लंदन:
मोटापे को दूर भगाने के लिए सिर्फ डाइट या जिम की जरूरत ही नहीं होती, बल्कि पूरी नींद ले कर मोटापे को दूर किया जा सकता है। एक अध्ययन में पता चला है कि अच्छी नींद नहीं लेने वाले लोग अगले दिन 385 किलोकैलोरी की अतिरिक्त खपत कर रहे हैं। यानी वे ज्यादा वसायुक्त भोजन और प्रोटीन ले रहे हैं। इससे उनमें मोटापे का खतरा बढ़ रहा है।
निष्कर्षों से पता चलता है कि बहुत कम नींद लेने से इसका शरीर के हार्मोन पर प्रभाव पड़ता है। यह लोगों को ज्यादा खाने और पेट पूरा भरा महसूस करने के लिए प्रेरित कर रही है।
नींद की कमी सिरकेडिन लय या आंतरिक शरीर घड़ी को बाधित कर सकता है। इससे शरीर का लेप्टीन नियमन- 'संतुष्टि' हार्मोन और ग्रेलिन-'भूख' हार्मोन प्रभावित हो सकता है।
किंग्स कॉलेज लंदन के प्रमुख शोधपत्र लेखक हया अल खतिब ने कहा, "हमारे परिणाम नींद को आहार और व्यायाम के अलावा एक तीसरा संभावित कारक बताते हैं, जिससे वजन बढ़ने को प्रभावी तौर पर नियोजित किया जा सकता है।"
अध्ययन में पता चला कि आंशिक रूप से नींद लेने के परिणाम के तौर पर कुल ऊर्जा खपत में 385 किलोकैलोरी प्रतिदिन की वृद्धि हुई।
किंग्स कॉलेज लंदन के ग्रेडा पोट ने कहा, "यदि लंबे समय तक नींद की कमी बनी रही तो कैलोरी की खपत की मात्रा बढ़ जाती है। इससे वजन में भी बढ़ सकता है।"
इस शोधपत्र का प्रकाशन पत्रिका 'यूरोपियन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन' में किया गया है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
निष्कर्षों से पता चलता है कि बहुत कम नींद लेने से इसका शरीर के हार्मोन पर प्रभाव पड़ता है। यह लोगों को ज्यादा खाने और पेट पूरा भरा महसूस करने के लिए प्रेरित कर रही है।
नींद की कमी सिरकेडिन लय या आंतरिक शरीर घड़ी को बाधित कर सकता है। इससे शरीर का लेप्टीन नियमन- 'संतुष्टि' हार्मोन और ग्रेलिन-'भूख' हार्मोन प्रभावित हो सकता है।
किंग्स कॉलेज लंदन के प्रमुख शोधपत्र लेखक हया अल खतिब ने कहा, "हमारे परिणाम नींद को आहार और व्यायाम के अलावा एक तीसरा संभावित कारक बताते हैं, जिससे वजन बढ़ने को प्रभावी तौर पर नियोजित किया जा सकता है।"
अध्ययन में पता चला कि आंशिक रूप से नींद लेने के परिणाम के तौर पर कुल ऊर्जा खपत में 385 किलोकैलोरी प्रतिदिन की वृद्धि हुई।
किंग्स कॉलेज लंदन के ग्रेडा पोट ने कहा, "यदि लंबे समय तक नींद की कमी बनी रही तो कैलोरी की खपत की मात्रा बढ़ जाती है। इससे वजन में भी बढ़ सकता है।"
इस शोधपत्र का प्रकाशन पत्रिका 'यूरोपियन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन' में किया गया है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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