विश्वविद्यालय के शोध के प्रमुख लेखक मैथ्यू पेस ने कहा, "हमें इस दिशा में अधिक काम करने की जरूरत है."
न्यूज एजेंसी आईएएनएस से इनपुट
हिपोकैम्पस दिमाग का वह भाग होता है जो सीखने और स्मृति के लिए जिम्मेदार होता है.
इस शोध के दूसरे भाग का प्रकाशन पत्रिका 'स्ट्रोक' में किया गया है. इसमें कहा गया है कि दिन में रोजाना सोडा पीने वाले लोगों में स्ट्रोक और डिमेंशिया का खतरा नहीं पीने वालों की तुलना में तीन गुना होता है.
शोधकर्ताओं ने कृत्रिम मीठे को लेकर कई तरह की परिकल्पनाओं को भी प्रस्तुत किया है. इसमें इनके हानिकारक प्रभावों को भी बताया गया है.
बोस्टन विश्वविद्यालय के शोध के प्रमुख लेखक मैथ्यू पेस ने कहा, "हमें इस दिशा में अधिक काम करने की जरूरत है."
न्यूज एजेंसी आईएएनएस से इनपुट
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