
मुंबई:
सीफूड के प्रशसंकों के लिए अच्छी खबर है कि अब वे चर्चित सामन मछली का स्वाद यहां भारत में चख सकते हैं और वह भी ‘अमृतसरी तवा सामन’ तथा ‘बंगाली योगर्ट मस्टर्ड सामन’ जैसे विशुद्ध भारतीय व्यंजनों के रूपों में।
सामन उत्तरी अटलांटिक और प्रशांत महासागर के ठंडे पानी में होने वाली विशेष मछली है और नार्वे, चिली और कनाडा जैसे देशों में सीफूड का अभिन्न और महत्वपूर्ण हिस्सा है। नार्वे अब भारत में इसके निर्यात को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है क्योंकि यह बड़ा बाजार है।
नार्वेइन सीफूड काउंसिल के निदेशक, योगी शेरगिल ने बताया कि, "सामन की भारतीय खपत 2015 में 450 टन रही जो कि जनसंख्या को देखते हुए तुलनात्मक रूप से बहुत कम है।" क्या मछली खाने वाले भारतीयों में सामन की मांग बढ़ने की उम्मीद है, यह पूछे जाने पर शेरगिल ने कहा कि इस देश मे हर साल 92 लाख टन सीफूड की खपत होती है जिसमें से आधा हिंद महासागर से जबकि शेष ताजे पानी में किए जाने वाली मछली पालन से आता है। इस खपत में बीते 15 साल में छह गुना वृद्धि हुई है और ‘हमें उम्मीद है कि यह रख बना रहेगा।’
उन्होंने कहा,‘ हमारा मानना है कि दीर्घकालिक स्तर पर भारत में आयातित सीफूड की व्यापक संभावना है। इसकी एक वजह भारत में युवा जनसंख्या भी है जो स्वास्थ्य को लेकर बहुत जागरक है और नये नये व्यंजनों को चखना चाहती है।’ उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि अभी जमीन तैयार करने से हमें आगे चलकर फायदा होगा।’ उल्लेखनीय है कि नार्वे के वाणिज्य दूत तोर्बजेन होल्थे ने हाल ही में मुंबई में एक प्रदर्शनी भी आयोजित की जिसमें लोगों को नार्वे की सामन से बने स्वादिष्ट व्यंजनों को चखने का मौका मिला था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सामन उत्तरी अटलांटिक और प्रशांत महासागर के ठंडे पानी में होने वाली विशेष मछली है और नार्वे, चिली और कनाडा जैसे देशों में सीफूड का अभिन्न और महत्वपूर्ण हिस्सा है। नार्वे अब भारत में इसके निर्यात को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है क्योंकि यह बड़ा बाजार है।
नार्वेइन सीफूड काउंसिल के निदेशक, योगी शेरगिल ने बताया कि, "सामन की भारतीय खपत 2015 में 450 टन रही जो कि जनसंख्या को देखते हुए तुलनात्मक रूप से बहुत कम है।" क्या मछली खाने वाले भारतीयों में सामन की मांग बढ़ने की उम्मीद है, यह पूछे जाने पर शेरगिल ने कहा कि इस देश मे हर साल 92 लाख टन सीफूड की खपत होती है जिसमें से आधा हिंद महासागर से जबकि शेष ताजे पानी में किए जाने वाली मछली पालन से आता है। इस खपत में बीते 15 साल में छह गुना वृद्धि हुई है और ‘हमें उम्मीद है कि यह रख बना रहेगा।’
उन्होंने कहा,‘ हमारा मानना है कि दीर्घकालिक स्तर पर भारत में आयातित सीफूड की व्यापक संभावना है। इसकी एक वजह भारत में युवा जनसंख्या भी है जो स्वास्थ्य को लेकर बहुत जागरक है और नये नये व्यंजनों को चखना चाहती है।’ उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि अभी जमीन तैयार करने से हमें आगे चलकर फायदा होगा।’ उल्लेखनीय है कि नार्वे के वाणिज्य दूत तोर्बजेन होल्थे ने हाल ही में मुंबई में एक प्रदर्शनी भी आयोजित की जिसमें लोगों को नार्वे की सामन से बने स्वादिष्ट व्यंजनों को चखने का मौका मिला था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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